-बिजली विभाग के डिफाल्टर्स की लिस्ट में गवर्नमेंट ऑफिस भी टॉप पर

-लंबा बकाया होने पर विभाग के अफसर डीएम और कमिश्नर से मांग रहे मदद

-पांच-दस करोड़ बकाया वालों की संख्या में शामिल हैं कई सरकारी विभाग

PRAYAGRAJ: लाखों-करोड़ों के बकाये बिजली बिल का भुगतान न करने की बीमारी जिले के सरकारी विभागों को भी लगी हुई है। यहां कुछ सरकारी विभाग ऐसे हैं जिन पर 71 करोड़ रुपए तक बकाया है। पांच-दस करोड़ बकाया वालों में तो कई विभाग शामिल हैं। पावर कारपोरेशन बड़े सरकारी बकायेदारों से अपना पैसा पाने के लिए गुहार लगाता रहता है। लेकिन उनके सिर पर जूं तक नहीं रेंगती है। बिजली विभाग के परेशान अफसरों ने अब बकाया भुगतान के लिए डीएम व कमिश्नर से दखल देकर मदद की गुहार लगाई है।

इन विभागों का है हिसाब क्लियर

कई सरकारी विभाग ऐसे हैं जो रेगुलर बिजली बिल का पेमेंट करते हैं। कुछ के हर साल मार्च के महीने में वित्तीय वर्ष खत्म होने से पहले भुगतान करते हैं। हालांकि कुछ विभाग ऐसे भी हैं, जो लाख कवायद के बावजूद बिजली बिल का भुगतान करने की जहमत नहीं उठाते। शहरी क्षेत्र में वितरण का काम देखने वाली पावर कार्पोरेशन के अधीक्षण अभियंता आर के सिंह के मुताबिक जिले में परिवहन, होम्योपैथी चिकित्सा, आरएएफ कमांडेंट, समाज कल्याण और उद्यान विभाग समेत कई ऐसे भी दफ्तर हैं, जिन पर आज की तारीख में एक भी पैसा बकाया नहीं है। उनके मुताबिक कई विभागों का ट्रैक रेकॉर्ड काफी बेहतर है और वह बिजली बिल के समय पर भुगतान की अपनी जिम्मेदारी को ठीक से निभाते भी हैं।

इन पर इतना बकाया

इलाहाबाद सेंट्रल युनिवíसटी: 20 करोड़ रुपए

बीएसए ऑफिस: 15 करोड़ रुपए

जिला प्रशासन: 91 लाख रुपए

उच्च शिक्षा विभाग: 71 लाख रुपए

अधिष्ठान विभाग: 54 लाख रुपए

एलोपैथिक चिकित्सा विभाग: 74 लाख

लोक सेवा आयोग: 35 लाख रुपए

न्याय विभाग: 27 लाख रुपए

कोषागार: 23 लाख रुपए

सिंचाई विभाग: 11 लाख रुपए

प्राथमिक शिक्षा विभाग: 16 लाख रुपए

मंडी समिति: 10 लाख रुपए

खेल विभाग: 17 लाख रुपए

200 करोड़ से ज्यादा बकाया

जिले में सरकारी विभागों पर पावर कार्पोरेशन का दो सौ करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया है। अकेले शहरी इलाके में यूपी सरकार के प्रमुख दफ्तरों पर ही 131 करोड़ रुपये की देनदारी है। इनमे सबसे बड़ा बकायेदार पुलिस महकमा है। डंडे के जोर पर बड़े -बड़ों की बोली बंद कर देने वाले पुलिस महकमे पर इकहत्तर करोड़ रुपए की देनदारी है।

सरकारी बकायेदार पावर कार्पोरेशन के लिए कई बार मुसीबत का सबब बन जाते हैं। विभाग की टीम उन पर समय से भुगतान का दबाव डालती है। उन्हें प्रेरित करती है। जिन विभागों पर ज्यादा बकाया है उनके लिए डीएम और कमिश्नर से मदद ली जा रही है।

-ओपी यादव, मुख्य अभियंता

अगर छोटे से बकाये पर आम उपभोक्ता की बिजली काट दी जाती है तो बड़े सरकारी बकायेदारों पर भी शिकंजा कसना चाहिए। नियम और कानून सभी के लिए समान होना चाहिए। तभी सही ढंग से इसका पालन हो सकेगा।

-अनुज सिंह, समाजसेवी

Posted By: Inextlive