-ऑक्सीजन लेवल 20 पहुंचने के बावजूद कोरोना संक्रमित ने दी मौत को मात

-12 दिन बाद लौटे घर तो सभी ने दी हौसले की दाद

PRAYAGRAJ: हिम्मत और हौसला हो तो मौत को भी मात दी जा सकती है। बहादुरगंज के रहने वाले 50 साल के प्रीतमदास गुप्ता (बदला हुआ नाम) ने इसे साबित कर दिखाया है। उनका ऑक्सीजन लेवल काफी लो हो गया था। हालत देखकर हर किसी ने उम्मीद छोड़ दी थी। लेकिन प्रीतमदास ने हिम्मत नहीं छोड़ी और लगातार संघर्ष करते रहे। देखते ही देखते उनका ऑक्सीजन लेवल आश्चर्यजनक रूप से बढ़ने लगा। एक दिन पहले उन्हें डिस्चार्ज भी कर दिया गया।

अचानक हुई सांस की तकलीफ

बहादुरगंज के रहने वाले प्रीतमदास पेशे से व्यापारी हैं। 20 दिन पहले उनको खांसी आ रही थी। घरवालों ने नॉर्मल खांसी-जुकाम समझकर उन्हें सिरप दिया। इसके बाद खांसी बंद हो गई, लेकिन 24 घंटे बाद चार सितंबर को अचानक उनको सांस लेने में प्रॉब्लम होने लगी। परिजनों ने बिना देरी किए डॉक्टर से संपर्क किया। बताया गया कि उन्हें एसआरएन हॉस्पिटल में भर्ती कराना होगा। परिजनों ने उन्हें सस्पेक्टेड कोविड वार्ड में एडमिट किया। पांच सितंबर को उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर कोरोना वार्ड में भर्ती किया गया।

20 परसेंट था ऑक्सीजन लेवल

उम्मीद भी नहीं की जा सकती कि 20 परसेंट ऑक्सीजन लेवल होने पर भी कोई जीवित रह सकता है। लेकिन प्रीतमदास जीवित रहे। आक्सीजन पर एक-एक सांस की जंग लड़ रहे थे। उनकी पत्नी बताती हैं कि मैंने सबकुछ भगवान पर छोड़ दिया था। डॉक्टरों से फोन पर बात होती थी तो वह यही बताते थे कि उनका ऑक्सीजन लेवल काफी कम है और उन्हें कोई चमत्कार ही बचा सकता है।

धीरे-धीरे होने लगा सुधार

पत्नी बताती हैं कि कि दो दिन बाद उनको डॉक्टर ने बताया कि प्रीतमदास के आक्सीजन लेवल में सुधार हो रहा है। ऑक्सीजन लेवल तीस से चालीस पर पहुंच गया है। एक-एक दिन करके यह 60 पर पहुंच गया। फेफड़े के संक्रमण में सुधार हो रहा था। फिर उनका ऑक्सीजन लेवल नार्मल हो गया और 17 सितंबर को कोरोना निगेटिव रिपोर्ट आने के बाद उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया। खुद डॉक्टर्स भी प्रीतमदास की इच्छाशक्ति देखकर हैरान हैं। हालांकि उन्हें शुगर या बीपी की शिकायत नही थीं जो उनके लिए सपोर्टिव साबित हुई।

कभी नहीं लगा कि उनको कुछ हो जाएगा

सुधा कहती हैं कि उन्हें एक पल को भी नही लगा कि उनके पति को कुछ हो सकता है। उन्हें भगवान पर पूरा भरोसा था। जबकि प्रीतमदास ने बताया कि वह एक-एक सांस पर भगवान को याद करते थे और उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। उन्हें हर हाल में जीवन जीना था। वह पूरी तरह से मानसिक रूप से मजबूत थे और बॉडी का दिमागी तौर पर सपोर्ट कर रहे थे। फिलहाल वह घर पर हैं। डॉक्टर्स ने उन्हें कुछ दिन और ऑक्सीजन पर रहने को कहा है। फिलहाल वह पूरी तरह से खतरे से बाहर हैं।

यह वाकई किसी चमत्कार से कम नहीं है। हमारे डॉक्टर्स लगातार उनकी मॉनीटरिंग कर रहे थे। समय पर दवाएं दी जा रही थीं। लेकिन उन्होंने जिस तरह से रिकवरी की वह दूसरों के लिए एक मिसाल है।

-प्रो। एसपी सिंह, प्रिंसिपल एमएलएन मेडिकल कॉलेज प्रयागराज

Posted By: Inextlive