सिग्नल के यलो लाइट का मतलब तक नहीं जानते ई-रिक्शा के चालकइन चालकों को रूल्स के बारे में जागरूक करने के लिए नहीं लगाया जाता कैंपसंगठन के नाम पर इन चालकों से चौराहों पर दस- बीस रुपये वसूलने वालों को भी नहीं है फिक्र

प्रयागराज (ब्‍यूरो)। शहर में सफर करने वालों की जरूरत बन चुके ई-रिक्शा के चालक ट्रैफिक रूल्स से बेखबर हैं। छोटे से ई-रिक्शा में क्षमता से अधिक सवारी बैठाकर फर्राटा भरने वाले चालक के हाथ जिंदगी महफूज नहीं है। हर चौराहे पर नियमों को तोडऩे वाले इन चालकों को बेसिक रूल्स तक नहीं मालूम। चौराहों पर लगाए गए सिग्नल में यलो यानी पीली लाइट तक का इन्हें मतलब नहीं पता।

22 हजार ई-रिक्शा हैं पूरे जिले के अंदर
500 से 1500 है चालान का है प्राविधान
20 हजार जुर्माना है ओवर रेस ड्राइविंग पर
01 माह ओवर रैस ड्राइविंग पर है जेल

तभी तो बन गए हैं समस्या के कारण
हद तो यह है कि इतनी बड़ी संख्या में मौजूद ई-रिक्शा चालकों को कभी नियमों के प्रति जागरूक करने के लिए कैंप तक नहीं लगाया जाता। इन चालकों से चौराहे-चौराहे दस से बीस रुपये की वसूली करके महीने में लाखों कमाने वाले भी इन्हें जागरूक करना मुनासिब नहीं समझ रहे। यह बातें मंगलवार को 'दैनिक जागरण आईनेक्स्टÓ द्वारा शहर में की गई पड़ताल के दौरान खुद चालकों के जरिए ही बताई गईं हैं। शहर से लेकर गांव तक करीब बाइस हजार हजार ई-रिक्शा सड़कों पर दौड़ रहे हैं। इनमें करीब 70 से 80 प्रतिशत ई-रिक्शा शहर के अंदर व आसपास इलाकों में ही संचालित होते हैं। जिन चालकों को ट्रैफिक रूल्स की बेसिक जानकारी नहीं है, वह क्षमता से अधिक सवारियों को बैठाकर पूरे शहर की सड़कों पर दिन रात दौड़ रहे हैं। जानकारी नहीं होने की दशा में उनके जरिए नियमों के पालन की उम्मीद करना ही बेमानी है। नियमों के उल्लंघन के कारण ही ई-रिक्शा शहर में जाम और हादसे का कारण बन गए हैं।

रिपोर्टर के सवाल चालकों के जवाब
रिपोर्टर- क्या आप को सिग्नल पर यलो यानी पीली लाइट का मतलब पता है?
उत्तर- नहीं, हम सिर्फ लाल और हरी बत्ती के बारे में जानते हैं और बराबर पालन भी करते हैं।
रिपोर्टर- क्या आप के पास ई-रिक्शा चलाने का कोई लाइसेंस है?
उत्तर- हां, हमारे पास ई-रिक्शा का रजिस्ट्रेशन है, इसे चलाने के लिए कोई लाइसेंस नहीं लगता।
रिपोर्टर- चौराहे पर लगे लाल बत्ती का मतलब बता सकते हैं?
उत्तर- इसका मतलब है कि हमें चौराहे पर ब्रेकर के आगे ई-रिक्शा को नहीं ले जाना और न चौराहा पार करना है।
रिपोर्टर- क्या ट्रैफिक रूल्स के बारे में आप को कभी किसी कुछ जानकारी दी?
उत्तर- नहीं, कभी किसी ने ऐसा कुछ नहीं बताया, न तो कभी ऐसा कोई कैंप लगाया गया।
रिपोर्टर- आप को कोई संगठन है, यदि हां तो आप की सुरक्षा के लिए क्या करता है?
उत्तर- चौराहे-चौराहे हर ई-रिक्शा से कहीं दस तो कहीं बीस रुपये कुछ लोग संगठन के नाम से लेते हैं। संगठन होगा ही। हमारी जानकारी में तो सुरक्षा के लिए कुछ नहीं किए।

