अगर हैं उम्रदराज तो हॉस्पिटल बेहतर है जनाब
90 फीसदी है साठ साल से ऊपर के मरीजों की संख्या जो कोरोना से गंवा चुके हैं जान
04 दिन तक हॉस्पिटल में भर्ती रहें ऐसे मरीज तो कम हो सकता है मॉर्टेलिटी रेट 25 मरीजों को होम आइसोलेशन के बजाए हॉस्पिटल जाने को किया कन्विंस -साठ साल से अधिक उम्र वाले कोरोना मरीजों से हॉस्पिटल में इलाज कराने की अपील -होम आइसोलेशन में हो सकता है खतरा, बिगड़ सकती है बुजुर्गो की हालत -कुछ मामले सामने आने के बाद सतर्क हुआ शासन-प्रशासनPRAYAGRAJ: कोरोना संक्रमित बुजुर्गो के इलाज को लेकर शासन-प्रशासन अलर्ट हो गया है। ऐसे मरीजों से हॉस्पिटल में भर्ती होकर इलाज कराने की अपील की जा रही है। यह अभियान खासतौर पर साठ साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए शुरू किया गया है, जो जबरन होम आइसोलेशन में रहना चाहते हैं। इनके लिए शर्त यह रखी गई है कि एक बार वह हॉस्पिटल में जाकर अपनी पूरी जांच करा लें। अगर वह स्वस्थ हैं तो उन्हें थोड़े समय के बाद वापस होम आइसोलेशन में भेज दिया जाएगा।
लगातार हो रही मौतेंजिले में कोरोना से होने वाली मौतों में 90 फीसदी साठ से अधिक उम्र वाले हैं। ऐसे में सरकार नहीं चाहती कि बुजुर्ग और ज्यादा कोरोना के शिकार बनें। ऐसे में उम्रदराज मरीजों से कोरोना संक्रमित होने के बाद हॉस्पिटल में भर्ती होने के लिए कहा जा रहा है। अगर नॉर्मल मरीज हैं तो भी वह एल वन हॉस्पिटल में एडमिट होकर अपनी जांच करा लें। कम से कम तीन से चार दिन हॉस्पिटल में एडमिट रहने के बाद उन्हें संभवत: पुन: होम आइसोलेशन पर भेज दिया जाएगा।
अचानक बिगड़ती है हालत अभी तक कोरोना के सामने आए मामलों में यह भी देखा गया है कि मरीज की हालत अचानक खराब होती है। शुरुआत में लोगों को फेफड़े के निमोनिया के बारे में अंदाजा नहीं होता। सांस लेने में तकलीफ होने पर उन्हें संक्रमण की जानकारी होती है। तब तक देर हो चुकी होती है। इनमें से कई मरीज मुश्किलों से बच पाते हैं तो कुछ मरीजों की जान भी चली जाती है। इस परिस्थिति को टालने के लिए यह कदम उठाए जा रहे हैं। हॉस्पिटल में भर्ती होने के फायदे -साठ साल से अधिक एज होने पर नियमित अंतराल में ऑक्सीजन, बीपी और शुगर लेवल चेक करना जरूरी होता है। -शुरुआती तीन से चार दिन तक होने वाला खतरा टल जाता है। -मौके पर डॉक्टरों की उपस्थिति से मरीज को इलाज मिल जाता है।-सीरियस कंडीशन होने पर तत्काल ऑक्सीजन सपोर्ट भी दिया जा सकता है।
-इस दौरान परिजनों के संक्रमित होने की आशंका भी कम होती है। पहले दिन 25 मरीजों से हुई बात संक्रमित बुजुर्गो को हॉस्पिटल में भर्ती कराने को लेकर उनकी काउंसिलिंग भी की जा रही है। शुक्रवार को पहले दिन काल्विन हॉस्पिटल की मानसिक रोग स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत टीम ने 25 से अधिक बुजुर्गो से बात की। यह सभी होम आइसोलेशन पर हैं। इन सभी को स्वस्थ होने के बावजूद हॉस्पिटल में भर्ती होने की सलाह दी गई। उनको बताया गया कि लक्षण हों या नहीं, बावजूद इसके सरकार भी चाहती है कि उम्रदराज संक्रमित हॉस्पिटल में भर्ती होकर सुरक्षित तरीके से अपना इलाज कराएं। हम लोग यह चाहते हैं कि उम्रदराज कोरोना मरीज अपना इलाज हॉस्पिटल में करवाएं। जो लोग लक्षण होने के बावजूद होम आइसोलेशन में रहने की जिद करते हैं उनके लिए यह खतरनाक है। एज अधिक होने पर खतरे की संभावना भी अधिक होती है। -डॉ। मेजर गिरिजाशंकर बाजपेई, सीएमओहम लोग टेलीफोन पर ऐसे मरीजों से बात कर रहे हैं। लोग यही कहते हैं कि उन्हें कोई लक्षण नहीं है। बावजूद इसके सरकार चाहती है कि कुछ दिन तो उन्हे हॉस्पिटल में रखकर स्टेबल कर दिया जाए। जिससे किसी अनहोनी से बचा जा सके।
-डॉ। राकेश पासवान, मनोचिकित्सक, राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम