- आगरा में 83 बसों को किया गया है कनेक्ट, बस के रूट की भी होगी जानकारी

- नहीं हो सकेगी कोई गड़बड़ी, पहले आगरा में हो चुका है टिकट घोटाला

आगरा। अब रोडवेज बस की लोकेशन के साथ बस में चलने वाले टिकट स्कवॉयड पर भी सीधी नजर रहेगी। इसके लिए एक सॉफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है। वीटीएस (व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम) के माध्यम से ट्रैकिंग की जाएगी। आगरा कंट्रोल रूम और लखनऊ स्थित हैडक्वार्टर से भी नजर रखी जा सकेगी।

83 बसों को सिस्टम से जोड़ा जा रहा

पहले चरण में आगरा से 83 बसों को इस सिस्टम से कनेक्ट किया जा रहा है। इन बसों की लोकेशन और गतिविधि पर कंट्रोल रूम से निगरानी रखी जा सकेगी। अभी तक बस के ड्राइवर और कंडक्टर लोकेशन को लेकर गुमराह करते थे। बस को अन्य किसी भी रूट पर लेकर चले जाते थे। इससे वे टिकट स्क्वॉयड से बच जाते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा।

बसों के टाइम टेबिल का होगा मिलान

धीरे-धीरे सभी बसों को वीटीएस से कनेक्ट किया जाएगा। इनके टाइम-टेबिल का मिलान सॉफ्टवेयर से किया जाएगा। इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से ये भी पता लग सकेगा कि बस किस रूट पर चल रही है। कहां कितनी देर तक खड़ी रही। पूरा टाइम टेबिल दर्ज हो जाएगा। फिर इसका मिलान सॉफ्टवेयर से किया जाएगा।

बैटरी से कनेक्ट होता है

बसों में वीटीएस बैटरी से कनेक्ट होता है। कभी ड्राइवर बस की लोकेशन छिपाने के लिए बैटरी से इसका कनेक्शन काट देते थे। इससे बस की लोकेशन पता नहीं चल पाती थी। लेकिन, अब सॉफ्टवेयर डेवलप होने से ऐसा नहीं हो पाएगा। अगर कोई ऐसा करेगा, तो इसका अलर्ट पहुंच सकेगा।

आगरा में हो चुका है टिकट घोटाला

पिछले वर्ष आगरा में रोडवेज में बड़े पैमाने पर टिकट घोटाला हुआ था। इसमें बस ड्राइवर और कंडक्टर बस की लोकेशन नहीं बताते थे। ट्रैवल्स के दौरान पैसेंजर्स को फर्जी टिकट मुहैया करा देते थे। उनको पैसा वसूल करने के बाद उन्हें वे-बिल पर नहीं चढ़ाते थे। इससे रोडवेज को राजस्व का घाटा हो रहा था। लगातार रेवेन्यू लॉस होने के बाद टिकट स्क्वॉयड ने छापेमारी की। इसके बाद टिकट घोटाले का खुलासा हुआ। मामले की जांच एसटीएफ को सौंपी गई। इस दौरान पूरे रैकेट का भंडाफोड़ हुआ। लेकिन अब इस सिस्टम के ईजाद होने से इस प्रकार के घोटाले पर लगाम लग सकेगी।

वर्ष 2016 में आयी थी सिर्फ 50 बसों की खेप

रोडवेज अधिकारियों की मानें तो वर्ष 2016 में आगरा मंडल में 50 बसों की खेप आई थी। इसके बाद कोई खेप आगरा में नहीं आई। बता दें, मानक के अनुसार आठ-नौ वर्ष तक ही बस का संचालन सुरक्षित माना जाता है। उसके बाद बस को नीलाम करना पड़ता है। जबकि हकीकत ये है कि यहां मानक पूरे कर चुकी बसों को भी रोड पर बेखौफ दौड़ाया जा रहा है।

फैक्ट फाइल

कुल बसें: 590

484: परिवहन निगम की बसें

540: बसें संचालित

106: बसें अनुबंधित हैं

118: बसों में फायर सेफ्टी उपकरण व फ‌र्स्ट एड बॉक्स नहीं

24 बसें 31 मार्च 2018 को नीलाम हो चुकी हैं

40 नई बसों का मिलने का दावा

आईएसबीटी

जनरथ बसें: 16

पिंक बसें: 9

वोल्वो बसें: 4

स्कैनिया बसें: 4

शताब्दी बसें: 3

साधारण बसें: 487 निगम की बसें

अनुबंधित बसें: 91

आगरा मंडल पर नजर

कुल कर्मचारी: 1877

ये हैं डिपो

आगरा फोर्ट

ताज डिपो

ईदगाह डिपो

फाउंड्री नगर डिपो

मथुरा डिपो

बाह डिपो

वर्जन

आगरा में 83 बसों को वीटीएस से कनेक्ट किया गया है। इन पर कंट्रोल रूम से नजर रहती है। इससे बस की लोकेशन पता चलती है। जो सॉफ्टवेयर डेवलप किया जा रहा है, अब बस किस रूट पर गई, कहां कितनी देर खड़ी रही। इसका पता रहेगा।

जयकरन सिंह एआरएम रोडवेज

Posted By: Inextlive