प्रयागराज में अब तक दो दर्जन मरीजों को दी गई है प्लाज्मा थेरेपी

-मेडिकल कॉलेज में इंस्टॉल हो गई अफेरेसिस मशीन

-हालांकि डोनर न मिलने से हो रही है मुश्किल, जूनियर डॉक्टर्स और स्टाफ कर रहे हैं डोनेशन

PRAYAGRAJ: आपको जानकर ताज्जुब होगा कि प्रयागराज में प्लाज्मा थेरेपी सौ फीसदी कारगर साबित हुई है। इससे मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स में उत्साह बरकरार है। इस थेरेपी का इस्तेमाल अब तक जितने मरीजों पर किया गया है, वह स्वस्थ होकर घर चले गए हैं या जाने की तैयारी में हैं। इस सफलता पर कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि पूरी तरह से कोरोना प्रोटोकॉल फॉलो किया जा रहा है। यही वजह है कि रिजल्ट्स पॉजिटिव आ रहे हैं।

22 घर गए, दो की है तैयारी

मेडिकल कॉलेज के कोरोना वार्ड में भर्ती गंभीर मरीजों पर प्लाज्मा थेरेपी से इलाज किया जा रहा है। अब तक 24 मरीजों को यह थेरेपी दी जा चुकी है। इनमें से 22 मरीज ठीक होकर अपने घर जा चुके हैं। दो मरीज घर जाने की तैयारी में हैं। उनके स्वास्थ्य में सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहा है। कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि दो माह पहले शासन ने प्लाज्मा थेरेपी की परमिशन दी थी। इसका बेहतर परिणाम देखने को मिल रहा है।

बॉडी नहीं लड़ सकती तो काम करती है थेरेपी

डॉक्टर्स कहते हैं कि प्लाज्मा थेरेपी उन मरीजों को दी जा रही है जिनका शरीर कोरोना से लड़ने में अक्षम होता है। दवाओं का बेहतर परिणाम नही मिलने पर उनका ब्लड ग्रुप चेक किया जाता है। तमाम टेस्ट के बाद डोनर से मैच कराया जाता है। इसके बाद डोनर का प्लाज्मा मरीज को देकर उसकी जान बचाई जाती है। अभी तक जितने मरीजों को प्लाज्मा थेरेपी दी गई है उनकी हालत में सुधार देखने को मिला है।

अब नहीं लेंगे पूरा ब्लड

हाल ही में मेडिकल कॉलेज में अफरेसिस मशीन भी इंस्टॉल हो गई है। इस मशीन के जरिए डोनर की बॉडी से केवल प्लाज्मा ही लिया जाएगा। मशीन ब्लड के बाकी कम्पोनेंट वापस बॉडी में भेज देती है। अभी तक केवल एएमए ब्लड बैंक के पास ही यह मशीन थी। मेडिकल कॉलेज में यह मशीन लग जाने से डोनर का उत्साह बढ़ेगा। कोरोना मरीजों के प्लाज्मा डोनर्स को इस मशीन से नि:शुल्क सुविधा दी जा रही है। हालांकि अभी करोड़ों की इस मशीन का औपचारिक उद्घाटन बाकी है।

इलाज के साथ दे रहे प्लाज्मा

प्लाज्मा थेरेपी अभी तक कई मरीजों को दी जा सकती थी। लेकिन डोनर्स के नहीं मिलने से यह संभव नहीं हो पा रहा है। जिले में 25 हजार से अधिक पॉजिटिव हो चुके हैं लेकिन प्लाज्मा डोनेट करने वाले बिल्कुल नहीं आ रहे हैं। जिन मरीजों को प्लाज्मा दिया जा रहा है वह जूनियर डॉक्टर्स और स्टाफ डोनेट कर रहे हैं। यह लोग पूर्व में पॉजिटिव हो चुके हैं और अब इलाज के साथ प्लाज्मा डोनेशन कर रहे हैं।

यह नहीं कर सकते प्लाज्मा डोनेशन

-बीमार और गर्भवती महिलाएं

-जिन लोगों को कोई बीमारी पहले से है

-डायबिटीज, कैंसर

-हार्ट डिजीज, लीवर प्राब्लम, किडनी पेशेंट

-ब्लड प्रेशर मरीज

प्लाज्मा डोनेशन के नियम

कोरोना ही नहीं बल्कि जिस किसी बीमारी के उपचार में प्लाज्मा डोनेट किया जा रहा है, उस बीमारी से ठीक होने के 28 दिन बाद ही प्लाज्मा दे सकते हैं।

18 से 60 साल की आयु के स्वस्थ व्यक्ति प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं।

प्लाज्मा डोनेट करने वालों का वजन 60 किलो से अधिक होना चाहिए

हीमोग्लोबिन काउंट 8 प्वाइंट से अधिक होना चाहिए

कौन कर सकता है डोनेशन

कोरोना के इलाज में वही व्यक्ति प्लाज्मा दे सकता है जो पूर्व में संक्रमित होकर ठीक हो चुका है। उसे कोई और दूसरी गंभीर बीमारी नहीं होनीे चाहिए। व्यक्ति के शरीर से 200 से 250 एमएल प्लाज्मा लिया जाता है और मरीज को 200 एमएल ही दिया जाता है।

किनको दी जाती है प्लाज्मा थेरेपी

ऐसे मरीज जो ऑक्सीजन या वेंटीलेटर पर हैं और ठीक नहीं हो पाते हैं। उन्हें प्लाज्मा थेरेपी देकर बीमारी के खिलाफ उसके शरीर में एंटी बॉडी भेजी जाती है। इससे मरीज का शरीर बीमारी से लड़न में सक्ष्म हो जाता है। यही कारण है कि कोरोना से गंभीर रूप से संक्रमित मरीजों पर इस थेरेपी का इस्तेमाल किया जा रहा है।

अभी तक प्लाज्मा थेरेपी का हंड्रेड परसेंट परिणाम सामने आया है। हमारी ओर से सभी रूल्स फॉलो करने के बाद मरीजों को यह थेरेपी दी जा रही है। यही वजह है कि दो दर्जन में 22 ठीक हो चुके हैं और दो ठीक होने की कगार पर हैं।

प्रो। एसपी सिंह

प्रिंसिपल, एमएलएन मेडिकल कॉलेज

लोगों से अपील है कि वह आगे आकर प्लाज्मा डोनेशन कर दें। उनके ऐसा करने से कई मरीजों की जान बचाई जा सकती है। फिलहाल कॉलेज के पूर्व में संक्रमित हो चुके डाक्टर्स और स्टाफ ही अपनी से प्लाज्मा दे रहे हैं।

प्रो। वत्सला मिश्रा

एचओडी, पैथोलॉजी मेडिकल कॉलेज

Posted By: Inextlive