एक महीने में चार सौ पॉजिटिव का नहीं मिला पता ठिकाना

जांच रिपोर्ट आने के बाद हुए लापता, परेशान है स्वास्थ्य विभाग

सिटी के 400 पॉजिटिव ने अपने सहित दूसरों की जिंदगी को खतरे में डाल दिया है। इन लोगों ने कोरोना जांच कराने के दौरान अपना पता गलत नोट कराया और जब रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो इनका घर नहीं मिला। इनकी तलाश में आरआरटी टीमें को भी लगाया गया जिसका भी कोई फायदा नहीं हुआ। यह पॉजिटिव मामले कहां पर हैं और किस हालत में यह भी किसी को पता नहीं है। अनजाने में यह दूसरों को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।

जान बूझकर करते हैं हरकत

कोरोना जांच के दौरान जांचकर्ता व्यक्ति से उसका पता और मोबाइल नंबर नोट करते हैं। जिससे पॉजिटिव आने के बाद उनसे संपर्क किया जा सके। लेकिन बहुत से लोग अपनी पहचान छिपाने की कोशिश करते हैं। ऐसे में वह अपना आधार वेरिफिकेशन न कराकर गलत पता नोट कराते हैं और जांच करा लेते हैं। जब रिपोर्ट पाजिटिव आती है तो ऐसे लोगों को ट्रेस कर पाना मुश्किल होता है। एक अप्रैल से अभी तक 400 ऐसे लोग सामने आ चुके हैं। इनका मोबाइल नंबर या तो गलत है या फिर उस पर कॉल नहीं हो पा रही है। कुछ के नंबर बंद आ रहे हैं। नियमानुसार पाजिटिव आने के बाद रैपिड रिस्पांस टीमें लोगों के घर जाकर दवा पहुंचाती हैं और उनका हालचाल लेती हैं। अगर मामला सीरियस है तो मरीजों को अस्पताल में भी भर्ती कराया जाता है। अधिकारी कहते हैं कि जांच के दौरान आधार की फोटोकापी लेने का नियम है लेकिन बहुत से मरीज कहते हैं उनका आधार नहीं बना है ऐसे में उनकी जांच ऐसे ही करनी पडती है।

नहीं बनता कंटेनमेंट जोन, फैलता है संक्रमण

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ऐसे मामलों में मरीजों के घर के आसपस कंटेनमेंट जोन की कार्रवाई नही हो पाती, जिससे दूसरों में संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है। यह लोग पाजिटिव होते हैं और दूसरे इनसे अनजान होते हैं। इसलिए लोगों को ऐसी लापरवाही नहीं करनी चाहिए। जांच के दौरान सही पता और फोन नंबर नोट कराना जरूरी होता है। ऐसे मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने में भी दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है।

सौ टीमें कर रही है देखरेख

जानकारी के मुताबिक इस समय होम आइसोलेशन में 7156 मरीज मौजूद हैं जिनकी देखभाल के लिए 100 आरआरटी टीमों को लगाया गया है। इन टीमों का काम मरीजों को दवा पहुंचाना और उनका स्टेटस पता करना है। पिछले 13 माह में 56291 मरीज एचआई से ठीक भी हो चुके हैं। डॉक्टर्स कहते हैं कि पहले हमारे पास 40 टीमें थी, जिससे सभी को दवा उपलब्ध नहीं हो पाने की शिकायत मिलती थी। लेकिन अब इन टीमों को बढाकर सौ कर दिया गया है।

गलत पता बताने के नुकसान

- इलाज में सरकार की सहायता नहीं मिल पाती।

- अस्पताल में भर्ती होने पर हो सकती है समस्या।

- अनजाने में दूसरों को फैला सकते हैं संक्रमण।

- भविष्य में सरकार कोई स्कीम निकालती है तो क्लेम नहीं कर सकते।

- बीमा कंपनी का लाभ लेने से भी रह जाएंगे वंचित।

जो लोग गलत पता लिखाकर जांच कराने जाते हैं उनके पॉजिटिव आने के बाद काफी मशक्कत करनी पड़ती है। ऐसे चार सौ लोगों का आज तक पता नहीं चला है। इनसे दूसरों को भी संक्रमण फैल सकता है।

डॉ अनुपम द्विवेदी

इंचार्ज, आरआरटी टीम प्रयागराज

Posted By: Inextlive