आगरा. ब्यूरो यमुना डूब इस समय अवैध कब्जे से कराह रहा है. यमुना डूब क्षेत्र को बिल्डरों में होड़ मची हुई है. एनजीटी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देश के अनुसार अवैध कॉलोनियों को ध्वस्त कर उन पर रोक लगाई जानी थी. न तो अवैध कॉलोनियों को ध्वस्त किया जा सका. न ही अवैध निर्माणों पर रोक लग सकी. यहां तक कि डूब क्षेत्र में चिन्हित कर पत्थर की मुड्डियां भी गायब भी कर दी गईं. यमुना के डूब में मौजूद समय की पड़ताल करती एक रिपोर्ट

सेटेलाइट की तस्वीरों से हुआ आंकलन

यमुना डूब क्षेत्र में जमीन कब्जाने की होड़ मची है। रुनकता से लेकर छलेसर तक जमकर अवैध अतिक्रमण हो रहे हैं। गत महीनों में सेटेलाइट से खींची गई तस्वीरों से डूब क्षेत्र में अवैध अतिक्रमण का आंकलन किया गया तो स्थिति चौंकाने वाली नजर आयी। वन विभाग और सिंचाई विभाग की जमीन पर कब्जा किया गया। उसका समतलीकरण कर कुछ बिल्डिंग तो कुछ ने खेती करना शुरू कर दिया है।

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वर्ष 2016 में सर्वे के दौरान लगाईं गई थी मुड्डियां
यमुना डूब क्षेत्र में अवैध निर्माणों को रोकने के लिए वर्ष 2016 में सर्वे का डूब क्षेत्र की सीमा का निर्धारणकर मुड्डियां लगाईं गई थी। मौजूद समय में ये मुड्डियां गायब हो चुकी हैं। यमुना डूब क्षेत्र में होने वाले अवैध निर्माणों को रोकने व यमुना के पुराने मूल स्वरूप को वापस लाने के लिए तत्कालीन अनुश्रवण समिति के सदस्य डीके जोशी ने एनजीटी में याचिका दाखिल की थी। पर्यावरणविद डॉ। शरद गुप्ता ने बताया कि दशकों पहले ककरैंठा और भावना स्टेट में सर्वाधिक जमीेंनें कब्जाई गई थीं। किसानों ने अपनी जमीनों की बिक्री कर दी है। वर्तमान में उनमें मकान बनाए गए हैं।

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सात एकड़ भूमि पर जमा लिया था कब्जा
अभी गत महीनों में राधा स्वामी सत्संग सभा ने डूब क्षेत्र में सात एकड़ भूमि पर कब्जा जमा लिया था। यहां पहले बेरिकेडिंग की गई, उसके बाद तार से फेंसिंग कर दी गई। इसके बाद 100 मी। लंबी इंटरलॉकिंग टाइल्स की सड़क बना दी गई। बाद में प्रशासन की जानकारी में आने पर अधिकारी हरकत में आए थे। उस दौरान ये मामला काफी चर्चा में रहा था।

अवैध निर्माणों के ध्वस्तीकरण के नाम पर रश्म अदायगी
एनजीटी में याचिका के बाद एनजीटी ने तत्कालीन आगरा के कमिश्नर, एडीए वीसी और नगर आयुक्त को तलब किया था। उन्होंने रिपोर्ट तैयार एनजीटी में जबाव दाखिल किया था। वर्ष 2016 में एनजीटी के सदस्य आए और सिंचाई विभाग व एडीए के अधिकारियों ने अवैध निर्माणों को चिह्नित कर डूब क्षेत्र में मुड्डियां लगाई गईं थीं। इसमें कल्याणी हाइट्स के पास मुड्डी संख्या 710, 711्र 712्र 713्र 714 नंबर की मुड्डियां मौजूदा समय में गायब हो चुकी हैं। उस दौरान पुलिस और प्रशासनिक टीम ने कुछ इलाकों में डूब क्षेत्र में बने निर्माणों पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की थी। इसमें मनोहरपुर के कुछ फॉर्म, राजश्री गार्डन, मां गौरी टाउन, लोहिया नगर, राधा नगर, इन्द्र एन्क्लेव, अनुराग नगर कुछ क्षेत्रों में कार्रवाई के बाद उसको बंद कर दिया गया था। उस दौरान टीम ने यमुना का फ्लड जोन प्लेन 152.45 मी। रखा गया था। अब भी पुष्पांजलि हाइ्ट, राजज्ञी गार्डन, राधा बल्लभ, राजश्री स्टेट में समेत अन्य एरिया में निर्माण कार्य कराए जा रहे हैं।

हो रहा अवैध खनन, फैला रहे गंदगी
यमुना में लगातार अवैध खनन किया जा रहा है, जिससे यमुना की धारा में भी परिर्वतन आया है। रुनकता, सिंकदरा, पोइया घाट, छलेसर क्षेत्र में यमुना में जमकर अवैध खनन हो रहा है। अवैध खनन से यमुना की तलहटी में छोटे-छोटे तालाब बन गए हैं। यमुना किनारे पर जगह होने से ग्रामीण उस जमीन का इस्तेमाल गोबर डालने या पशुओं को बांधने में कर रहे हैं।

बिना नक्शे के बन गई कॉलोनियां
आगरा में सिर्फ अवैध रूप से कॉलोनियों का ही निर्माण नहीं हो रहा है, बल्कि कई फार्म हाउस भी मानकों को ठेंगा दिखाकर तैयार कर दिए गए हैं। इसको लेकर एडीए आगरा विकास प्राधिकरण सिर्फ जांच की बात कह रहा है। कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है।


इन मानकों को दिखाया गया है ठेंगा
- क्षेत्रफल के हिसाब से पार्क और सड़क के लिए नहीं छोड़ी जमीन।
- सीवर और जल निकासी को नहीं की गई कोई व्यवस्था।
- नगर निगम, सिंचाई विभाग से भी नहीं ली गई है अनुमति।
- एडीए में कई कॉलोनियों का न तो रजिस्ट्रेशन है और न ही नक्शा पास कराया गया है।

Posted By: Inextlive