इस बार जी-20 समिट की मेजबानी भारत को मिली है. आगरा में भी इसकी मीटिंग होगी. आगरा को कल्चरल कोर ग्रुप की मेजबानी मिली है. अगले साल सितंबर में जी-20 देशों के प्रतिनिधि आगरा में होंगे. इसको लेकर अभी से शहर में तैयारियां शुरू हो गई हैैं. ताजमहल आगरा किला और फतेहपुर सीकरी देखने के लिए यह प्रतिनिधि आएंगे. इनको अच्छी तरह से चमकाने की तैयार होने लगी है. लेकिन आगरा में और भी स्मारक हैैं जो गुमनामी के साए में खो गई हैैं. यह स्मारक भी खास हैैं.

आगरा(ब्यूरो)। रामबाग और एत्माद्दौला के बीच यमुना किनारा पर चीनी का रोजा बना है। चीनी का रोजा शाहजहां के वजीर शुक्रुल्लाह शीराजी अफजल खां अल्लामी का मकबरा है। वो विद्वान और कवि था। अल्लामी नाम से कविताएं लिखने वाले शुक्रुल्लाह शीराजी को मुगल शहंशाह जहांगीर ने अफजल खां की उपाधि दी थी। शुक्रुल्लाह ने अपने जीवन काल में अपना मकबरा वर्ष 1628 से 1639 के बीच बनवाया था। वर्ष 1639 में लाहौर में उसकी मृत्यु होने के बाद उनकी देह को यहां लाकर मकबरे में दफनाया गया था। दोहरे गुंबद वाला यह मकबरा ऊंचे परकोटे से घिरा था और इसकी पूर्वी दिशा में द्वार था। यहां चारबाग था। ईंटों के बने मकबरे पर प्लास्टर हो रहा है और बाहरी अलंकरण टाइलों से किया गया था इस पर नीला, पीला, हरा, नारंगी और सफेद रंग के टाइलों का अलंकरण था, जो देखने लायक है।

लाल ताजमहल
यह कर्नल जॉन विलियम हैसिंग का मकबरा है। भगवान टाकीज चौराहे के पास स्थित ताजमहल की तर्ज पर रोमन कैथोलिक कब्रिस्तान के बीचोंबीच बना ये स्मारक सन् 1803 में बना। वह 1784 में मराठा सरकार महादजी सिंधिया की सेना में उच्च पद पर था। महादजी की मृत्यु के बाद वह आगरा आ गया था। इस स्मारक में भी ताजमहल की तरह से भूमिगत कक्ष हैं। ताज की मीनारों की तरह से ही इसके चारों ओर भी मीनारें हैं।

सादिक खां-सलावत खां की बारहदरी
यह बारहदरी आगरा-मथुरा मार्ग पर गैलाना मोड़ पर है। शाहजहां के खास सिपहसालार सलावत खां की स्मृति में निर्मित बताया जाता है। इसके पास ही 64 खंभा स्मारक हैं, इसलिए इसे चौंसठ खंभा इमारत भी कहते हैं। अकबर टॉम्ब से पहले यह स्मारक पर्यटकों के लिए देखने योग्य है।
चौबुर्जी
1526 में बाबर जब आगरा आया, तो उसने आराम बाग (अब रामबाग) और चार बाग (चौबुर्जी) बनवाए थे। चौबुर्जी को 1528 में तैयार कराया था। 1530 में जब उसकी मृत्यु हो गई तो शव को यहीं दफनाया गया। छह महीने बाद शव को काबुल ले जाकर वहां दफनाया गया। चौबुर्जी के पीछे की तरफ हमाम हुआ करता था, संरक्षण के अभाव इसके अब अवशेष ही बचे हैं। पानी के चार टैंक भी हैं, जिनमें मुगल काल में सुगंधित पानी भरा रहता था। अब बारिश का पानी है, जो गंदा और बदबूदार है। अब टूरिस्ट इसके अंदर प्रवेश नहीं कर सकते हैं। यहां ताला लगा रहता है। इसके आसपास कब्जे हो गए हैं।


आगरा में कई स्मारक हैैं। इनको भी आम टूरिस्ट के लिए खोलना चाहिए। इनकी भी ब्रांडिंग करनी चाहिए। जिससे कि टूरिस्ट को इन इमारतों के बारे में पता चले।
- जीत, आगराइट

ताजनगरी धरोहरों की धरा है। यहां पर ताजमहल के अलावा भी कई अच्छी स्मारक हैैं। लेकिन ताजमहल की आड़ में यह पीछे रह जाती हैैं।
- धीरज, आगराइट

Posted By: Inextlive