Agra. चार बाई चार का कमरा. दम घोंटू माहौल में कब दिन निकला और कब रात हुई यह अंदाजा लगाना भी मुश्किल है. एक खिड़की जरूर है लेकिन इससे भी छनकर हवा या धूप नहीं आती. यहां से आती है तो बस पुलिसकर्मियों की आवाजें. यह पाकिस्तान की कोट लखपत जेल की कालकोठरी की यातनाओं से कम नहीं है. इन कमरों में मफीन और बू्रनो 'सजाÓ काट रहे हैं. इन्हें यातना देने वाला कोई और नहीं अपने ही देश की सुरक्षा एजेंसी है. यह सजा भी इसलिए कि वे अपनी खुफिया कार्यशैली से पर्दाफाश करते आ रहे हैं.


बद से बदतर माहौल रेलवे की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाले दो जांबाज मफीन और बू्रनो जरूरी ब्रेन फूड सप्लीमेंट न मिलने के कारण अपनी याददाश्त खो रहे हैं। बदतर जिंदगी गुजार रहे हैं। आरपीएफ की खुफिया टीम के ये तेज-तर्रार सुरक्षाक र्मी अपनी ड्यूटी पर हैं। सिकंदराबाद में जन्मे मफीन और चेन्नई में जन्मा ब्रूनो अपनी याददाश्त खो रहा है। आरपीएफ के ये दोनों खोजी कुत्ते पिछले कई सालों से एनसीआर के आगरा डिवीजन में क्राइम कंट्रोल में मदद कर रहे हैं, लेकिन प्रोपर देखरेख न होने का दर्द इन बेजुबानों की आखों में साफ-साफ दिखाई दे रहा है।जरूरत पडऩे पर ही आजादी
रेल सेफ्टी और सिक्योरिटी में रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (आरपीएफ) बड़े क्राइम की स्थिति में खुफिया कुत्तों की मदद लेता है। इनके इसी बड़े रोल को देखते हुए रेलवे ने आगरा डिवीजन के कैंट रेलवे स्टेशन और मथुरा जंक्शन पर दो- दो कुत्ते तैनात किए हैं। इनका नाम है मफिन, बू्रनो, नदीम एंड जोर्क। इनकी देखरेख पर रेलवे लाखों रुपये खर्च करता है। लेकिन, सही देखभाल न होने और ब्रेन फूड तक के लिए वे तरस रहे हैं। प्रॉपर कैनल तक उन्हें मुहैया नहीं है। एक छोटे से कमरे में ही वे गुजर कर रहे हैं। ऐसे कमरे में जहां न तो खुली हवा नसीब होती है और न ही धूप। खुला माहौल भी उन्हें तभी मिलता है, जब अलर्ट जारी होता है या फिर लावारिस सामान के लिए चेकिंग अभियान छेड़ा जाता है। कुछ ही देर में फिर उसी कमरे में उन्हें ठूंस दिया जाता है। होना तो यह चाहिएइन स्नेफर डॉग्स के लिए रेलवे के पास कैनल तक नहीं है। हालांकि इसके लिए पूर्व डीआरएम ने जो योजना बनाई थी उसकी फाइल न जाने कहां दबकर रह गई। इन खोजी कुत्तों को एक छोटे से केबिन से निकालकर पर्याप्त खुले स्थान वाली कैनल में तब्दील करने की योजना बनाई गई थी। डिवीजन लेबल पर इसके लिए 25 लाख रुपये का बजट भी पास हुआ। इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट को जल्द से जल्द इसे तैयार करने को भी कहा गया। लेकिन, डॉग कैनल पर अब तक कोई काम शुरू नहीं किया जा सका है। संबंधित डिपार्टमेंट के अधिकारियों से जब इस संबंध में बात की गई तो वे चुप्पी साध गए।स्नेफर एंड ट्रेकरकैंट पर तैनात आरपीएफ के इन खुफिया कुत्तों को अलग- अलग कामों की ट्रेनिंग दी गई है। ब्रूनो एक स्नेफर डॉग है और मफिन ट्रेकर नाम -  मफीनड्यूटी - स्नेफर  श्वाननस्ल - लेब्राडोर रिटीवर


पिता का नाम - जोसफ

मां का नाम - सेलिनी बर्थ प्लेस - भागौड़ी कैनल सिकंदराबाद ट्रेनिग - दया बस्ती, नई दिल्लीवजन- 37 केजीस्वास्थ्य रक्षक टीका - साल में दो बार ड्यूटी टाइम - छह साल से अधिक--नाम - ब्रूनो ड्यूटी - क्राइम सर्वे ट्रेकर नस्ल - लेब्राडोर रिटीवर पिता का नाम- सीएच ऐशेमां का नाम - क्लू पातराबर्थ प्लेस - चेन्नई वजन - 38 केजीस्वास्थ्य रक्षक टीका - साल में दो बार ड्यूटी टाइम - छह साल से अधिक 2010 से हैं ड्यूटी परसेफ्टी और सिक्योरिटी में आरपीएफ के खुफिया कुत्ते मफीन, ब्रूनो आगरा कैंट पर पिछले दो सालों से अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं। इसके बावजूद उनकी देखरेख पर रेलवे डिपार्टमेंट गौर नहीं कर रहा। ड्यूटी एंड वर्क- एनसीआर के सीनियर ऑफिसर्स के आने से पहले करते हैं स्टेशन, प्लेटफार्म का निरीक्षण- 15 अगस्त, 26 जनवरी, ईद- बकरीद या फिर किसी विशेष मौके पर प्लेटफार्म पर निगरानी रखते हैं। - टूंडला के एक डाक्टर के ब्रीफकेस मामले को खोजी कुत्तों ने ही ढूंढ़ निकाला था, जो ट्रेन के कोच में मिला था।
-  दो महीने पहले कैंट रेलवे स्टेशन के सर्कुलेटिंग एरिये में एक लावारिश बक्सा मिला था। इस दौरान इन्होंने विशेष भूमिका निभाई थी।

Posted By: Inextlive