इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में पोस्टिंग के दौरान वीसी से रही तनातनी

2013 में इविवि के इतिहास में सबसे लम्बी चली थी टीचर्स की स्ट्राइक

vikash.gupta@inext.co.in

ALLAHABAD: बीएचयू में बड़े बवाल के बाद पॉवरलेस कर दिए गए वीसी प्रो। गिरीश चन्द्र त्रिपाठी का विवादों से गहरा नाता रहा है। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में उनके टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रहने के दौरान 11 दिन की स्ट्राइक का इतिहास बना। वहीं वे आटा अध्यक्ष पद पर जब तक चाहे बने रहे। वीसी से सीधे टकराव जैसी बातें बीएचयू प्रकरण के बाद अचानक जीवंत हो उठी हैं।

तो विभाग में आकर ही पढ़ाना होगा

बीएचयू में अपने कार्यकाल के अंतिम दौर में छात्राओं के साथ छेड़छाड़ के मामले में बड़ा बवाल झेलने वाले कुलपति प्रो। जीसी त्रिपाठी पर प्रशासनिक लचरता और संवादहीनता का जो आरोप लगा है। वह शायद ही अब उन्हें आगे किसी बड़े ओहदे पर आसीन होने दे। ऐसे में उन्हें वापस आकर इविवि के अर्थशास्त्र विभाग में बतौर प्रोफेसर ही काम करना होगा। सिर्फ करीब दो महीने का बचा वक्त भी उनके लिए भारी पड़ सकता है। सिर्फ एक बात उनके फेवर में है संघ से जुड़ा होना। इसके बूते कुछ भी संभव है। यह चर्चा इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में अब बेहद कॉमन हो चुकी है।

कुलपति ने मिलने से कर दिया इंकार

इविवि के पूर्व कुलपति प्रो। एके सिंह के कार्यकाल में शिक्षक संघ के तत्कालीन अध्यक्ष प्रो। जीसी त्रिपाठी से तनातनी रही। अध्यक्ष प्रो। त्रिपाठी के प्रतिनिधित्व में कुलपति प्रो। एके सिंह कभी भी शिक्षक संघ से वार्ता के लिये राजी नहीं हुये। शिक्षकों से जुड़ी मांग और उनकी समस्याओं को लेकर जब जब प्रो। त्रिपाठी इविवि में कुलपति कार्यालय की चौखट तक गये। उन्हें बैरंग वापस लौटना पड़ा। अपने पूरे कार्यकाल में प्रो। एके सिंह विवि में शिक्षकों की राजनीति से खासे परेशान रहे और फाइनली पद छोड़कर चले गए। वक्त ने करवट बदली और 2013 में एयू के वीसी पर दुर्भावनावश कार्य करने, संवादहीनता दिखाने और पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर कार्य करने का आरोप लगाने वाले प्रो। त्रिपाठी चार साल के अंदर ही खुद इन्हीं आरोपों के चलते शंटिंग में डाल दिए गए हैं।

आटा को लेकर विवाद

इविवि अध्यापक संघ (आटा) का 18 अक्टूबर 2011 को अध्यक्ष बनने के बाद प्रो। जीसी त्रिपाठी ने चुनाव ही नहीं करवाया

मान्यता के अनुसार आटा का कार्यकाल दो वर्ष का ही होता है

आम सभा की बैठक में 50 से अधिक सदस्य लिखकर दे दें तो कभी भी चुनाव कराया जा सकता है

टीचर्स की मांग पर उन्होंने बैठकें तो बुलाई लेकिन आम सभा बुलाने में आनाकानी के आरोप से घिरे रहे

24 नवंबर 2014 को प्रो। त्रिपाठी के बीएचयू का वीसी बन जाने के बाद भी आटा का चुनाव 09 अप्रैल 2016 को हो सका

नये अध्यक्ष संस्कृत विभाग के वरिष्ठ आचार्य प्रो। राम सेवक दुबे बने

Posted By: Inextlive