आगरा। कोरोना संक्रमण ने मोनिका से पति प्रमोद को छीन लिया। वह आर्थिक तंगी के चलते पति का इलाज भी नहीं करा सकीं। पति की जांच और दवा कराने के लिए भी उनके पास रुपये नहीं थे। गरीबी के चलते तीन साल पहले बच्चों का स्कूल छूट गया। महीने में 1300 रुपये कमाने वाली मां पर दो बच्चों को पालने की जिम्मेदारी है.सदर के चावली इलाके के रहने वाले प्रमोद मजदूरी करते थे। उन्हें 17 अप्रैल को बुखार आया। मोनिका ने बताया कि उनके पास जांच कराने लायक भी रुपये नहीं थे। घर पर ही दवा देते रहे। 23 अप्रैल को उन्हें सांस लेने में ज्यादा दिक्कत होने लगी। पड़ोस में रहने वाली एक हेल्थ वर्कर ने एंबुलेंस को फोन किया। 108 और 102 पर फोन किया, मगर कोरोना संक्रमित होने के चलते एंबुलेंस वाले टालमटोल करते रहे। 24 अप्रैल को दोबारा फोन कर कोरोना की जगह पैर में चोट बताई, इस पर एंबुलेंस आई। वह पति को एसएन मेडिकल कालेज ले गईं। पर्चा बनवाने में समय लग गया, इस दौरान पति ने दम तोड़ दिया। मोनिका ने बताया कि पति की मौत कोरोना से हुई, मगर जांच न होने से अस्पताल वालों ने इसे नहीं माना.मोनिका ने बताया कि वह कोठी में झाड़ू-पोछा करती हैं,1300 रुपये महीने मिलते हैं। इस रकम से तीन लोगों को पेट भरें, या बच्चों को पढ़ने भेजें। पति का कोविड से मौत का प्रमाण पत्र न होने के चलते उन्हें मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना का भी लाभ नहीं मिलेगा। ऐसे में दोनों बच्चों का क्या भविष्य होगा, यह फिक्र उन्हें सोने नहीं देती।

Posted By: Inextlive