-रिश्ते में करवरिया बंधु के चचिया ससुर लगते हैं भदोही के विधायक विजय मिश्रा

-फैसले की नकल के साथ हाईकोर्ट के अनुभवी अधिवक्ताओं की टोह शुरू

PRAYAGRAJ: जवाहर पंडित हत्याकांड में करवरिया बंधु समेत चार को आजीवन कारावास की सजा मिली तो भदोही विधायक विजय मिश्र सारथी बन कर उतर पड़े। रिश्ते में विजय मिश्र करवरिया बंधु के चचिया ससुर बताए जाते हैं। करवरिया बंधु के को मिली सजा के फैसले की नकल लेकर शहर में हाईकोर्ट के अनुभवी अधिवक्ताओं की टोह शुरू कर दी गई है। यह सब देखते हुए माना जा रहा है कि करवरिया बंधु की ओर से जल्द ही फैसले को हाईकोर्ट में चैलेंज किया जाएगा।

खुद भी जमानत पर हैं विजय मिश्र

भदोही विधायक विजय मिश्र को आपराधिक मामलों के काट में माहिर माना जाता है। कहा जाता है कि उन्हें कानूनी-दांव पेच में अच्छा-खासा अनुभव है। विधायक विजय मिश्र के खिलाफ भदोही सहित प्रयागराज में भी मुकदमे चल रहे हैं। यह उनके अनुभवों व प्रयासों का ही फल रहा कि उन्हें कोर्ट से जमानत मिल गई है। जानकार बताते हैं कि करवरिया बंधुओं के सितारे गर्दिश में देख विधायक विजय मिश्र उनकी मदद में उतर पड़े हैं। माना जा रहा है कि विजय मिश्र का प्रयास कुछ नया रंग जरूर लाएगा। बताते चलें कि करवरिया बंधु को अपर सत्र न्यायाधीश पंचम बद्री विशाल पांडेय की कोर्ट ने आजीवन कारावास का सजा सुनाया है। चार नवंबर को ही सजा के बिन्दु पर कोर्ट द्वारा फैसला दिया गया।

296 पेज की है पुलिस केस डायरी

विधायक जवाहर पंडित हत्याकांड में लोकल पुलिस व सीबीसीआईडी के द्वारा विवेचना की गई थी। विवेचना बाद कोर्ट में जो केस डायरी पेश की गई वह 296 पेज की है। जबकि अपर जिला जज द्वारा केस में दिए गए फैसले के कुल 227 पेज हैं। फैसले में लगे 23 वर्ष से भी अधिक का समय लगा। समय अधिक हो जाने के कारण वर्तमान समय में केस डायरी के पन्नों को पढ़ने में कठिनाइयां दिखाई दे रही हैं। जबकि कोर्ट के फैसले को आसानी से पढ़ा जा सकता है।

दरोगा ने खेला था खेल

सीबीसीआईडी के दरोगा सगीर अहमद ने जवाहर पंडित हत्याकांड की विवेचना में खेल खेला था। उन्होंने केस डायरी के पर्चा नंबर 25 में लिखा था कि घटना के दौरान कपिल मुनि करवरिया का लखनऊ में होना पाया गया। वह अपना रुख अंतिम रिपोर्ट की ओर बना लिए थे। लेकिन जब सीबीसीआईडी ने अग्रिम विवेचना की तो मामला पलट गया। सगीर अहमद की विवेचना संदेह के घेरे में आ गई थी।

विविध विज्ञान प्रयोगशाला अभिमत में एके-56 शामिल

सपा विधायक जवाहर पंडित हत्याकांड की विवेचना करने वाले विवेचक ने घटना स्थल से बरामद माल को विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजा था। इसमें एक अदद बुलेट बड़ा, चार अदद विकृत बुलेट, छह अदद मेटलिक पीसेज, छह बुलेट व दो जैकेट, पैंट, शर्ट, अंडर वियर, पैंट, बेल्ट, शर्ट, बनियान जिसमें रक्त पाया गया। विधि विज्ञान प्रयोग शाला ने अपने अभिमत में कहा कि विवादित बुलेट एके-47/ एके 56 आग्नेयास्त्र द्वारा चलाए गए हैं। दूसरे मत में कहा कि कि विवादित बुलेट ईबी-8-45 की चली बुलेट है जो पाई गई है। इन आधुनिक हथियारों से किए गए फायर का जिक्र विवेचक ने विधि विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट पर सीडी केस पर्चा नंबर 66 में जिक्र किया है।

फैसला पढ़ने से वंचित रहे डीएम

नगर के बहुचर्चित जवाहर पंडित हत्याकांड का फैसला चार नंवबर को कोर्ट द्वारा सुनाया गया। नियमानुसार चारों आरोपितों को फैसला के बाद फैसले की चार प्रतियां प्रदान की गई। लेकिन जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को फैसले की प्रमाणित नकल मंगलवार को कोर्ट द्वारा भेजी गई। किन्तु डीएम को प्रमाणित फैसले की नकल नहीं मिली। जिससे वे फैसले को पढ़ने से वंचित रह गए।

माल खाना मुहर्रिर व इंचार्ज में लापरवाह कौन

-सिविल लाइंस थाने के तत्कालीन मालखाना मोहर्रिर गिरेंद्र कुमार राय का बयान विवेचक ने पर्चा नंबर 14 में 14 अगस्त 1996 को दर्ज किया था

-इसमें कहा गया था कि संबंधित माल बहवाले रपट नंबर 24 के अनुसार अनिरुद्ध प्रसाद द्वारा दाखिल किया गया।

-इसे तत्कालीन मालखाना मुहर्रिर छोटे लाल गुप्ता ने रजिस्टर में दर्ज किया था, इसमें तीन बंडल व सभी मृतकों के कपड़े थे

-दो पोटली में कंघी, घड़ी, 185 रुपये, पांच सिक्का, चाभी का गुच्छा, एक रुमाल, एक पर्चा खून से सनी शील्ड है

-इस सम्बंध में विवेचक को बताया गया था कि इसे दीमक चाट गए हैं, पुलिस की इस लापरवाही पर कोर्ट ने अपने फैसले में गौर किया है

डीजीसी की मेहनत लाई रंग

जिला शासकीय अधिवक्ता गुलाबचंद्र अग्रहरि की मेहनत व लगन जवाहर पंडित हत्याकांड में भी सफलता की ओर ले गई। दरोगा अनीता चौहान, दरोगा शत्रुघ्न सिंह, रामजन्म भूमि में विस्फोट करके करने वाले आतंकियों को सजा दिलाई। इस केस में भी उन्हें बेहतरीन सफलता हासिल हुई। अब उनका अगला टारगेट फूलपुर से पकड़े गए आतंकवादियों का मुकदमा है।

Posted By: Inextlive