-लोगों के बर्ताव से स्वास्थ्य विभाग परेशान

-बढ़ सकता है संक्रमण, मानने को तैयार नहीं लोग

PRAYAGRAJ: कोरोना जैसी गंभीर बीमारी को लेकर भी लोगों का रवैया काफी लापरवाही भरा है। कोरोना जांच कराने जा रहे लोगों द्वारा गलत नाम और पता फीड कराने की बात सामने आ रही है। इसने स्वास्थ्य विभाग की परेशानी काफी ज्यादा बढ़ा दी है। जब रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद टीम लिखवाए गए पते पर पहुंचती है तो संबंधित व्यक्ति वहां नहीं मिलता। ऐसे में टीम को वापस लौटना पड़ता है और बीमारी बढ़ने का खतरा भी बढ़ जाता है।

और लौट गए कर्मचारी

बुधवार को चकिया के आनंदपुरम मोहल्ले में एक साथ दो लोगों की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई। जानकारी मिलने पर नगर निगम की टीम ब्लीचिंग पाउडर डालने मौके पर पहुंची। तीन घंटे तक कर्मचारी परेशान हुए, लेकिन संबंधित संक्रमितों का पता नहीं चला। दोनों ने अपना पता सही नहीं लिखवाया था। इनमें से एक ने फोन नंबर भी मेंशन नहीं किया था। बहुत देर ढूंढने के बाद कर्मचारी गली का सेनेटाइजेशन करके चले गए, लेकिन दोनों का पता नहीं चल सका।

अन्य मोहल्लों में भी आ रहे मामले

यह पहली घटना नहीं है। विभागीग अधिकारियों के मुताबिक ऐसा कई बार हो चुका है। अक्सर कोरोना संदिग्धों के पते गलत निकल रहे हैं। उनका यह बर्ताव सभी को नागवार गुजरता है। इससे वक्त भी बहुत अधिक खर्च होता है। साथ ही संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है। जो लोग पकड़ में नहीं आते वह आम आदमी के बीच रहकर दूसरों को बीमार भी कर सकते हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से पहचान पत्र लाने को कहा है, फिर भ्ी लोग बहाने बनाकर अवॉयड करते हैं।

इतने लोगों को प्रॉब्लम

-गलत बताने से सबसे ज्यादा दिक्कत कुछ विभागों को होती है।

-इनमें पहले नंबर पर नगर निगम होता है। इसके कर्मचारियों को सेनेटाइजेशन के लिए गली-गली घूमना पड़ता है।

-इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग की एंबुलेंस सेवा को भी भटकना पड़ता है।

-हालांकि रोगी का मोबाइल नंबर कनेक्ट नहीं होने पर एंबुलेंस संबंधित एरिया में नहीं जाती है।

-अधिकारियों का कहना है कि रोजाना ऐसे दो-तीन केस सामने आते हैं।

-अगर यह लोग पकड़ में आएं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

शुरू किया है नया तरीका

-फेक एड्रेस बताने वालों से बचने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने नया तरीका निकाला है।

-जो लोग जांच कराने जाते हैं, उसी समय उनके मोबाइल पर मिस कॉल दी जाती है।

-अगर कॉल चली गई तो नंबर सही माना जाता है।

-अन्यथा व्यक्ति से दूसरे नंबर की मांग की जाती है।

यह गलत तरीका है। अगर वह सही नाम और पता बताते हैं तो पॉजिटिव आने के बाद उनका समय से इलाज हो जाएगा। नहीं तो उनकी सेहत को नुकसान हो सकता है। हमारे साथ अन्य विभागों को भी ऐसे बर्ताव से प्रॉब्लम होती है। इन लोगों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

-डॉ। मेजर गिरिजाशंकर बाजपेई, सीएमओ

Posted By: Inextlive