आगरा से नेपाल और बांग्लादेश हो रही कछुओं की तस्करी
- 400 से 800 तक में कछुए बेच रहे मछुआरे
- तस्कर मोटी रकम लेकर कर रहे विदेशों में सप्लाई - शहर में दुकानों पर भी हो रही धड़ल्ले से बिक्री आगरा। शहर में कछुओं की बिक्री होने के साथ विदेशों में भी सप्लाई हो रही है। संरक्षित कैटेगिरी में शामिल होने के चलते कछुआ की खरीद-फरोख्त कानूनन अपराध है। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट टीम ने शहर के कई फिश प्वॉइंट्स पर पड़ताल की तो चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई। कुछ रुपयों के लालच में दुकानदार कछुआ अवेलेबल कराने का दावा कर रहे थे, तो वहीं यमुना किनारे मछुआरे भी कुछ रुपये के एवज में कछुआ दिलवाने की हामी भरी। मदिया कटरा रिपोर्टर: फिश प्वाइंट चाहिए, जिसमें फिश और कछुआ हो। दुकानदार: नहीं कछुआ नही है, फिश मिलेंगी 3500 में। रिपोर्टर: कछुआ भी चाहिए उसके साथ।दुकानदार: कछुए रखते नहीं हैं हम, पर आपको जरूरत है तो मंगवा सकते हैं। डिमांड पर एडवांस जमा लेते हैं। क्योंकि हम इस कार्य को नहीं करते हैं।
रिपोर्टर: ठीक है कितना एडवांस। दुकानदार: 500 रुपये दे दो बस। रिपोर्टर: अभी नहीं देखने के बाद ही दूंगा। दुकानदार: फिर नहीं मिलेगा आपको। यमुना किनारे मछुआरे से बातचीत रिपोर्टर: कछुआ चाहिए। मछुआरा: मिल जाएगा, लेकिन सुबह आना होगा आपको।रिपोर्टर: कहां पर आना होगा, कितने का मिलेगा?
मछुआरा: अगर दवा के लिए ले रहे हैं तो कुछ भी दे देना। रिपोर्टर: ठीक है फिर भी कुछ तो बताओ। मछुआरा: तीन सौ रुपये देना बस, बाहर 800 का मिलेगा। रिपोर्टर: ठीक है कहां आना है। मछुआरा: आप नंबर दे दो। मैं आपको फोन कर दूंगा। दुकान से नहीं, बाहर से हो रही बिक्री ताजनगरी में एक्वेरियम में रखने के बहाने चोरी छुपे कछुओं की तस्करी हो रही है। वास्तुशास्त्र के हिसाब से भी कछुए को पालने का क्रेज लोगों में बढ़ रहा है। शहर के कई फिश प्वॉइंट्स पर कछुओं की तस्करी हो रही है। दुकानों पर एक्वेरियम में मछली बेचने के साथ कछुए भी बेचे जा रहे हैं। कछुओं को 400 से 800 रुपये तक की कीमत में बेचा जा रहा है। इंडियन टेंट टर्टल प्रजाति के कछुए की मांगएक्वेरियम से सेल किए जाने वाले कछुए अधिकतर इंडियन टेंट टर्टल प्रजाति के होते हैं। इनकी तस्करी की जाती है। इन कछुओं के कवर पर लाल रंग का मार्क होता है और यह अधिकतर उत्तर भारत, पश्चिम बंगाल व विदेशों में बांग्लादेश और नेपाल में पाए जाते हैं। इस प्रजाति के कछुए 4 इंच से 5.5 इंच तक के होते हैं। जबकि मादा कछुआ 5 से 9 इंच तक होती है। इनके प्राकृतिक आवास नदी के किनारे, तालाब और चट्टानों की बीच की जगह होती है।
इन कामों के लिए कछुए की मांग - तांत्रिक गतिविधियों के लिए - सेक्सुअल क्षमता बढ़ाने की दवा के लिए - घर में वास्तु के लिए शुभ माना जाता है - गोश्त में भी इस्तेमाल होता है - धन लाभ के लिए घर पर रखा जाता है इंटरनेशनल मार्केट में लाखों रुपये कीमत रेजस्टार कछुओं की कीमत इंटरनेशनल मार्केट में लाखों रुपए होती है। जबकि, पिगनोज कछुए आसानी से मिल जाते हैं। हालही में शहर में पकड़े गए तस्करों ने पुलिस को बताया कि 20 नाखून वाले कछुए की कीमत 8-10 लाख रुपये तक की होती है। रेयर प्रजाती के कछुओं की नेपाल, बंगलादेश में तस्करी की जाती है। संरक्षित वन्य जीव की कैटेगिरी में शामिल आईपीसी के तहत वन्य, जलीय जीव प्राणियों के लिए अलग कानून है। भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के अंतर्गत संरक्षित वन्य जीव प्राणियों की बिक्री और खरीदारी गैरकानूनी है। इसमें संरक्षित वन्य जीव की लिस्ट बनाई गई है। इसमें हर प्रजाति का कछुआ भी शामिल है। सजा - तीन वर्ष की कैद- 25 हजार जुर्माना
शहर में फिश प्वॉइंट्स 800 इन राज्य में हो रही सप्लाई - पश्चिम बंगाल - मध्य प्रदेश - राजस्थान इन देशों में भी डिमांड - नेपाल - चीन - बांग्लादेश