-नैनी सेंट्रल जेल से कैदी को कराया गया था एसआरएन में एडमिट, इलाज के दौरान हो गई थी मौत

-रविवार को पोस्टमार्टम के बाद बॉडी पर चोट देख दंग रह गए लोग, पंचनामा में भी चोट का नहीं किया गया जिक्र

PRAYAGRAJ: एसआरएन हॉस्पिटल में दम तोड़ने वाले कैदी सूरज चौहान (19) की बॉडी पर चोट के निशान मिले हैं। चोट के निशान डंडे के हैं। हॉस्पिटल में दम तोड़ने के बाद मजिस्ट्रेट के द्वारा पंचनामा भरा गया। पंचनामा में बॉडी पर चोट के निशान का जिक्र नहीं किया गया। इसके बाद बॉडी पोस्टमार्टम हाउस भेज दी गई। कैदी के शरीर पर चोट के निशान का रहस्य रविवार को हुए पोस्टमार्टम के बाद सामने आया। कारागार पुलिस द्वारा कैदी को बीमार बताकर हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया था। उपचार के दौरान यहां उसकी मौत हो गई थी। मौत की वजह बीमारी हो या कुछ और सवाल उठता है कि उसके बदन पर चोट के निशान कब और कैसे आए?

एनडीपीएस में भेजा गया था जेल

हंडिया थानाक्षेत्र के उपरदहा गांव निवासी उमराव चौहान के तीन बेटों में सूरज सबसे छोटा था। परिवार में उसकी मां संगीता और दो बहनें हैं। बताते हैं कि 12 अक्टूबर 2019 को हंडिया पुलिस द्वारा उसे नशीले पदार्थ के साथ पकड़ा गया था। पकड़े जाने के बाद उसे पुलिस ने जेल भेज दिया। करीब तीन माह से वह नैनी सेंट्रल जेल में था। सेंट्रल जेल में अचानक उसकी तबीयत खराब हो गई। यह देख 30 जनवरी की दोपहर जेल पुलिस द्वारा उसे एसआरएन हॉस्पिटल लाया गया। यहां डॉक्टरों ने कैदी को भर्तीकर इलाज शुरू कर दिया। हॉस्पिटल में 31 जनवरी की रात तकरीबन 10.40 बजे उसकी मौत हो गई। मौत के बाद मजिस्ट्रेट के द्वारा पंचनामा भरा गया। इसके बाद पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। रविवार को उसकी बॉडी का डॉक्टरों के पैनल द्वारा पोस्टमार्टम किया गया। पोस्टमार्टम बाद परिजन शव को लेकर घर चले गए। सूत्रों ने बताया कि मृतक कैदी की बॉडी पर चोट के निशान पाए गए हैं। उसकी पीट से लेकर कूल्हे व हाथ तक पर डंडे से पहुंचाई गई चोट के स्पॉट मिले हैं। लीवर भी फट चुका था। लीवर चोट लगने से फटा था या फिर बात कुछ और है?

कैसे मिलेंगे सवालों के उत्तर

-पोस्टमार्टम के बाद कैदी सूरज की पीठ से लेकर कूल्हे व बांह पर मिले चोट के निशान कई सवालों को जन्म दे रहे हैं।

-जब वह नैनी कारागार से हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया था तो उसकी बॉडी पर चोट कैसे आई?

-हॉस्पिटल में तो उसे कोई चोट नहीं पहुंचा सकता। कारागार से हॉस्पिटल लाते वक्त रास्ते में कोई पीटेगा नहीं।

-ऐसी स्थिति में सवाल उठता है कि फिर उसकी बॉडी पर डंडे से पिटाई के निशान कब और कैसे आएं?

-कयास लगाए जा रहे हैं कि उसकी पिटाई कारागार के अंदर ही की गई होगी। हालांकि यह किसने किया स्पष्ट नहीं है।

-वह टीबी का मरीज था ही, पिटाई से हालत ज्यादा गंभीर हुई तो हॉस्पिटल में लाकर भर्ती करवा दिया गया।

-सवाल यह भी है कि पोस्टमार्टम के लिए भरे गए पंचनामा में चोट के निशान का जिक्र क्यों नहीं किया गया, इसकी वजह क्या थी?

चोट की बात अफवाह है। मृतक कैदी टीबी का रोगी था। बीमारी की वजह से उसकी आंत सड़ गई थी। पांच फिट आंत काटकर डॉक्टरों ने निकाली थी। उसकी हालत कारागार में ज्यादा बिगड़ी तो इलाज के लिए एसआरएन हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया था। अब उसकी मौत हो गई तो तरह-तरह की बातें की जा रही हैं।

-हरिबक्श सिंह, नैनी सेंट्रल जेल अधीक्षक

Posted By: Inextlive