- अधिकारियों पर मनमानी का आरोप

आगरा : परिषदीय विद्यालयों में बच्चों को मिलने वाली निश्शुल्क किताबें शिक्षकों के लिए परेशानी का सबब बन गई हैं। स्थिति यह है कि शासन से ढुलाई का पैसा जारी होने के बाद भी शिक्षकों को उन्हें बीआरसी से स्कूल तक ढोना पड़ रहा है। इसको लेकर शिक्षक संगठन आक्रोशित हैं।

शिक्षकों का कहना है कि खंड शिक्षाधिकारियों ने उन्हें ब्लाक संसाधन केंद्र (बीआरसी) से किताबें उठाने का मौखिक फरमान सुना दिया है। वहीं बीआरसी पर सक्रिय कुछ फितरती दिमाग शिक्षक फोन कर बीआरसी से किताबें ले जाने का दबाव बना रहे हैं। उनका कहना है कि उन्हें 20-20 किमी दूर तक किताबें ढोकर ले जानी पड़ रही हैं, जबकि आदेश था कि किताबें उनके स्कूल तक पहुंचाई जाएंगी। मनमानी के चलते शिक्षक पहले पूरे दिन किताबों को छांटते हैं, फिर बंडल बनाकर अपना किराया खर्च कर उन्हें स्कूल तक ले जाते हैं।

शासन से आए आठ लाख

निश्शुल्क किताबें विभागीय खर्चे पर ट्रांसपोर्टर के माध्यम से स्कूल तक पहुंचानी होंगी, इसके लिए शासन ने प्रदेश को सात करोड़ 84 लाख रुपये से ज्यादा धनराशि जारी की है। जिले के करीब दो लाख 34 हजार बच्चों तक किताबें स्कूल तक पहुंचाने को आठ लाख रुपये मिले हैं।

यूटा ने की शिकायत

मामले की जानकारी के बाद यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन (यूटा) के प्रदेशाध्यक्ष राजेंद्र सिंह राठौर ने अपर मुख्य सचिव व महानिदेशक सहित उच्चाधिकारियों को पत्र भेजकर शिकायत की है। आरोप है कि बीआरसी पर एकसाथ इतने शिक्षक किताबें लेने आ रहे हैं कि शारीरिक दूरी का पालन भी नहीं हो रहा। ऐसे में संक्रमण की आशंका भी गहरा रही है।

Posted By: Inextlive