यूपी बार काउंसिल के आह्वान पर हाईकोर्ट समेत किसी भी बार के वकीलों ने नहीं किया काम

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लंबित मांगों का निस्तारण न होने से नाराज अधिवक्ता सोमवार को न्यायिक कार्य से विरत रहे। सरकार की नीतियों के खिलाफ हाथ में लाल पट्टी बांधकर अधिवक्ता सड़क पर उतरे। अधिवक्ताओं की हत्या व मारपीट की घटना पर अंकुश लगाने, मृतक वकीलों के परिजनों को सहायता धनराशि देने की पुरजोर मांग की गई। अधिवक्ताओं के न्यायिक कार्य से विरत रहने के कारण कोर्ट में सन्नाटा पसरा रहा। एक माह के अंदर यह दूसरा न्यायिक कार्य बहिष्कार है।

वकीलों से मारपीट को लेकर नाराजगी

यूपी बार काउंसिल के आह्वान पर प्रदेशभर के अधिवक्ताओं ने सोमवार को न्यायिक कार्य नहीं किया। हाईकोर्ट, इनकम टैक्स, कैट, रेवेन्यू, जिला व तहसील के अधिवक्ताओं ने जुलूस निकालकर प्रदर्शन किया। इलाहाबाद हाईकोर्ट के गेट नंबर तीन पर प्रदर्शन हुआ। वहां हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश पांडेय ने आए दिन अधिवक्ताओं के साथ मारपीट व उनकी हत्या की घटनाएं न रुकने पर नाराजगी व्यक्त की। महासचिव जेबी सिंह ने मृतक अधिवक्ताओं के परिजनों के लिए शासन से सहायता धनराशि की मांग की। एसोसिएशन के नवनिर्वाचित अध्यक्ष अमरेंद्रनाथ सिंह, महासचिव प्रभाशंकर मिश्र, संतोष कुमार मिश्र ने विचार व्यक्त किए। प्रदर्शन की अगली कड़ी में अधिवक्ता 23 मार्च को तहसील व जिला मुख्यालय पर धरना-प्रदर्शन करेंगे।

क्यों नाराज हैं अधिवक्ता

करीब 500 मृतक अधिवक्ताओं की पत्रावलियों का भुगतान पेंडिंग है

पूर्व की सरकारों ने प्रति वर्ष 40 करोड़ न्यायी समिति को दावों के भुगतान के लिए दिए जाने का प्राविधान रहा है लेकिन, मौजूदा सरकार उसको नहीं दे रही है।

वर्तमान सरकार ने मृत्यु की आयु 60 से बढ़ाकर 70 वर्ष कर दी है

जिससे योजनाओं को चलाए जाने के लिए अब प्रतिवर्ष 80 करोड़ रुपये की जरूरत है।

यह भुगतान न होने से अधिवक्ताओं में रोष है।

Posted By: Inextlive