कोहरे में भी नहीं लगाए जा सके रिफ्लेक्टर
- हाईवे समेत शहर की अन्दर की सड़कों पर भी नजर नहीं आते रिफ्लेक्टर
- रंबल स्ट्रिप भी नहीं लगाए जा सके आगरा। जिम्मेदारों द्वारा घने कोहरे में भी रिफ्लेक्टर नहीं लगवाए हैं। जबकि ब्लैक स्पॉट पर रिफ्लेक्टर और रंबल स्ट्रिप लगाया जाना बेहद आवश्यक होता है। इसके लिए शासन द्वारा हर वर्ष रोड सेफ्टी के नाम पर लाखों रुपये का बजट मुहैया कराया जाता है। बावजूद इसके कोई काम नहीं किया गया। बता दें, हाईवे हो या फिर शहर की सड़कें, शाम ढलते ही कोहरे की चादर में लिपट जाते हैं। वाहन चालकों के लिए हादसे की आशंका बनी रहती है। ऐसे में रिफ्लेक्टर और रबंल स्ट्रिप वाहन चालकों के लिए मददगार साबित होते हैं। कागजों में दौड़ रहे रोड सेफ्टी के इंतजामातरोड सेफ्टी के इंतजाम कागजों में दौड़ रहे हैं। जितना ज्यादा हाईवे खतरनाक है, इससे कम शहर के अन्दर की सड़कें भी नहीं हैं। शहर में जो ब्लैक स्पॉट हैं, इन स्पॉट में न तो कोई रिफ्लेक्टर लगाया गया और न ही स्पीड कंट्रोल बोर्ड। जबकि घने कोहरे में रिफ्लेक्टर, साइनेज, संकेतक का महत्व बढ़ जाता है।
रॉन्ग साइड से आते हैं वाहनसिकंदरा सब्जी मंडी के सर्विस रोड के दोनों साइड सुबह से लेकर शाम तक रॉन्ग साइड से वाहन आते हैं। इससे दुर्घटना की आशंका बढ़ जाती है। इन्हें रोकने के लिए एनएचएआई और पुलिस-प्रशासन ने कोई इंतजाम नहीं किए हैं।
आगरा क्लब के सामने बना दिए कमरतोड़ स्पीड ब्रेकर प्रतापपुरा चौराहे से कुछ कदम की दूरी पर आगरा क्लब के सामने मेन रोड से लेकर सर्विस रोड तक कमर तोड़ स्पीड ब्रेकर बना दिए गए हैं। जबकि इंडियन रोड कांग्रेस की नियमावली में डामर और गिट्टी से बनाए गए स्पीड ब्रेकर को समाप्त कर उसके स्थान पर रंबल स्ट्रिप की संस्तुति की गई थी, बावजूद इसके कमरतोड़ स्पीड ब्रेकर बनाए जा रहे हैं। ऐसे ही स्पीड ब्रेकर सदर, नौलक्खा, नामनेर, ईदगाह की ओर बना दिए गए हैं। इनका नहीं हो रहा पालन - इंडियन रोड कांग्रेस की गाइडलाइन का पालन नहीं हो रहा है। - बैरीकेडिंग के पास पांच मीटर की दूरी पर वार्निग लाइट नहीं लगी हैं। - दूरी पर रिफ्लेक्टिव टेप नहीं लगाया गया है। - प्राथमिक उपचार की व्यवस्था के लिए निर्धारित स्थलों पर एंबुलेंस का इंतजाम नहीं है। - जगह-जगह अवैध कट बने हुए हैं, जिन्हें बंद नहीं किया जा रहा है।- खोदाई के दौरान मिट्टी न उड़े, इसके लिए शॉव¨रग की व्यवस्था नहीं है।
- जगह-जगह मिट्टी के ढेर लगे हैं, यहां से वाहन गुजरते ही धूल के गुबार उड़ते हैं। इनकी है जिम्मेदारी एनएचएआई - पीडब्ल्यूडी - संभागीय ट्रांसपोर्ट ऑफिसर - नगर निगम