240 बेड हैं एसआरएन में कोरोना पेशेंट्स के लिए

120 बेड इनमें आईसीयू और एचडीयू हैं

85 परसेंट बेड हो चुके हैं फुल

350 मरीज औसतन हर रोज आ रहे कोरोना के

15 फीसदी मरीजों को हॉस्पिटल में एडमिट किया जाता है

04 फीसदी को करीब आईसीयू की जरूरत होती है

-एसआरएन हॉस्पिटल में गंभीर मरीजों की संख्या में हो रहा इजाफा

-लगातार बढ़ रहे हैं रेफरल मामले, रिकवरी में लगता है दस दिन

PRAYAGRAJ: तमाम कोशिशों के बावजूद कोरोना पर लग पा रही है। अभी तक कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या चिंता का सबब थी। लेकिन अब कोरोना के गंभीर होते मरीजों की तादाद मुश्किलों में इजाफा करने लगी है। एसआरएन हॉस्पिटल में कोरोना के गंभीर मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। वर्तमान में ऐसे मरीजों से 85 फीसदी आईसीयू बेड फुल हो चुका है। मेडिकल कॉलेज प्रशासन का कहना है कि मरीजों की बढ़ती संख्या ने परेशानी में डाल दिया है। इसकी वजह से नए मरीजों को भर्ती करने में परेशानी हो सकती है। खासकर दूसरे एल टू हॉस्पिटल के रेफर होने वाले मरीजों की संख्या अधिक होने से बेड तेजी से भर रहे हैं।

फिलहाल 120 आईसीयू बेड

एसआरएन हॉस्पिटल में कोरोना मरीजों के लिए 240 बेड रखे गए हैं। इनमें से 120 बेड आईसीयू और एचडीयू हैं। इनमें से 85 फीसदी बेड भरे हुए हैं। इनमें गंभीर मरीजों को भर्ती किया गया है। कोरोना संक्रमित होने के साथ यह मरीज ब्लड प्रेशर, शुगर, किडनी और लीवर की बीमारी से पीडि़त हैं। इनको रेलवे और बेली हॉस्पिटल से रेफर किया गया है।

दस दिन में होती है रिकवरी

बताया जाता है कि आईसीयू वाले मरीजों की रिकवरी में टाइम लगता है। इनको दस से चौदह दिन का समय लगता है। इसके बाद ही इनको डिस्चार्ज किया जाता है। कई मरीज इससे अधिक दिन तक वार्ड में रहते हैं। इसकी वजह से नए मरीजों को भर्ती करने में दिक्कत पेश आती है। वहीं ऑक्सीजन के मरीज 8 से 10 दिन में रिकवर हो जाते हैं। काफी सीरियस मरीजों को बचा पाना भी मुश्किल होता है।

स्पेशलिस्ट न होना मुख्य वजह

निचले लेवल पर हॉस्पिटल्स में स्पेशलिस्ट नहीं होने से यह दिक्कत पेश आ रही है। यही वजह है कि जरा सा सीरियस मरीज को तत्काल मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया जाता है। जबकि बेली और रेलवे हॉस्पिटल में अगर किडनी, लीवर या हार्ट के स्पेशलिस्ट होते तो उनको मौके पर ही इलाज मिल जाएगा।

15 फीसदी होते हैं सीरियस मरीज

डब्ल्यूएचओ के आंकड़े बताते हैं कि सौ में से 15 फीसदी मरीजों को नॉर्मली हॉस्पिटल में इलाज के लिए भर्ती होना पड़ता है। इनमें से 3 से 4 फीसदी को आईसीयू की जरूरत होती है। प्रयागराज में रोजाना 350 से 400 मरीज सामने आ रहे हैं। इनमें 15 फीसदी हॉस्पिटल में एडमिट हो रहे हैं। इनमें से कइयों को वेंटीलेटर, ऑक्सीजन या आईसीयू की जरूरत पड़ रही है।

हॉस्पिटल में सीरियस मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। हमारे 85 फीसदी आईसीयू बेड फुल हो चुके हैं। मरीजों का रिकवरी रेट अच्छा है। लेकिन कई मरीजों को ठीक होने में समय लग रहा है। खासकर रेफरल मामलों की संख्या इस समय अधिक है।

-प्रो। एसपी सिंह, प्रिंसिपल, एमएलएन मेडिकल कॉलेज प्रयागराज

Posted By: Inextlive