वृहद पीठ ने कहा, 'उठाएं त्वरित कदम, सुनवाई से एक हफ्ते पहले दें हलफनामा'

जनहित याचिका पर सुनवाई, 10 मई, 2019 को मांगी गई थी कार्रवाई रिपोर्ट

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रदेश की अधीनस्थ अदालतों के कामकाज में मूलभूत सुविधाओं, स्टाफ और आवासीय व्यवस्था की कमी को लेकर गहरी नाराजगी जताई है। जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पांच न्यायाधीशों की वृहद पीठ ने कहा कि अधिकरण गठित करने के बाद स्टाफ और भवन सुविधाएं नहीं देने से कामकाज प्रभावित हो रहा है। अदालतों के सुरक्षा उपायों में भारी कमी है। कोर्ट ने सभी संबंधित विभागों को 22 सितंबर से एक सप्ताह पहले हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। कहा है कि विभागों का संयुक्त हलफनामा स्वीकार नहीं किया जाएगा।

डेट पहले से पता फिर भी एक दिन पहले डिसीजन

यह आदेश एक्टिंग चीफ जस्टिस एमएन भंडारी, जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर, नाहिद आरा मुनीस, मनोज मिश्र, सुनीता अग्रवाल, एसपी केसरवानी और एमके गुप्ता की लार्जर बेंच ने दिया है। पीठ ने सरकारी मशीनरी की कार्यप्रणाली पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि पहले से सुनवाई की तारीख मालूम है, फिर भी एक दिन पहले निर्णय लिया जा रहा है। अधिकारियों से उम्मीद की जाती है कि वह हलफनामा पहले से तैयार रखते हैं। आखिरी वक्त में निर्णय लेने के कारण हलफनामा दाखिल नहीं किया जा सका, जबकि ऐसे मामलों में निर्णय त्वरित होना चाहिए। कोर्ट ने राज्य सरकार से अदालतों में मूलभूत सुविधाओं को लेकर 10 मई, 2019 को कार्रवाई रिपोर्ट मांगी थी। दो साल के अंतराल के बाद 12 अगस्त, 2021 को मामले की सुनवाई हुई तो हलफनामा दाखिल नहीं किया गया। इस पर कोर्ट ने एक सितंबर तक का समय दिया। जब केस सुना जाने लगा तो अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कहा कि कुछ फैसले 31 अगस्त को लिए गए हैं। हलफनामा तैयार है, लेकिन उसे अंतिम रूप दिया जाना है। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सुनवाई से एक दिन पहले निर्णय लिए जाने की सराहना नहीं की जा सकती। मामले में अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी।

Posted By: Inextlive