गर्मी में पानी की डिमांड व सप्लाई का प्रेशर बढऩे के सफाई नहीं कराता विभाग फिजिकल सफाई में लग जाते से तीन से चार दिन इस लिए डे्रन वाश कराने का विभाग कर रहा दावाघरों में सप्लाई की किए जा रहे पेयजल की स्थिति ठीक नहीं होने से ही बोतल का पानी खरीद रहे लोग

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। यदि आप के घर में भी टंकियों से पानी की सप्लाई होती है तो पीने के पहले थोड़ा सतर्क रहा करिए। क्योंकि इन टंकियों से सप्लाई किए जा रहे पानी की स्वच्छता ठीक नहीं है। ऐसा हम इस लिए कह रहे हैं कि इन टंकियों के अंदर फिजिकल सफाई का कोई प्रबंध नहीं है। सफाई के नाम पर विभाग सिर्फ खानापूर्ति और कोरम पूरा कर रहा है। यही वजह है कि सप्लाई के पानी की स्थिति नहीं होने से लोगों को दस व बीस लीटर आरओ का बोतल पानी खरीदना पड़ रहा है। होवरहेड टैंकों की यह हकीकत बुधवार को 'दैनिक जागरण आईनेक्स्टÓ द्वारा किए गए रियलिटी चेक में सामने आई है। टंकियों के अंदर सफाई की हकीकत जानने से पहले, यह समझना जरूरी है कि यहां यह टंकियां आखिर हैं कितनी और उनकी कंडीशन क्या है।

58 पानी की टंकियां हैं शहर के अंदर
11 पानी की टंकियों का हो रहा मेंटिनेंस
47 पानी की टंकियों से डायरेक्ट है सप्लाई
90 एमएलडी शोधित यमुना की है आपूर्ति
312.00 एमएलडी पानी की नलकूपों से है सप्लाई
135 मिलियन लीटर फिल्ट्रेशन प्लांट की क्षमता
214732 वाटर सप्लाई कनेक्शन है लोगों के घरों में
342 बड़े व 332 मिनी नलकूप से भी है सप्लाई
11 मोटर पम्पों से है पानी की डायरेक्ट सप्लाई
1700 किमी पाइप बिछी गई सिटी के 80 वार्डों में
20 नए वार्डों में पेयजल सप्लाई का काम जारी

इन इलाकों में मेंटिनेंस है जोरों पर
शहर में जलापूर्ति के लिए जलकल विभाग के द्वारा जगह-जगह पानी की टंकियां बनाई गई हैं। विभागीय आंकड़ों पर गौर करें तो इन टंकियों की संख्या यहां करीब 58 है। इनमें से 47 टंकियों से लोगों के घरों में पानी की सप्लाई हर रोज की जाती है। शेष लगभग 11 पानी टंकियों की स्थिति ठीक नहीं है। क्योंकि इनमें किसी की सीढिय़ां टूटी हुई हैं तो किसी का प्लास्टर ही उधड़ गया है। विभागीय सूत्र बताते हैं कि पिछले एक डेढ़ महीने से इन टंकियों के मेंटिनेंस का काम चल रहा है। बताते हैं कि टीवी टॉवर, टीपी नगर, करेली गौसनगर, बैरहना, राजापुर ड्रेन वाश में मेंटिनेंस का काम करीब कम्प्लीट हो चुका है। इतना ही नहीं बेली गांव में बनी पानी टंकी की दशा बदतर है। इस लिए इसकी मरम्मत का जिम्मा सीएनडीएस को सौंपा गया है। इनमें ज्यादातर टंकियों की सीढिय़ां जर्जर होने से उसपर चढऩे में कर्मचारियों के लिए जोखिम भरा काम है। इस लिए कहा यह जा रहा है कि मेंटिनेंस के बाद इनकी सफाई का कार्य कराया जाएगा।

