सावन के प्रत्येक सोमवार को आयोजित होती है गहरेबाजी

साल में सिर्फ चार दिनों के लिए पूरे साल तैयारी करते हैं गहरेबाज

गहरेबाजों का उत्साह बढ़ाने के लिए यमुना बैंक रोड पर जुटते हैं लोग

 

ALLAHABAD: परम्परा के साथ यह एक जुनून भी है। तभी तो चार दिन की गहरेबाजी के लिए साल भर तैयारी की जाती है। सावन के प्रत्येक सोमवार को की जाने वाली गहरेबाजी आज भी लोगों के लिए आकर्षक का विषय है। गहरेबाजी के शौकीनों का यह जज्बा ही है कि वह अंतिम सांस तक इस परंपरा को कायम रखने के लिए संकल्पबद्ध हैं।

 

वर्षो पुरानी है परम्परा

गहरेबाजी के संयोजक राजीव भारद्वाज ने बताया कि इसकी शुरुआत का प्रमाण महाराजा हर्षवर्धन के समय से मिलता है। सावन के महीने में शिवकुटी में लगने वाले मेले के दौरान लोग आनंद भवन से शिवकुटी के बीच अपने इक्के और घोड़े दौड़ाते थे। ट्रैफिक बढ़ने पर एडमिनिस्ट्रेशन ने इस परम्परा को एक दायरे में सीमित कर दिया। तभी से इसका आयोजन सीएमपी तिराहे से मेडिकल कालेज चौराहे के बीच होता था। लेकिन यहां भी ट्रैफिक की समस्या को देखते हुए कुछ साल पहले इसको यमुना बैंक रोड शिफ्ट कर दिया गया।

 

यमुना बैंक रोड पर हुआ आयोजन

 

सावन में शिवालयों में जलाभिषेक तो हर शहर में होता है। लेकिन इलाहाबाद में सावन मास की गहरेबाजी अपने आप में अनूठी है। इसे घुड़दौड़ भी कहा जा सकता है। यह दौड़ उमंग और स्फूर्ति का प्रतीक है। क्योंकि सावन को मनभावन महीने की संज्ञा दी गई है। इस बार भी गहरेबाजी में वही स्फूर्ति और उमंग देखने को मिली। सावन के प्रथम सोमवार की शाम यमुना बैंक रोड पर आयोजित गहरेबाजी देखने हजारों लोग उमड़े। रोड के दोनों तरफ लोग खड़े होकर दौड़ में शामिल गहरेबाजों का उत्साह बढ़ाया। शाम साढ़े पांच बजे के करीब गहरेबाजी की शुरुआत हुई।

 

घोड़े करने लगे हवा से बातें

 

गहरेबाजी में सिटी के कई एरियाज के गहरेबाज अपने घोड़े के साथ शामिल हुए। इसमें मुट्ठीगंज के गोपाल महाराज की फैमिली, कटरा के बदरेआलम समेत नैनी व अन्य एरिया के लोगों ने अपने घोड़े दौड़ाए। सड़क पर वाहनों की रफ्तार से घोड़ों को दौड़ता देख सभी रोमांचित हो उठे। देखने वाले जोश में भरकर अपने पसंदीदा गहरेबाज का उत्साह बढ़ाने लगे।

 

 

क्यों खास है गहरेबाजी

 

- करीब तीन सौ साल पुराना है गहरेबाजी का इतिहास

- महाराजा हर्षवर्धन के समय से मिलते है इसके आयोजन के प्रमाण

- सावन में कोटेश्वर महादेव दर्शन के लिए जाने से शुरू हुई थी परंपरा

- तब आनंद भवन से कोटेश्वर महादेव तक होता था गहरेबाजी का प्रदर्शन

- 1982 में कैंटोमेंट एरिया की सुरक्षा और ट्रैफिक बढ़ने के चलते इसे मेडिकल कालेज से सीएमपी डिग्री कालेज के बीच शिफ्ट किया गया

- यहां भी ट्रैफिक की समस्या के चलते अब बैंक रोड पर होती है गहरेबाजी

- इसका आयोजन प्रयाग गहरेबाजी संघ करता है

 

 

पहले सोमवार को शिवमय हुई संगम नगरी

सावन के पहले सोमवार को शिवालयों में भोलेनाथ के दर्शन और शिवलिंग पर जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा। इसमें महिलाओं की संख्या ज्यादा रही। कांवरियों ने गंगा स्नान के बाद जल लिया और कुछ पडि़ला महादेव तो कुछ बनारस के बाबा विश्वनाथ को जलाभिषेक के लिए निकल पड़े। इलाहाबाद में नागवासुकी मंदिर, मनकामेश्वर मंदिर और सिविल लाइंस स्थित हनुमान मंदिर के अलावा सभी शिव मंदिरों में जलाभिषेक करने वालों की भीड़ देखी गई।

Posted By: Inextlive