ये डेंगू-डेंगू क्या है?
90 percent है false reportप्राइवेट हॉस्पिटल्स में अभी तक जितने डेंगू सस्पेक्टेड केसेज बताए गए थे उनकी 90 फीसदी एलाइजा जांच निगेटिव आई है। केवल दस परसेंट मरीजों में ही डेंगू के लक्षण पाए गए हैं। इसको देखते हुए हेल्थ डिपार्टमेंट का कहना है कि अब किसी भी पेशेंट को तब तक डेंगू डिक्लेयर नहीं किया जाएगा जब तक उसकी एमएलएन मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबॉयोलॉजी लैब में प्रॉपर जांच नहीं हो जाती है। इस मामले में प्राइवेट पैथोलॉजी की जांच बिल्कुल भी मान्य नहीं होगी.
जरूरत से ज्यादा है platelets की demand
शहर के ब्लड बैंकों में लगातार बढ़ती प्लेटलेट्स की डिमांड को लेकर भी हेल्थ डिपार्टमेंट चिंतित है। आमतौर पर बॉडी में 40 हजार से कम डेंसिटी होने पर ही प्लेटलेट्स चढ़ाया जाता है लेकिन प्रजेंट में लोग एक लाख काउंटिंग पहुंचते ही इसका यूज कर रहे हैं। यह बहुत ही खतरनाक है, क्योंकि बिना जरूरत प्लेटलेट्स चढ़वाने से बॉडी पर इसके निगेटिव इफेक्ट भी होते हैं। बता दें कि इस समय ब्लड बैंकों से डेढ़ सौ यूनिट पर डे प्लेटलेट्स की खपत हो रही है। लोग जरा भी रिस्क नहीं लेना चाहते हैं। जरा सा खतरा होते ही वह ब्लड बैंकों में पहुंच जाते हैं.
लक्षण और इलाज दोनों same,but खतरा कम
इस सीजन में डेंगू और वायरल फीवर दोनों तेजी से फैल रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि दोनों के लक्षण सेम हैं और इनका इलाज का तरीका भी काफी मिलता है। बट, डेंगू ज्यादा खतरनाक है। इसके इलाज में लापरवाही बरते जाने पर पेशेंट की जान भी जा सकती है। ऐसे में लोगों को होशियार रहना होगा लेकिन किसी के बहकावे में आकर बिना जांच डेंगू का इलाज कराना कहीं की समझदारी नहीं है। इससे पेशेंट को नुकसान भी हो सकता है। साथ ही सोसायटी में गलत मैसेज भी जाता है.