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जून 2019 को प्रयाग में हुआ था अयोध्या विस्फोट कांड का फैसला

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आतंकियों को विशेष न्यायाधीश ने सुनाई थी आजीवन कारावास की सजा

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गवाहों कुल बहस के दौरान कोर्ट में डीजीसी क्राइम ने कराई थी गवाही

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पेज के लिखित बहस पर गवाहों को सुनने के बाद दिया गया था फैसला

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दिसंबर 2006 को फैजाबाद से जिले की कोर्ट में ट्रांसफर हो कर आया था केस

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जुलाई 2005 को राम जन्म भूमि परिसर में आतंकियों ने किया था विस्फोट

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अज्ञात आतंकियों को पुलिस व पीएसी के जवानों ने कर दिया था ढेर

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पुलिस के जवान अयोध्या में हुए विस्फोट में हो गए थे घायल

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लोग रमेश पांडेय व शांती देवी की इस विस्फोट में हो गई थी मौत

-नैनी सेंट्रल जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं अयोध्या में विस्फोट करने वाले चार आतंकी

PRAYAGRAJ: अयोध्या के चार गुनाहगार नैनी जेल में बंद हैं। इन आतंकियों ने पांच जुलाई 2005 की सुबह 9.15 बजे अयोध्या राम जन्मभूमि परिसर को दहला दिया था। पुलिस के हाथ चढ़े इन आतंकियों के खिलाफ फैजाबाद में केस चला था। 08 दिसंबर 2006 को फैजाबाद से ट्रांसफर होकर यह केस जिले की केस में आ गया था। पिछले साल 18 जून को इस केस में फैसला आया था। इसके बाद से सभी दोषी नैनी जेल में बंद हैं।

इस कोर्ट ने सुनाया था फैसला

अयोध्या में हुई इस घटना के बाद पांच आतंकी आसिफ इकबाल उर्फ फारुख मो। नसी, मो। अजीज, शकील अहमद जम्मू काश्मीर के व सहारनपुर निवासी डॉ। इरफान गिरफ्तार किया गया था। सुरक्षा के लिहाज से माननीय उच्च न्यायालय के आदेश पर आठ दिसंबर 2006 में फैजाबाद से इनका केस इलाहाबाद अब प्रयागराज कोर्ट में ट्रांसफर आया था। पिछले साल विशेष न्यायाधीश एससीएसटी कोर्ट दिनेश चंद्र ने मो। अजीज को छोड़कर शेष चार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। अयोध्या विस्फोट कांड के ये चारों आतंकी नैनी सेंट्रल जेल में आज भी सजा काट रहे हैं। मो। अजीज को संदेह व साक्ष्य का लाभ देते हुए छोड़ दिया गया था।

हजारों पेज में है मृत्युदंड का प्रस्ताव

कोर्ट द्वारा इन आतंकियों को सजा सुनाए जाने के बाद जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी ने इन्हें मृत्युदंड के लिए राजकीय अपील का प्रस्ताव शासन को भेजा गया

शासन को भेजा गया यह प्रस्ताव संलग्नक सहित छह हजार 56 पेज का है, हालांकि आज तक यह प्रस्ताव लंबित है

इस विस्फोट के पीछे आतंकियों का मकसद मेक सिफ्ट स्ट्रक्चर यानी मंदिर का ढ़ाचा क्षतिग्रस्त करने का था

अयोध्या विस्फोट कांड के आतंकियों के मुकदमे में लंबी व लिखित बहस किया था। मेरे द्वारा सभी के लिए मृत्युदंड की मांग की गई थी। हालांकि चार को कोर्ट द्वारा आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। एक को छोड़ दिया गया था। हमने पांचों के मृत्युदंड के बिन्दु पर राजकीय अपील के लिए प्रस्ताव शासन को भेजा है।

-गुलाबचंद्र अग्रहरि, जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी

Posted By: Inextlive