हिंदी डिपार्टमेंट में नियुक्ति को किया गया था चैलेंज, याची ने खुद वापस ले ली याचिका, कोर्ट ने खारिज की

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इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करके इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो। रतनलाल हांगलू के कार्यकाल में ¨हदी विभाग में हुई नियुक्ति की चुनौती देने वाली याचिका वापस हो गई। हिंदी विभाग में 32 प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसरों के चयन को चुनौती देने वाले याची ने याचिका वापस ले लिया। इस आधार पर कोर्ट ने याचिका खारिज कर दिया। यह आदेश जस्टिस विश्वनाथ सोमद्दर और जस्टिस डॉ। वाईके श्रीवास्तव की खंडपीठ ने दिया। सभी शिक्षकों की नियुक्ति रद करने की याचिका प्रयागराज के प्रदीप कुमार द्विवेदी ने दाखिल की थी।

चयन प्रक्रिया आर्डिनेंस के विपरीत

याचिका में पूरी चयन प्रक्रिया को आर्डिनेंस के विपरीत बताते हुए उसे रद करने की मांग की गई थी।

याची के अनुसार प्रो। रतनलाल हांगलू ने अपने कार्यकाल में मनमाने तरीके से विभिन्न विभागों में शिक्षकों की नियुक्तियां की थी।

इसी क्रम में हिन्दी विभाग में 32 शिक्षकों की नियुक्तियां की गई जो पूरी तरह अवैधानिक व अध्यादेश के विपरीत है।

नियमानुसार पूरी चयन प्रक्रिया ही गलत है, क्योंकि नियमानुसार चयन समिति में किसी भी बाहरी व्यक्ति को शामिल नहीं किया जा सकता था।

लेकिन इन शिक्षकों का चयन करने वाली समिति में प्रो। गोपेश्वर सिंह शामिल थे

स्क्रीनिंग कमेटी को बताया था डिफेक्टिव

नियमानुसार स्क्रीनिंग कमेटी में विभागाध्यक्ष, डीन एवं दो एक्सपर्ट रह सकते थे

इनमें एक एक्सपर्ट बाहर का हो सकता था

लेकिन प्रो। हांगलू ने मनमाने तरीके से स्क्त्रीनिंग कमेटी में दो की जगह तीन एक्सपर्ट रख दिए

कहा गया कि चयनित शिक्षकों से नियुक्ति के पूर्व हलफनामा भी लिया गया था कि नियमों में परिवर्तन होने पर उनका चयन व नियुक्ति शून्य हो जाएगी।

जब चयन किया जा रहा था, तब रोस्टर 16 लागू था। बाद में मानव संसाधन मंत्रालय ने अध्यादेश लागू कर दिया।

लेकिन, उन 32 शिक्षकों की सेवा समाप्त नहीं की गई।

Posted By: Inextlive