-फर्जी पहचान पत्र, आधार और रजिस्ट्री कर बैंक में लोन के लिए करते थे आवेदन

-बैंक को शक न हो इसके लिए आठ से दस महीने तक जमा करते थे किस्त

आगरा:फर्जी दस्तावेजों की मदद से पांच करोड़ रुपये का लोन लेने वाले गिरोह ने बैंक को चकमा देने के लिए फुलप्रूफ योजना बनाई थी। गिरोह के लोग जरूरतमदों को अपनी साजिश का हिस्सा बनाते थे। उनके नाम से फर्जी पहचान पत्र, आधार कार्ड, मकान की रजिस्ट्री आदि दस्तावेज तैयार करते थे। किराए के मकान में डमी मालिक रखकर बैंक को चकमा देते थे।

दो शातिरों को 29 अगस्त को पुलिस ने किया था गिरफ्तार

एसटीएफ ने आईसीआईसीआई बैंक से पांच करोड़ रुपये का लोन फर्जी दस्तावेजों से लेने वाले गिरोह के दो सदस्यों संदीप और अरुण पाराशर को 29 अगस्त को संजय प्लेस से गिरफ्तार किया था। हरीपर्वत पुलिस ने आरोपियों को जेल भेज दिया। पुलिस ने आरोपियों से फर्जी रजिस्ट्री बरामद की हैं। जिनकी छानबीन में पुलिस सामने आया है कि आरोपी बैंक से लोन कराने के लिए जरूरतमंद लोगों को अपनी साजिश का हिस्सा बनाते थे। दूर दराज जिलों के ऐसे लोगों को खोजने के बाद उन्हें रहने के लिए किराए पर मकान दिलाते थे। उन्हें कई महीने वहां रखते, मकान का किराया खुद देते थे। इसके बाद उसके नाम से आधार कार्ड, पहचान पत्र, मकान की रजिस्ट्री समेत लोन लेने के जरूरी सभी फर्जी दस्तावेज तैयार करते थे। बैंक में लोन के आवेदन करते। जिसे बैंक कर्मचारी आर्यन कुमार की मिलीभगत से पास करा लेते थे। आर्यन गिरोह से 40 फीसद कमीशन लेता था.लोन लेने के बाद शातिर आठ से दस महीने तक उसकी किस्त भी भरते थे। जिससे कि किसी को शक न हो। इसके बाद जिस व्यक्ति के नाम से ऋण लिया गया होता, उसे 20 से 30 हजार रुपये देकर आगरा से बाहर भेज दिया जाता था। इंस्पेक्टर हरीपर्वत अर¨वद कुमार ने बताया कि मामले वांछित अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं।

Posted By: Inextlive