ALLAHABAD : देशी बमों का यह जखीरा किसके लिए बटोरकर रखा गया था? यह तो हॉस्टलर्स ही जानें. लेकिन यह पुलिस प्रशासन के साथ ही यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन के लिए भी खतरे की घंटी है. क्योंकि कोई तो कारण होगा जो इस तरह से देशी बम इकट्ठा करके रखे गए थे.

29 को है इलेक्शन

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में 29 सिंतबर को स्टूडेंट यूनियन इलेक्शन है और हॉस्टलों में डिब्बों में बम भरे हुए हैं। स्टूडेंट्स के बीच हुई छोटी सी बात कितनी खतरनाक हो सकती है इसका अंदाजा तक लगाना मुश्किल है। थर्सडे को पीसीबी हॉस्टल में डिब्बे में रखे बम फटने से एक प्लंबर घायल हो गया। प्लंबर को टंकी से वाटर सप्लाई ठीक करने के लिए बुलाया गया था। वह पाइप को हथौड़े से ठोंक रहा था, इसी दौरान तेज धमाका हुआ। इसमें वह बुरी तरह से घायल हो गया। उसके एक हाथ का पंजा उड़ गया है। गंभीर अवस्था में उसे हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया है।

 

क्या कर रहा है University Administration

दरअसल, पाइप के नजदीक ही डिब्बे में बम भरे हुए थे। झटका लगने से डिब्बे में रखे बम ब्लास्ट कर गए। यूनिवर्सिटी इलेक्शन को लेकर पहले से ही माहौल टेंस है। ऐसे में इस तरह से हॉस्टल में बमों का जखीरा मिलना संकेत देता है कि स्थितियां कभी भी बिगड़ सकती हैं। इसका असर स्टूडेंट यूनियन इलेक्शन पर भी पड़ सकता है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन इस गंभीर मसले पर कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठा रहा है? इससे पहले केपीयूसी में बम बनाने के सामान का बड़ी तादाद में बरामद हुआ था। उसके बाद भी यूनिवर्सिटी द्वारा सर्च अभियान नहीं चलाया जा रहा है। आए दिन स्टूडेंट्स की आपस में और व्यापारियों से भिड़त हो रही है। कुल मिलाकर माहौल कितना गंभीर और खतरनाक है। इसका अंदाजा भी लगा पाना वर्तमान में मुश्किल है। थर्सडे को घटना के बाद भी ऑफिसर्स हिम्मत नहीं बटोर सके कि हॉस्टल में जाकर इसकी छानबीन कर सकें।

 

हॉस्टल में पड़े रहते हैं बम?

पीसीबी हॉस्टल में जिस तरह की घटना हुई है। उससे यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या हॉस्टलों में इस तरह जहां-तहां बम रखे हुए हैं। इलेक्शन सिर पर है ऐसे में यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन को बेहद गंभीरता के साथ इस मसले को उठाने की वरना यह बड़ी अनहोनी का कारण भी बन सकता है। थर्सडे को प्लंबर फंसा है, हो सकता है कि कभी धोखे से हॉस्टल में रहने वाले स्टूडेंट्स इसकी चपेट में आ जाएं। तब क्या माहौल होगा और यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन इसे कैसे संभालेगा? इसकी कल्पना करना भी मुश्किल है।

 

 

 

 

 

 

Posted By: Inextlive