- पिछलों दिनों हुई ओलावृष्टि और बारिश ने तोड़ी किसानों की कमर

- सूख गया हलधर का हलक अब देखिए मंहगाई की झलक

आगरा। प्रकृति की मार ने अन्नदाता को झकझोर दिया है। मौसम की बिगड़ी चाल से फसलों से लदे खड़े रहने वाले खेत अब उजाड़ दिखने लगे हैं। नतीजा सामने है। बुधवार रात मनसुखपुरा में किसान ने आत्महत्या कर ली। कई किसान सूदखोरों के कर्ज में डूब गए हैं। बैंकों से लिया लोन चुकने की स्थिति में नहीं है। सिर्फ अकेला किसान ही नहीं बल्कि आमजन भी इस भयावह हालात से अछूता नहीं रहेगा। आने वाले वक्त में निश्चित तौर पर महंगाई दिखेगी। रही सही कसर शासन-प्रशासन पूरी कर रहे हैं। गांव-देहात में किसान और फसलों के हालात देखने के लिए आई नेक्स्ट की टीम ने बिचपुरी और अछनेरा ब्लॉक के कई गांवों में पहुंची तो परिस्थितियां काफी प्रतिकूल नजर आई।

शासन से कुछ सहूलियत मिले

गांव नागर में तीन हजार की पोलिंग है। गांव का रकबा लगभग 1100 बीघा है, लेकिन सिंचाई के साधन केवल 10 किसानों के पास हैं। गांव में लोग 75 फीसदी लोगों की जीविकोपार्जन का साधन केवल खेती है। इसलिए तो खेती से मुनाफे की उम्मीद लगाकर बैंक से लोन लेकर कुछ तो ट्रैक्टर भी ले आए। लेकिन मार्च के पहले सप्ताह में हुई ओलावृष्टि बारिश और तेज झंझावत ने उनके सपनों पर तुषारापात कर दिया। तर्क और समस्याएं भले सबकी भिन्न-भिन्न हो, लेकिन मांग सबकी एक है कि शासन-प्रशासन से कुछ सहूलियत मिल जाए।

मेहनत मजदूरी करेंगे, और किनते कहंगे

ब्लॉक अछनेरा के गांव नागर गांव में टीम के पहुंचते ही तमाम ग्रामीणों की भीड़ जुट गई। खेतों में गेहूं की फसल जमीन में बिछ गई, अब क्या करेंगे, इस सवाल पर 75 वर्षीय सूखा चौधरी बोल पड़े ' मेहनत-मजदूरी करेंगे। अब किससे कहें। पांच-छह: बीघा में गेहूं किए थे। बैंक से लोन भी लिया। लेकिन अब क्या करें'।

लागत निकलना भी मुश्किल

गांव के श्यामवीर कहते हैं कि एक बीघा गेंहू को बोने में लगभग 10 हजार रुपये लागत आ जाती है। इसमें पांच सौ रुपये प्रति बीघा का पानी लगता है। इस बार अच्छी फसल की उम्मीद थी। 3500 मन प्रति बीघा के उत्पादन की उम्मीद थी, लेकिन अब सात-आठ मन बीघा से ज्यादा की आस नहीं है।

Posted By: Inextlive