-सीबीएसई व आईसीएसई स्कूलों को नवंबर से खोलने की तैयारी

-पैरेंट्स के मन पर कोरोना संक्रमण का छाया है डर

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PRAYAGRAJ: कोरोना महामारी के चलते स्कूल मार्च से ही बंद हैं। इसके बाद अनलॉक-5 में 9वीं से 12वीं तक के स्कूल खोलने का निर्देश जारी कर दिया गाय है। 19 अक्टूबर से यूपी बोर्ड के स्कूल खुल चुके हैं। वहीं नवंबर से आईसीएसई और सीबीएसई स्कूल भी 9वीं और 12वीं तक के लिए खोलने की तैयारी है। लेकिन इसमें पैरेंट्स का कंसर्न एक बड़ी बाधा बन रहा है। असल में बच्चों को स्कूल बुलाने से पहले स्कूलों को पैरेंट्स से कंसर्न लेना अनिवार्य किया गया है। लेकिन पैरेंट्स फिलहाल बच्चों को लेकर कोई रिस्क लेने को तैयार नहीं। इस बारे में हमने कुछ पैरेंट्स से बात की तो वह भी संशय में नजर आए।

नहीं है वैक्सीन, कैसे भेजें बच्चों को

म्योराबाद में रहने वाली रंजीता गुप्ता बताती हैं कि उनकी बेटियां सेंट मेरीज कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ती हैं। उनका कहना है कि तो कोरोना को लेकर खतरा अभी टला नहीं है। ऐसे में बच्चों को स्कूल भेजना काफी रिस्की है। आखिर स्कूल में बच्चों पर कितना ध्यान रखा जा सकेगा? इससे अच्छा है कि इस साल बच्चे घर पर रहकर ऑनलाइन क्लासेज ही अटेंड करें। वैसे भी दो ही महीने ही क्लासेज चलनी हैं। इसके बाद फाइनल एग्जाम शुरू हो जाएगा। ऐसे में सिर्फ दो महीने के लिए बच्चों की हेल्थ और जान से रिस्क लेना ठीक नहीं लगता।

सेकंड वेव आई तो क्या?

कोरोना महामारी को लेकर सरकार की ओर से भी पिछले दिनों हिदायत दी गई थी। इसमें पीएम नरेंद्र मोदी ने कोरोना महामारी की सेकेंड वेव रिपीट होने की संभावना जताई थी। यह कहना है तेलियरगंज की रहने वाली रूबी ओझा के दोनों बच्चे सीबीएसई स्कूल में पढ़ते हैं। उन्होंने भी कहा कि अभी की स्थिति को देखते हुए ऑनलाइन क्लासेस ही ठीक हैं। इससे बच्चे सुरक्षित रहेंगे। जहां तक स्कूल खोलने और बच्चों को भेजने की बात है, तो स्कूल में बच्चों की बीच केयर करना संभव नहीं है। ऐसे में बच्चों को लेकर हमेशा चिंता बनी रहेगी। बेहतर होगा कि बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता पर रखा जाए और इस साल ऑनलाइन क्लासेस से काम चलाया जाए। मार्च तक वैक्सीन आने की संभावना है। वैक्सीन आने के बाद स्कूल खोले जाएं।

बच्चों की सुरक्षा सबसे अधिक जरूरी है। कोरोना का संक्रमण कम हुआ है, लेकिन खत्म नहीं हुआ है। ऐसे में इस बार ऑनलाइन क्लासेस ही बेस्ट ऑप्शन हैं।

-रंजीता गुप्ता

सरकार का दावा है कि कोरोना संक्रमण की सेकेंड वेव आने की संभावना बन ही है। ऐसे में बच्चों को स्कूल भेजने का रिस्क लेना ठीक नहीं होगा।

-रूबी ओझा

पढ़ाई जरूरी है, लेकिन लाइफ के रिस्क पर ऐसा करना ठीक नहीं है। स्कूल में उतनी केयर संभव नहीं है। ऐसे में अभी ऑनलाइन क्लासेस से ही काम चलाना होगा।

-वंदना सिंह

Posted By: Inextlive