हर रूट से कम होंगी बसें
-पैसेंजर्स के न मिलने से विभाग के अफसर चिंतित
-छह मेन रूटों पर भी नहीं मिल रहे पैसेंजर PRAYAGRAJ: इन दिनों रोडवेज विभाग के अफसर काफी चिंतित नजर आ रहे हैं। रोडवेज की बसों में पैसेंजर न मिलने से उनकी चिंता बढ़ गई है। इसी चिंता को लेकर विभाग के अफसरों ने शुक्रवार को मीटिंग कर सभी रूटों से बसों की संख्या कम करने का फैसला किया। विभाग के अफसरों के मुताबिक फैसला हो चुका है। सोमवार तक यह तय हो जाएगा किस रूट पर कितनी बसें चलेंगी। 60 फीसदी पैसेंजर्स पर निकलता है खर्चसिविल लाइन एआरएम सीबी राम वर्मा ने बताया कि इन दिनों बसों में पैसेंजर्स न के बराबर हैं। इसके चलते विभाग काफी घाटे में चल रहा है। उनके मुताबिक बसों में 60 फीसदी से ऊपर पैसेंजर्स होने पर मेंटेनेंस, तेल और कर्मचारियों की सैलरी निकलती है। लेकिन इस कोरोना काल में तीस फीसदी के ऊपर भी पैसेंजर नहीं मिल रहे हैं। इसके चलते बस का मेंटेनेंस व तेल का खर्च नहीं निकल पा रहा है। कर्मचारी की सैलरी तो दूर की बात है। अक्सर लगातार देखने को मिल रहा है कि बसों में 10 से 12 सवारी होने पर भी भेजना पड़ रहा है।
कोरोना का असर, नहीं टूट पाया लाखों का रिकॉर्ड
वहीं इस बार रक्षाबंधन पर फ्री यात्रा का ऑफर भी बसों में भीड़ नहीं बढ़ा पाया। इस बार तीन अगस्त को रक्षाबंधन पर सरकार द्वारा बहनों को रोडवेज की बसों में 24 घंटे के लिए फ्री सफर का तोहफा दिया गया था। लेकिन विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक इस बार लोकल भीड़ ज्यादा थी। बाहरी जिलों के लिए बहनों ने ज्यादा सफर नहीं किया था। इस कुल 32 हजार पांच सौ बहनों ने फ्री तोहफा का लाभ उठाया था। इसमें 12 हजार सिर्फ बाहर जिले के लिए बहनों ने सफर किया था। जबकि लोकल 20 हजार बहनों ने किया था। 2018 में सफर करने वाली बहनें: 1.5 लाख 2019 में सफर करने वाली बहनें : 1.6 लाख 2020 में सफर करने वाली बहनें : 32 हजार 5 सौ विभागीय मीटिंग की गई है। बसों की संख्या को लेकर भी चर्चा हुई है। बसों की संख्या कम होगी। लेकिन कितनी होगी इसकी रिपोर्ट आरएम द्वारा जल्द जारी की जाएगी। -सीबी राम वर्मा, सिविल लाइन एआरएम