150 में मुहर, 500 में एफआईआर कॉपी
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-दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के स्टिंग में खुलासा, थाने पर हर सुविधा के लिए तय है खास रकम PRAYAGRAJ: एक आम आदमी को पुलिस से काफी उम्मीदें रहती हैं। तमाम जगहों से पीडि़त प्रताडि़त होने के बाद जब वह इंसाफ की आस लेकर थाने पहुंचता है। लेकिन अगर थाने में भी उसे करप्शन के कुचक्र का सामना करना पड़े तो फिर वह कहां गुहार लगाए? जीहां, दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के स्टिंग में पढि़ए किस तरह प्रयागराज के थाने में हर काम का रेट फिक्स है। रिपोर्टर से बातचीत में पुलिसवाले ऑन कैमरा एक्सेप्ट कर रहे हैं कि अप्लीकेशन पर मुहर लगाने का चार्ज 150 रुपए हैं। वहीं एफआईआर की कॉपी देने के लिए 500 रुपए तय हैं। सिम खोने की अप्लीकेशन पर लगानी थी मुहरचौराहों पर वसूली के लिए बदनाम पुलिस थाने में भी इस काम में माहिर हो चुकी है। इस बात का खुलासा तब हुआ जब दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट रिपोर्टर एक आम आदमी बनकर थाने पर पहुंचा। यहां उसने अपना सिम खो जाने की अप्लीकेशन पुलिस को दी। जवाब में पुलिस ने जो कहा वह चौंका देने वाला था। थाने में मौजूद पुलिस के जवान ने अप्लीकेशन पर मुहर लगाने की 'कीमत' मांगी। पढि़ए रिपोर्टर से किस तरह से डील कर रहा है पुलिसवाला
रिपोर्टर-पुलिस के बीच बातचीत
रिपोर्टर: मेरा सिम कार्ड खो गया है। मुहर लगवानी है। पुलिस: सिम खोया हो या मोबाइल 150 रुपए लगेंगे। रिपोर्टर: क्या इसका भी पैसा लगता है? पुलिस: जी, हर काम का रेट फिक्स है। रिपोर्टर: जैसे ? पुलिस: पर्स, मोबाइल, बैग, दस्तावेज आदि खोया है तो 150 रुपए से लेकर दो सौ तक लगेंगे। रिपोर्टर: ऐसा क्यों? पुलिस: थाने में बैठे मुंशी समेत तमाम लोगों को देना होता है। हमारे भी खर्च हैं। रिपोर्टर: अगर एफआईआर की कॉपी निकलवानी हो तो? पुलिस: इसके लिए ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ेंगे। इसका रेट 500 रुपए है। रिपोर्टर: चलिए ठीक है भाई। फिलहाल तो सिम खोई है। अप्लीकेशन पर मुहर लगा दीजिए। पुलिस: पहले पैसा दीजिए। इसके बाद ही मुहर लग पाएगी। (इसके बाद रिपोर्टर ने पैसे चुकाए तब जाकर उसकी अप्लीकेशन पर मुहर लगी.) क्या कहता है नियम -नियम के मुताबिक, अगर किसी व्यक्ति की कोई वस्तु गुम हो जाती है तो उससे अप्लीकेशन लेकर रिसीविंग दी जाती है। -फिर अप्लीकेशन की डिटेल रजिस्टर में भी दर्ज किया जाता है। -लेकिन प्रयागराज पुलिस पैसे के आगे नियमों को ताक पर रख चुकी है।-यहां पर पुलिसकर्मी यह तक नहीं पूछते कि सामान कब और कैसे गायब हुआ।
-हां, अप्लीकेशन में यह जरूर देखा जाता है कि मामला उनके थाने का है या नहीं। थाने में चाय भी तो पिलानी है भाई -थाना कविनगर में तैनात एक मुंशी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अगर दो पैसे की आमदनी न हो तो थाने में मुंशीगिरी करना ही मुश्किल हो जाए। -उसने बताया कि पूरे स्टाफ को दिन में करीब तीन बार चाय पिलानी पड़ती है। -इसके अलावा थाना प्रभारी से मिलने आए विशेष लोगों की खातिरदारी करना भी मुंशी की ही जिम्मेदारी है। -ऐसे में थाने का प्रतिदिन का खर्च जोड़ा जाए तो लगभग 1000 से 1200 रुपए हो जाता है। -अब इतना खर्च कोई अपनी जेब से तो वहन करेगा नहीं। -ऐसे में वसूली ही एकमात्र जरिया है, जिससे थाने के तमाम खर्च पूरे किए जाते हैं। ऐसे समझिए में थाने में ऊपरी कमाई का गणित 35 मामले तक करीब रोज आते हैं थाने में। सबसे ज्यादा मामले मोबाइल या सिम गुम होने के होते हैं। 39 है प्रयागराज में कुल थानों की संख्या50 लाख से ज्यादा है हर महीने की ऊपरी कमाई
मुंशियों द्वारा रुपए लेने की शिकायत अभी किसी ने नहीं की है। अगर शिकायत मिलती है तो जांच कराकर दोषियों के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा। -बृजेश श्रीवास्तव, एसपी सिटी