-यूपीटेट-2019 में इनवैलिड लैंग्वेज और सिरीज की गलत फीडिंग बनी मुसीबत

-इसके चलते रोक दिया गया है 20 हजार अभ्यर्थियों का रिजल्ट

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PRAYAGRAJ: यूपी टीचर्स एलिजबिलिटी टेस्ट यानी टीईटी 2019 में छोटी सी गलती हजारों स्टूडेंट्स के लिए मुसीबत का सबब बन गई। परीक्षा के दौरान गलती से दूसरी लैंग्वेज में टिक लगाने के कारण हजारों की संख्या में परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों का रिजल्ट रोक दिया गया। ऐसे में बेहतर करने का दावा करने वाले अभ्यर्थी भी परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय के चक्कर लगाने में मजबूर हो रहे हैं। अभ्यर्थियों को समझ नहीं आ रहा है कि इस छोटी सी गलती को सुधार कैसे कराए। जबकि परीक्षा नियामक की ओर से स्पष्ट निर्देश है कि इस प्रकार की गलती पर रिजल्ट घोषित नहीं किया जाएगा।

अभ्यर्थियों के अलग-अलग एक्सक्यूज

परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय पहुंचे सैकड़ों अभ्यर्थियों की प्रॉब्लम एक ही थी। इस दौरान जब अभ्यर्थियों ने इनवैलिड लैंग्वेज, इनवैलिड सीरिज, डेट ऑफ बर्थ जैसे गलती होने के बारे में पूछा गया तो सबसे अलग-अलग एक्सक्यूज थे। मैनपुरी से परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय पहुंचे मितेश कुमार यादव ने बताया कि परीक्षा के दौरान बारिश के कारण अभ्यर्थी किसी प्रकार समय से सेंटर तक पहुंचे थे। ऐसे में अगर छोटी सी गलती हो गई तो उनका रिजल्ट नहीं रोकना चाहिए। उन्होंने कहा कि परीक्षा नियामक से भी तो गलती हुई है। उन्होंने भी मा‌र्क्स में आर के स्थान पर टी लिख दिया है। इस पर वह मानवीय भूल बता रहे हैं। जबकि लैंग्वेज में गलती से टिक लगाने पर हजारों अभ्यर्थियों का रिजल्ट ही रोक दिया जाता है। यह कहां का न्याय है। गोरखपुर से पहुंची अमृता सिंह का कहना है कि परीक्षा के दौरान इनविजिलेटर तैनात किए जाते हैं। उन्हें इसके लिए अच्छा मानदेय भी दिया जाता है। अगर अभ्यर्थी से गलती हो गई, तो इनविजिलेटर को तो चेक करना चाहिए था। अगर वह सही ढंग से चेक कर लेते तो अभ्यर्थी वहीं अपनी गलती सुधार कर सकता था। सीटेट में इसी प्रकार की गड़बड़ी के बाद भी रिजल्ट घोषित किया जाता है। लेकिन परीक्षा नियामक प्राधिकारी का निर्णय अभ्यर्थियों को सिर्फ परेशान करने के लिए ही है।

अभ्यर्थियों से छोटी गलती हुई है, लेकिन उसकी इतनी बड़ी सजा नहीं दी जानी चाहिए। मानवीय गलती समझकर सुधार करते हुए रिजल्ट घोषित होना चाहिए।

-सोनू मिश्रा, शाहजहांपुर

पहली बार यूपीटेट की परीक्षा दी थी। ऐसे में अभ्यर्थी काफी प्रेशर में रहते हैं। अगर छोटी सी गलती हो गई तो उसकी इतनी बड़ी सजा देना कहां का न्याय है।

-श्रीशंकर, औरैया

परीक्षा वाले दिन सुबह से ही मौसम बेहद खराब था। वैसे ही लेट होते-होते बचे थे। टेंशन भी ज्यादा थी। लैग्वेज भरने में गलती हो गई। यहां तो रिजल्ट ही रोक दिया गया।

-रुखसार, वाराणसी

परीक्षा के दौरान क्लासरूम में ओएमआर शीट 10 मिनट लेट मिली थी, उस समय परीक्षा देने पर ज्यादा फोकस था। जिसके कारण गलती हुई।

-रवि शाक्य, मैनपुरी

शासनादेश में इसके लिए कोई प्रावधान नहीं है। परीक्षा के पूर्व ही निर्देश में इसी प्रकार की गलतियों को लेकर निर्देश स्पष्ट किए गए थे। ऐसे में फिलहाल कोई बदलाव की उम्मीद नहीं है।

-अनिल भूषण चतुर्वेदी

सचिव, परीक्षा नियामक प्राधिकारी

Posted By: Inextlive