-कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच भी कई विभाग के कर्मचारी पेश कर रहे हैं मिसाल

-ऑफिस में सहयोगियों के संक्रमित होने के बाद भी जज्बा बरकरार, कर रहे ड्यूटी

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PRAYAGRAJ: मुश्किल और परेशानी के इस वक्त में सोसायटी में दो चेहरे देखने को मिल रहे है। कोरोना के इस टेस्टिंग पीरियड में कुछ लोग जहां डरकर हार मान जा रहे हैं। वहीं कुछ ऐसे भी लोग हैं जो अपनी हिम्मत और हौसले से मिसाल पेश कर रहे हैं। बुधवार को आबकारी विभाग में जमकर हंगामा मचा। ऑब्जेक्शन था कि मंगलवार को यहां कोरोना पेशेंट मिलने के बाद ऑफिस बंद रखना चाहिए। लेकिन यह लोग यह बात भूल गए कि रेलवे, हॉस्पिटल्स और पुलिस में लगातार कोरोना केसेज मिलने के बाद भी यह लोग लगातार ड्यूटी कर रहे हैं।

हौसले से यह बन रहे हैं प्रेरणा

1. हॉस्पिटल स्टाफ बन रहा मिसाल

सिटी के अलग-अलग हॉस्पिटल्स में कई डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं। एसआरएन के कई डॉक्टर्स भी संक्रमित हुए। एसीएमओ से लेकर सोरांव के डॉक्टर ने तो कोरोना संक्रमण के चलते अपनी जान भी गंवा दी। लेकिन इसके बावजूद न तो डॉक्टर्स ने हार मानी और न ही मेडिकल स्टाफ ने। यह सभी पूरे जज्बे और हौसले के साथ मरीजों के इलाज में लगे हुए हैं। इनमें से कई तो ऐसे हैं, जो कोरोना पेशेंट्स का ही इलाज कर रहे हैं।

2. रेलवे इंप्लॉईज ने दिखाया हौसला

उत्तर मध्य रेलवे के मंडल कंट्रोल ऑफिस से सभी ट्रेनों के संचालन की मॉनिटरिंग होती है। 26 जून को मंडल कंट्रोल ऑफिस में एक कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव मिला। इसके बाद देखते ही देखते एक सप्ताह के अंदर 20 कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव पाए गए। इन कर्मचारियों के संपर्क में 40 कर्मचारी आए थे। उसके बाद भी ट्रेनों के संचालन पर कोई असर नहीं पड़ा। जिससे आम लोगों को किसी भी प्रकार की असुविधा ना हो सके। वास्तव में रेलवे कर्मचारी भी कोरोना वारियर्स की भूमिका निभाते नजर आए। एक दिन के लिए भी ट्रेनों के संचालन को नहीं रोका गया।

3. पुलिस भी लगातार कर रही ड्यूटी

कोरोना वॉरियर्स के रूप में पुलिसकर्मियों ने भी लगातार संक्रमण के बीच रहकर लोगों की हेल्प की। इस दौरान एक दर्जन से अधिक पुलिस कर्मी कोरोना संक्रमित हुए। यहां तक कि पूर्व एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज भी कोरोना से संक्रमित हो गए। उसके बाद भी सभी थाने और एसएसपी ऑफिस लगातार लोगों की सेवा के लिए खुले रहे। कोरोना वारियर्स समाज में लोगों के लिए मिसाल के रूप में अपनी सेवा लगातार दे रहे हैं। इन्होंने यह बात सिद्ध कर दी कि डर के आगे ही जीत है। कोरोना संक्रमण से डर कर नहीं, बल्कि लड़कर उस पर जीत दर्ज करने से ही ये लड़ाई जीती जा सकती है।

निगेटिव

1. आबकारी ऑफिस खुलने का विरोध

अब आते हैं इसके दूसरे पहलू पर। जहां लोग कोरोना को लेकर डरे बैठे हैं। सोमवार को आबकारी मुख्यालय में एक साथ चार कर्मचारियों के कोरोना पॉजिटिव आने के बाद हड़कंप मच गया। बुधवार को कर्मचारियों ने ऑफिस के बाहर खड़े होकर ऑफिस को तीन दिन बंद करके उसका सेनेटाइजेशन कराने की मांग को लेकर प्रदर्शन करने लगे। कर्मचारियों ने जमकर प्रदर्शन किया। इस दौरान ऑफिस के गेट के अंदर किसी भी कर्मचारी और अधिकारी को प्रवेश नहीं करने दिया। उधर बुधवार को मुख्यालय आ रहे आबकारी आयुक्त को भी कुछ अधिकारियों ने मामले की जानकारी दी। इसके बाद आबकारी आयुक्त ने कर्मचारियों की मांग का समर्थन करते हुए सेनेटाइजेशन के बाद ही ऑफिस खोलने की मांग की।

2. बिजली विभाग में डर से एसडीओ जेई हुए गायब

वहीं बिजली विभाग में चीफ इंजीनियर के पॉजिटिव आने के बाद सभी एसडीओ व जेई ने खुद को किया आइसोलेट कर लिया है। एक हफ्ते पहले एक मीटिंग के दौरान सभी एक-दूसरे से इंटरेक्ट हुए थे। इसके बाद एहतियातन सभी दूरी बरत रहे हैं। नतीजा यह हुआ है कि करोड़ों रुपए की जांच का मामला ठंडे बस्ते में जाता दिख रहा है। गौरतलब है कि गंगापार के अधीक्षण अभियंता आनंद पांडेय ने करोड़ों के घोटाले के खिलाफ आवाज उठाई थी। अधीक्षक अभियंता द्वारा जार्जटाउन थाने में मुकदमा भी दर्ज कराया गया था। मुकदमा दर्ज हुए तकरीबन दो महीने होने को आया है। लेकिन अधीक्षण अभियंता बयान दर्ज कराने नहीं जा रहे हैं। विवेचना अधिकारी पवन त्रिवेदी के मुताबिक बयान दर्ज नहीं होने से केस प्रभावित हो रहा है। वहीं अधीक्षण अभियंता कोरोना का हवाला देकर टाल-मटोल कर रहे हैं।

Posted By: Inextlive