-परिवार परामर्श केंद्र में काउंसलिंग के बाद बिखरने से बच गए कई परिवार

PRAYAGRAJ: दाम्पत्य जीवन में लगी नासमझी की आग बुझी तो कई जोड़े हंसी खुशी जिंदगी बिताने को राजी हो गए। इनमें कई लव मैरिज हैं तो कुछ ऐसी भी हैं जिनकी अरेंज्ड मैरिज हुई है। शादी के चंद महीनों में ही दोनों में कड़वाहट पनप गई। किसी का ईगो टकराया तो कहीं नासमझी व सामंजस्य का अभाव वजह बना। बात घर की चहारदीवारी से निकल थाने फिर परिवार परामर्श केंद्र जा पहुंची। यहां करीब महीने भर चली काउंसलिंग के बाद एक-दूसरे को देखने से भाग रहे जोड़े फिर हंसी-खुशी रहने लगे।

कई राउंड काउंसलिंग में बनी बात

शादी के बाद बिगड़ते तालमेल की वजह से कई जोड़े अलग रहने का फैसला कर बैठे। बात थाने से होकर परिवार परामर्श केंद्र पुलिस लाइंस जा पहुंची। इनमें सिर्फ लव मैरिज करने वाले जोड़े ही नहीं थे, कई ऐसे भी थे जिनकी अरेंज मैरिज हुई है। परिवार परामर्श केंद्र के आंकड़ों पर जाएं तो अब तक इस तरह के करीब 245 केस सामने आए। नोटिस भेजकर लड़के व लड़कियों को परिवार परामर्श केंद्र बुलाया गया। सभी की बारी-बारी काउंसलिंग की गई। अलग-अलग काउंसलर द्वारा दोनों की समस्याओं को सुना गया। काउंसलिंग में दोनों के बीच कई तरह की मिस अंडरस्टैंडिंग सामने आई। लव मैरिज करने वालों में ज्यादातर ईगो की समस्या सामने आई। जबकि अरेंज मैरिज करने वालों में पारिवारिक सामंजस्य का अभाव सामने आया। लगातार चार पांच बार की गई काउंसलिंग के बाद एक दूसरे को छोड़ने की जिद पर अड़े करीब 70 जोड़े साथ रहने लगे। इस तरह दर्जनों परिवारों में दरार आने के बावजूद परिवार परामर्श केंद्र द्वारा बिखरने से बचाया गया। बचे हुए केस केस की काउंसलिंग जारी है।

इस तरह की समस्याएं हैं काफी

परिवार परामर्श केंद्र के काउंसलर की मानें तो युवक व युवतियां लव मैरिज कर लेते हैं।

कुछ माह बाद जिम्मेदारियां बढ़ती हैं तो बिखराव व मनमुटाव की स्थिति दोनों में पैदा हो जाती है।

लिहाजा दोनों एक दूसरे से अलग रहने का मन बना लेते हैं मामला थाने चौकी तक पहुंच जाता है।

अरेंज मैरिज के बावजूद परामर्श केंद्र पहुंचे जोड़ों में सामंजस्य का अभाव और ईगो बड़ी वजह है।

कभी पति के परिवार का ताना तो कभी पति की उपेक्षा, पति द्वारा पत्‍‌नी पर तमाम तरह के आरोप प्रत्यारोप लगाते हैं।

काउंसलर कहते हैं कि यह समस्या उनमें सिर्फ समझ का फेर होने से उत्पन्न हो जाती हैं जिसे वे नहीं समझ पाते।

काउंसलिंग के जरिए दोनों के बीच की गलत फहमी दूर कर एक साथ रहने के लिए तैयार किया जाता है।

लड़की व लड़के दोनों की सहमति पर केस को निस्तारित करते हुए उन्हें साथ रहने की इजाज दे दी जाती है।

तमाम केस ऐसे आए हैं जो छोटी-छोटी बात पर एक दूसरे के साथ न रहने की जिद पर अड़े रहते हैं। केस आने पर काउंसलिंग के बाद कई जोड़े दोबारा साथ रहने को तैयार हुए। वह परिवार के साथ हंसी-खुशी रह रहे हैं।

-डॉ। ममता द्विवेदी, काउंसलर परिवार परामर्श केंद्र

Posted By: Inextlive