मंत्रियों, पदाधिकारियों को देना होगा कामकाज का ब्यौरा

यूपी और उत्तराखंड में मिली शिकस्त पर होगा मंथन

कार्यसमिति में छायेगा विकास का एजेंडा, बनेगी चुनावी रणनीति

ashok.mishra@inext.co.in

ALLAHABAD (11 June): उत्तराखंड में सियासी चूक और यूपी में विधान परिषद और राज्यसभा चुनाव में मिली शिकस्त के बाद रविवार को इलाहाबाद में शुरू होने वाली भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक ने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को आत्ममंथन के लिए मजबूर कर सकती है। अपने चिर-परिचित अंदाज में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इलाहाबाद आने वाले मंत्रियों और पदाधिकारियों से पहले उनके काम का हिसाब लेंगे, इसके बाद ही वे कार्यसमिति के उद्घाटन समारोह का हिस्सा बनेंगे। पिछले दो महीने से भाजपा नेताओं ने गांव-गांव जाकर जिस तरह केन्द्रीय योजनाओं का प्रचार किया, उसका फीडबैक उन्हें कार्यसमिति में देना होगा।

कार्यसमिति पर यूपी चुनाव रहेगा हावी

मिशन यूपी फतह करने के लिए भाजपा को कार्यसमिति में एक बार फिर उन चुनौतियों पर चर्चा करनी होगी जिसने उसे लंबे समय तक सत्ता से दूर रखा। यही वजह है कि कार्यसमिति का मुख्य एजेंडा देश का विकास रखा गया है ताकि इसके जरिए व्यापक संदेश दिया जा सके। इलाहाबाद में प्रधानमंत्री का करीब चौबीस घंटे का कार्यक्रम भी इसी रणनीति का एक हिस्सा है। इलाहाबाद पहुंचे भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं ने स्वीकारा कि यूपी के चुनाव की जीत का मंत्र इलाहाबाद से ही दिया जाएगा। प्रदेश के नेताओं के साथ करीब एक घंटे की मोदी की मुलाकात का उद्देश्य भी यही है। कार्यसमिति से एक दिन पूर्व उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री को कार्यकारिणी का सदस्य बनाकर इलाहाबाद बुलाने की तैयारी है ताकि यूपी के साथ उत्तराखंड में भी एक लहर पैदा की जा सके। मालूम हो कि इलाहाबाद में ही विजय बहुगुणा ने अपना बचपन गुजारा, साथ की राजनीतिक करियर की शुरूआत भी की।

चार चेहरों पर केंद्रित भाजपा

कार्यसमिति में भाजपा ने चार चेहरों को ही तवज्जो दी है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई, पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के अलावा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को ही समारोह स्थल के भीतर लगे पोस्टरों में जगह मिली है। यूपी चुनाव के मद्देनजर केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और मार्गदर्शक मंडल के सदस्य डॉ। मुरली मनोहर जोशी को तवज्जो न दिए जाने पर भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री भूपेन्द्र यादव कहते हैं कि केवल अटलजी में ही सारी भाजपा समाहित है। वहीं जानकारों के मुताबिक भाजपा फिलहाल यूपी चुनाव में किसी को ज्यादा महत्व देकर कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहती है। शायद यही वजह है कि पार्टी ने अभी तक किसी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया और आने वाले समय में भी इसकी संभावना कम दिखती है।

Posted By: Inextlive