एक्स्ट्रा के लिए 'सुविधा' शुल्क
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सरकारी कोविड हॉस्पिटल में भर्ती पेशेंट को बाहर से उपलब्ध हो रहा सामान पीपीई किट पहनकर अस्पताल में डिलीवरी दे रहे हैं बाहरी वीडियो में कैद हुआ सच, मचा हड़कंप, जांच के आदेशPRAYAGRAJ: जिले में एक तरफ कोरोना बेलगाम होता जा रहा है। न सिर्फ पॉजिटिव मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। बल्कि मौतों का आंकड़ा भी चिंताजनक ढंग से बढ़ रहा है। इस बीच इलाज की व्यवस्थाओं पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं। शुक्रवार को सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में कोरोना का इलाज करा रहे लोगों से एक्स्ट्रा फेसेलिटी का रेट फिक्स कर दिया गया है। यह काम करने वाले बकायदा पीपीई किट पहनकर ऐसा कर रहे हैं ताकि पहचान में न आ सकें। वीडियो बनाकर इस सच को वायरल किया गया है। इसमें वसूली की पूरी पोल खोली गयी है। वीडियो सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है। सूत्रों का कहना है कि जांच शुरू करा दी गयी है।
पैसा मांगते दिख रहे हैं पीपीई किट पहने लोगसोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में पीपीई किट पहने कुछ लोग मरीजों के परिजनों से पैसे मांग रहे हैं। यह वायरल वीडियो एक मरीज के परिजनों ने बनाया है। यह मरीज कोरोना वार्ड में एडमिट था। बाद में उसकी मौत हो गई। बताया जाता है कि सोरांव के रहने वाले सतीश कुमार शर्मा मुंबई में फिल्मों और टीवी सीरियल्स की एडिटिंग करते हैं। उनके पिता लक्ष्मी नारायण शर्मा को एक अगस्त को जुकाम और बुखार हुआ। परिवार वाले उन्हें अगले दिन एसआरएन लेकर पहुंचे। यहां जांच में रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उन्हें कोरोना वार्ड में भर्ती करा दिया।
अव्यवस्थाओं का दावा पिता की बीमारी की खबर सुनकर मुंबई में रहने वाला सतीश और इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा उसका छोटा भाई लकी भी आ गया। उनका दावा है कि कोरोना वार्ड में मरीजों की कोई देखभाल नहीं होती थी। न तो टाइम पर पानी मिलता था, न फल और न ही दवाएं। पीडि़त लक्ष्मी नारायण अंदर से फोन के जरिए बेटों को अपनी बेबसी बयां करते थे। यह सब सुनने के बाद उनके बेटों ने कोरोना वार्ड में ड्यूटी करने वाले वार्ड ब्वाय व नर्सो से संपर्क किया। उनसे रिक्वेस्ट करते हुए कहा कि उनके पिता के पास जूस और अन्य जरूरी सामान पहुंचा दें। उनकी बातें सुनने के बाद मेडिकल स्टाफ ने उसने पैसों की डिमांड की। वीडियो में इन अव्यवस्थाओं का दावाकोरोना मरीज तक जूस पहुंचाने के नाम पर वसूले जाते हैं 50 रुपए।
बिना पैसा लिए हॉस्पिटल का स्टाफ मदद करने को नहीं होता है तैयार। मरीजों के तीमारदार भी पैसा देकर ही कराते हैं काम। बाहर से मरीज का मोबाइल चार्ज कराने तक के तीन सौ से पांच सौ रुपए लिए जाने के दावे। मरीज तक सामान पहुंचाने वाले पीपीई किट पहनकर आते हैं पैसा गिनवाने के बाद झोले या थैले के अंदर रखकर सामान कोरोना मरीज तक पहुंचता है। सामान व उसके साथ मरीज का नाम व बेड नंबर पर्ची पर लिखा हुआ होता है। पहले भी वायरल हुए हैं वीडियो -बीते मंगलवार को बेली हॉस्पिटल में कोरोना मरीजों ने सही खाना नहीं मिलने की बात पर जमकर हंगामा किया था। इसके बाद हॉस्पिटल प्रशासन ने किसी तरह से मरीजों को समझाया था। -एसआरएन के कोरोना वार्ड से एक मरीज रात में लापता हो गया था। उसकी बेटी के मुताबिक उसने इलाज में लापरवाही की बात कही थी। बाद में वह मरीज मृत हालत में मिला था। -कोटवा में भी कुछ मरीजों ने अव्यवस्थाओं का हवाला देकर हंगामा काटा था। तब अगले दिन डीएम ने जाकर मामले को सुलझाया था।वीडियो सामने आने के बाद तीन सदस्यों की टीम गठित कर दी गई है। गठित टीमें तीन के अंदर रिपोर्ट पेश करेंगे। जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
-एसपी सिंह, प्रिंसिपल एसआरएन हॉस्पिटल