क्या इस तरह साफ हो जाती हैं टंकियां?
विभागीय दावा है कि जो टंकियां ठीक हैं उनकी सफाई का काम ड्रेन वाश विधि से किया और कराया जाता है।
इस विधि में टंकी निर्माण के वक्त ही सबसे नीचे यानी पेंदी में चार इंच की एक पाइप लगी होती है।
पांच से छह महीने पर टंकियों पानी भरकर दवा डाली जाती है, फिर उस चार इंच की पाइप को खोल दिया जाता है।
चूंकि पाइप नीचे की तरफ लगी होती है इस लिए फोर्स के साथ पानी टंकी से बाहर निकल जाता है और वह साफ हो जाती है।
विभागीय अफसर कहते हैं कि गर्मियों में पानी सप्लाई का प्रेशर और खपत काफी बढ़ जाती है। इस लिए फोकस सप्लाई पर ही ज्यादा होता है।
बताते हैं कि मैनुअल यानी फिजिकल टंकी में उतर कर सफाई कराने में तीन से चार दिन का वक्त लगता है।
इस लिए मैनुवल सफाई का काम गर्मियों में न कराकर केवल ठंडी के दिनों में ही कराया जाया जाता है।
गर्मियों में टंकी के पानी में सोडियम हाइपोक्लोराइड डालते हैं। इसके बाद निर्धारित पैरामीटर से पानी को चेक किया जाता है।

पानी टंकियों की सफाई व पाइप लाइन की स्थिति ठीक होती तो लोगों को बोतल में आरओ का पानी पीने के लिए क्यों खरीदना पड़ता? शहर में जितनी भी पानी की टंकियां हैं हम दावे से कह सकते हैं कि उनमें सफाई की कंडीशन ठीक नहीं है। यही वजह है कि लोगों को बड़े बोतल में दस बीस लीटर पानी खरीद कर पीना पड़ रहा है।
पंकज त्रिपाठी, एडवोकेट हाईकोर्ट

हमारे कालिंदीपुर एरिया में जितनी भी पानी की टंकी है शायद ही उसकी सफाई होते कभी किसी ने देखा होगा। हमारे घर से थोड़ी दूरी पर ही एक टंकी है। जब से मैं दख रहा हूं उसकी सफाई नहीं की जाती। साल में एकाध बार कर्मचारी उसमें दवाओं का छिड़काव करते दिखाई दे जाते है। पिछले साल टंकी में दवा डाली गई थी।
रवि तिवारी, महामंत्री कालिंदीपुरम व्यापार मंडल

पानी के टंकियों की सफाई का काम फिजिकल होनी चाहिए। मगर ऐसा नहीं होता। विभाग केवल टंकी के पानी में दवा डालकर सप्लाई कर देता है। टंकी के अंदर क्या घुस कर जब तक अच्छे से सफाई नहीं की जाती उसे सफाई नहीं कहा जा सकता। सुलेमसराय में टंकी से ही पानी की सप्लाई होती है। अक्सर यहां पानी में कीड़े नीया गंदा पानी आने की समस्या बनी रहती है।
आलोक शुक्ला, सुलेमसराय

सफाई का मतलब है कि टंकी में प्रवेश करके कर्मचारी उसकी अच्छी तरह से सफाई करें। मगर ऐसा होते हुए हमने तो कहीं भी कभी नहीं देखा। बेशक पानी शहर के लोगों की सेहत से जुड़ा मामला है। इस लिए विभाग को टंकियों की सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए। केवल दवा छोडऩे मात्र से समस्या का समाधान संभव नहीं है। एक बार हमने इस मुद्दे को उठाया भी था। मगर किसी ने ध्यान नहीं दिया.
जय, सुलेमसराय

कुछ टंकियों की सीढिय़ां व कंडीशन खराब हैं। ऐसी करीब एक दर्जन टंकी हैं। जिनके मेंटिनेंस का काम चल रहा है। कहीं सीढिय़ां टूटी हैं तो किसी जगह टंकी का प्लास्टर ठीक नहीं है। रही बात सफाई की तो सफाई फिजिकल नहीं करके टेक्निकली किया जाता है। हर महीने तो टंकियों को साफ करना संभव नहीं है। मगर पांच छह महीने में एक बार टंकियों में पानी भरकर दवा के सहारे अंदर से वाश किया जाता है।
शिवम मिश्रा, अधिशाषी अभियंता जलकल

Posted By: Inextlive