हत्या के आरोप में रामपुर के व्यक्ति को मिली थी सजा

prayagraj@inext.co.in

17 साल पहले 1993 में हत्या के आरोप में उम्र कैद की सजा पाकर जेल में बंद नंनलाल की सजा इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रद कर दी है। शुक्रवार को जस्टिस पंकज नकवी और सुरेश कुमार गुप्ता की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि यदि वह किसी अन्य मुकदमे में वांछित न हो तो उसे रिहा कर दिया जाय। दीनदयाल और नंदलाल को सेशन कोर्ट रामपुर ने 28 मई 1993 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इस सजा के खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी।

क्राइम स्पॉट पर मौजूदगी संदिग्ध

अधिवक्ता सुधांशु कुमार कहना था कि उपरोक्त मामले में वादी मुकदमा श्रीकृष्ण जो मृतक राम अवतार का पिता है कि घटनास्थल पर मौजूदगी संदिग्ध है। वादी का कहना है कि उसका पुत्र और वह 17 दिसंबर 1990 को सुबह 9.30 बजे खेत में पानी लगाने के लिए सरकारी ट्यूबवेल पर गए थे। लाइट न होने के कारण वह और उसका पुत्र वहीं बैठकर इंतजार कर रहे थे। तभी गांव के नंदलाल और दीनदयाल वहां आकर पहले अपने खेत में पानी लगाने की जिद करते हुए झगड़ा करने लगे। इसी बात को लेकर अभियुक्तों ने राम अवतार को चाकू मारकर घायल कर दिया। वादी अपने बेटे को बचाने दौड़ा तो उसे भी चाकू लेकर दौड़ा लिया गया।

पुआल में आग लगाकर फेंक दिया

इसके बाद अभियुक्तों ने राम अवतार को पुआल में आग लगाकर उसमें फेंक दिया। इससे अस्पताल ले जाते समय उसकी मृत्यु हो गई। अधिवक्ता का कहना था कि वादी मुकदमा की घटनास्थल पर मौजूदगी संदिग्ध है, क्योंकि उसके मुताबिक वह अपने बेटे को कंधे पर उठा करके घर तक ले गया। लेकिन, उसके शरीर और कपड़ों पर कहीं भी खून का दाग नहीं लगा था। इसी प्रकार से मृतक के सिर में आयी गंभीर और गहरी चोट का जिक्र न तो वादी ने अपने बयान में किया है और न ही प्राथमिकी में किया गया है कि वह चोट कैसे लगी। कोर्ट ने बचाव पक्ष की दलील मंजूर करते हुए अभियुक्त नंदलाल को संदेह का लाभ देकर के रिहा कर दिया है। जबकि दीनदयाल की मुकदमे की सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई थी इसलिए उसका मुकदमा समाप्त कर दिया है।

Posted By: Inextlive