दिमाग के न्यूरांस पर अटैक कर एनेंडीमाइट तत्व का करता है उत्सर्जन

इसी तत्व के उत्सर्जित होने से माइंड में शुरू हो जाता है केमिकल लोचा

PRAYAGRAJ: नशे के दुष्प्रभाव से बचने के लिए इसके बारे जान लेना बेहद जरूरी है। जिले में मुख्य रूप से तीन तरह के नशा प्रचलित हैं। इनमें गांजा, भांग व चरस शामिल हैं। इसमे कुछ विशेष तरह के तत्व पाए जाते हैं। जिनका असर सीधे दिमाग के न्यूरांस पर पड़ता है। न्यूरांस पर इन तत्वों का असर पड़ते ही खेल शुरू हो जाता है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के पड़ताल में मिलीं ऐसी ही जानकारी।

ऐसे बनता है गांजा व चरस

गांजा व चरस दरअसल एक कैनाबिस नामक पौधे से तैयार किए जाते हैं। कैनाबिस भांग के पौधे का ही साइंटिफिक नाम है। इसे इस तरह समझें कि भांग ही कैनाबिस का पौधा है। इस पौधे के फूल से गांजा तैयार किया जाता है। जबकि चरस इस पौधे के रस यानी निकलने वाले राल से बनता है। बताते हैं कि इन तीनों गांजा व भांग और चरस में कैनाबिनाइट्स नामक तत्व पाए जाए ते हैं। इसमें जिस पौधे में टीएचसी नामक तत्व अधिक होता है उससे तैयार गांजा या चरस उतना ही नशा करता है। कैनाबिस के पौधे से तैयार गांजा व चरस साइको एक्टिव ड्रग होते हैं।

इस तरह से करता है काम

न्यूरांस पर गांजा या चरस में मौजूद कनाबिनाइट्स के टीएचसी नामक तत्व का असर सीधे होता है। जानकार कहते हैं कि धुएं के जरिए इसे मुंह में लिया जाता है। यह धुआं सीधे ब्लड के जरिए दिमाग के न्यूरांस वाले हिस्से में पहुंच जाता है। पहुंचते ही यह न्यूरांस के सिस्टम को दो से तीन गुना तेजी से एक्टिव कर देता है। न्यूरांस के तेजी से एक्टिव होते ही शरीर में एनेंडीमाइट नामक तत्व का उत्सर्जन होता है। इस एनेंडीमाइट तत्व को कुछ लोग आम भाषा में आनन्दी माइट भी कहते हैं। यदि यही प्रक्रिया अधिक हो जाती है तो आदमी के सोचने व समझने की क्षमता कुंद पड़ जाती है और ऊटपटांग हरकतें करने लगता है।

इस लिए सुस्त पड़ जाते हैं भंगेड़ी

भांग खाने के बाद अक्सर आप देखते हैं कि आदमी सुस्त सा पड़ जाता है। इसकी वजह भांग की पत्तियों में मौजूद सीबीडी नामक तत्व है। दरअसल यह तत्व गंभीर और काफी आलसी किस्म का होता है। इस तत्व का असर दिमाग में होते ही मेमोरी का वर्क श्लो हो जाता है। यही कारण है कि आदमी भांग खाने के बाद कुछ देखता है तो देखता ही रहता है। हंसना शुरू करता है तो हंसता ही रहता है।

इस तरह से करें पहचान

गांजा या चरस पीने वाले व्यक्ति में अचानक स्फूर्ति व खुशी के लक्षण दिखाई देना

बार-बार अपनी ही बात को दोहराते रहना और उसे मनवाने की कोशिश करना

किए जाने वाले गलत कार्य को भी उसे सही साबित करने की जिद पाल लेना

नशा न कर पाने की स्थिति में बेचैन रहना व चिड़चिड़ापन होना

नशा कोई भी हो असर सीधे दिमाग पर ही सीधे पड़ता है। इसके बाद दिमाग शरीर के अन्य पार्ट को आर्डर देता है। अब दिमाग उक्त तत्वों का प्रभाव होने से बगैर सोचे समझे आर्डर दे बैठता है। इसी वजह से तमाम तरह की दिक्कतें बढ़ जाती हैं।

डॉ। संतोष केसरवानी, मनोचिकित्सक एसआरएन हॉस्पिटल

Posted By: Inextlive