ऐसा रूट बचा नहीं, जहां बसों को तोड़ा नहीं
फाइनेंशियल ईयर में 30 बसों को पहुंचाया गया नुकसान
रोडवेज को हुई 50 लाख रुपए से अधिक की क्षति बसों में तोड़फोड़ करने वालों की शुरू हुई पहचान ALLAHABAD: रोडवेज का नया फरमान आने के बाद शहरियों को ही बसों की सलामती का इंतजाम करना होगा। फाइनेंशियल ईयर 2015-16 में सिटी का ऐसा कोई रूट नहीं बचा, जहां रोडवेज बसों में तोड़फोड़ या आगजनी न की गई हो। एक अप्रैल 2015 से 31 दिसंबर के बीच रोडवेज की 30 बसों को तोड़ा गया। इसमें सात सिटी बसें भी थीं। तोड़फोड़ व आगजनी से रोडवेज को 50 लाख रुपए से अधिक का नुकसान हुआ है। साफ्ट टार्गेट होती हैं बसेंरोडवेज की बसें हमेशा साफ्ट टार्गेट रही हैं। झगड़ा हुआ हो या मर्डर। गुस्सा हमेशा बसों पर ही फूटता है। नुकसान के बाद रोडवेज अफसर अज्ञात में एफआईआर तो दर्ज करवा देते हैं, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं होती। पुलिस एक भी उपद्रवी को चिह्नित नहीं कर पाई है। रोडवेज के एमडी का आगजनी वाले रूट पर संचालन बंद करने का आदेश जारी होने के बाद रोडवेज के अफसरों ने पुलिस अफसरों से मिलकर तोड़फोड़ करने वालों की पहचान कराने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। इलाहाबाद में तो रोडवेज बसों को सबसे अधिक नुकसान स्टूडेंट्स ने पहुंचाया। लास्ट ईयर अप्रैल में ही स्टूडेंट का एक समूह रोडवेज बस स्टेशन में घुस गया था और आधा दर्जन बसों को तोड़ दिया था। ऐसा ही कर्नलगंज, शिवकुटी, मेजा, करछना, नैनी, हंडिया, थरवई, सोरांव, धूमनगंज, औद्योगिक क्षेत्र आदि पुलिस स्टेशन एरिया में भी हुआ।
बसों को तोड़ने वालों की पहचान कर सजा दिलाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इस सिलसिले में कमिश्नर से भी मुलाकात की जाएगी। डॉ। हरिश्चंद्र, रिजनल मैनेजर, रोडवेज