जानिए क्यों जलती है यलो लाइट
ट्रैफिक पुलिस के जवान कहते हैं कि चौराहों पर लगे सिग्नल में तीन तरह की लाइटें लती हैं। ग्रीन लाइट पर यात्रियों को चौराहे से आगे बढऩा होता है। रेड लाइट पर जेब्रा लाइन के बाहर ही गाड़ी खड़ी कर देनी चाहिए। यलो लाइट इस बात का संकेत देता है कि सिग्नल ग्रीन होने वाला है अब आप अपनी गाडिय़ों स्टार्ट कर लीजिए। ताकि सिग्नल ग्रीन होते ही बगैर देर किए आगे बढ़ जाएं। यलो लाइट पर यदि आप आगे बढ़ते हैं तो भी वह नियम के विरुद्ध है चालान हो सकता है। यलो से लाइट ग्रीन होने के बीच सामने चौराहे पर मौजूद वाहन चले जाते हैं और चौराहा खाली हो जाता है।

ई-रिक्शा चलाते हुए हमें करीब डेढ़ दो साल हो रहे हैं। पीली लाइट का मतलब हमें नहीं पता है। यह जानते हैं कि रेड होने पर चौराहा पार नहीं करना है और हरी बत्ती पर आगे चले जाना है। ई-रिक्शा चलाने के लिए लाइसेंस नहीं लगता है है। ट्रैफिक रूल्स के बारे में कभी किसी ने कुछ नहीं बताया। यूनियन के लोग चौराहों व उसके आसपास वार बैठाने पर पैसा लेते हैं।
राहुल, ई-रिक्शा चालक

पीली लाइट का क्या अर्थ है यह तो हम नहीं जानते। इतना पता है कि लाइट जब लाल रहे तो हमें चौराहे पर ब्रेकर के पहले रुकना है। इससे ज्यादा हम नियम कानून जानकर करेंगे भी क्या, चलाना तो हमें ई-रिक्शा ही है। चेकिंग में पुलिस वाले भगाते तो हैं पर जानकारी नहीं देते।
शियाराम, ई-रिक्शा चालक

नहीं, हमारे पास ई-रिक्शा चलाने का लाइसेंस तो नहीं है। हम चार पहिया गाड़ी के चालक हैं और उसका लाइसेंस हमारे पास है। ई-रिक्शा चलाने के लिए लाइसेंस की जरूरत नहीं होती। पहले नगर निगम टोकन देता था अब वे भी बंद कर दिया है। कोई अधिकारी या कोई यूनियन के लोग कभी नियमों की जानकारी नहीं देते।
प्रेमप्रकाश, ई-रिक्शा चालक

नियम की जानकारी नहीं है, बस ट्रैफिक पर लाल बत्ती देखकर रुक जाते हैं। लाल बत्ती बंद होते ही आगे बढ़ जाते हैं। यही तो है नियम और क्या बताएं। हमें करीब एक साल ई-रिक्शा चलाते हो गया। कभी किसी ने न तो ऐसा कुछ पूछा और न ही इसके बारे में बताया। कभी ऐसी कोई जरूरत ही नहीं पड़ी तो हम जानने के लिए परेशान क्यों हों। हटिए साहब सवारी बैठाने दीजिए।
विवेक कुमार, ई-रिक्शा चालक

यातायात माह में चालकों को ट्रैफिक रूल्स के बारे में जागरूक किया जाता है। रूल्स तोडऩे वाले ई-रिक्शा के चालान भी किए जाते हैं। ट्रैफिक सिग्नल तोडऩे पर 500 से लेकर बीस हजार तक के जुर्माने का प्राविधान है। मगर इसके लिए कंडीशन निर्धारित किए गए हैं। ओवर रेस ड्राइविंग में चालान पर एक महीने जेल तक का प्राविधान है।
अमित कुमार, ट्रैफिक इंचार्ज


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Posted By: Inextlive