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जीएसटी नंबर एलॉटमेंट की लेटलतीफी में फंसे सरकारी अस्पताल

जरूरी दवाओं की खरीदी में हो रही देर, मरीज परेशान

दवा कंपनियों ने सप्लाई से किया इंकार

ALLAHABAD: दवाओं की परचेजिंग में बदलाव और जीएसटी लागू हो जाने के बाद सरकारी हॉस्पिटल्स की हालत खराब है। जरूरी दवाओं का टोटा हो गया है। नियम-कानून में फंसी दवा कंपनियों ने भी बिना जीएसटी नंबर दवा सप्लाई करने से इंकार कर दिया है। इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।

25 जुलाई के बाद एलॉट हुआ नंबर

एक जुलाई से देशभर में जीएसटी लागू हुआ। सरकारी हॉस्पिटल्स में स्थाई नंबर 25 जुलाई के बाद एलॉट किया गया। इसके पहले अस्थाई नंबर दिया गया, जिससे दवाओं की खरीदी में काफी दिक्कतें पेश आई। हॉस्पिटल प्रशासन की शिकायत को शासन व प्रशासन ने तवज्जो नहीं दी। देरी से नंबर मिलने पर दवा कंपनियों को आर्डर जरूर दिए गए लेकिन अभी तक प्रॉपर सप्लाई नही हो सकी है। यही कारण है कि कई गंभीर बीमारियों की दवाएं अभी भी हॉस्पिटल्स में उपलब्ध नहीं हैं।

सिस्टम में बदलाव भी बना मुसीबत

जून में राज्य सरकार ने दवाओं की खरीदी के नियमों में भी बदलाव किया था। इसके तहत सरकारी हॉस्पिटल्स को ऑनलाइन दवाओं की फीडिंग और परचेजिंग में कई कॉलम बढ़ा दिए गए थे। इसके तुरंत जीएसटी लागू हो जाने से प्रक्रिया पहले से अधिक दिक्कतों वाली हो गई है। हॉस्पिटल प्रशासन का कहना है कि मजबूरी में जरूरी दवाओं की लोकल परचेजिंग मैनुअली की जा रही है। क्योंकि, आरसी और एलपी की अप्रूविंग इतनी आसान नही रही है।

इन बीमारियों की दवाओं की कमी

हार्ट डिजीज

ब्लड प्रेशर

शुगर

न्यूरो एंटी बायोटिक्स

10000

मरीज रोज देने जाते हैं बेली, कॉल्विन, डफरिन और एसआरएन हॉस्पिटल में

अभी तक तो अधिक दिक्कत नही हुई है। कंपनियों से कहा गया है कि जल्द से जल्द दवाओं की सप्लाई पूरी कर दें। जीएसटी नंबर जारी होने के बाद दवाओं की खरीद में देरी हुई तो मरीजों को अधिक परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

-डॉ। आरएस ठाकुर,

प्रभारी सीएमएस, बेली हॉस्पिटल

दवाओं की उपलब्धता में दिक्कत आ रही है तो इस बार में शासन स्तर पर बातचीत की जाएगी। मरीजों को इलाज में परेशानी नही होने दी जाएगी।

डॉ। बीपी सिंह, एडिशन डायरेक्टर, हेल्थ डिपार्टमेंट

Posted By: Inextlive