ALLAHABAD: जमाना भले ही अंग्रेजियत का दम भरता है लेकिन आज भी हिन्दी के दीवाने कम नहीं. उन दीवानों को हिन्दी ने एक बड़े मुकाम तक तो पहुंचाया ही है अपनों के बीच एक अलग पहचान भी दिलाई है. ऐसे एक नहीं बल्कि दर्जनों उदाहरण हैं जो हिन्दी के दम पर अपना लोहा मनवाते हैं.

यहां भी है हिन्दी का बोलबाला

प्रदेश के तकनीकी कॉलेजों की छोडि़ए आईआईआईटी व एमएनएनआईटी जैसे संस्थाओं में भी हिन्दी माध्यम वाले छात्रों का ही बोलबाला है। इन संस्थाओं में राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले प्रवेश के माध्यम से पूरे देश से बहुभाषी छात्र पढऩे को आते हैं। इस बार हुए प्रवेश के आंकड़े बताते हैं कि इन संस्थाओं में प्रवेश लेने वाले हिन्दी माध्यम के छात्रों की संख्या सबसे अधिक है। ये स्थिति कॉलेजों की ही नहीं बल्कि लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग व माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड जैसे भर्ती संस्थाओं में चयनित होने वाले अभ्यर्थियों की भी है। यहां भी हिन्दी माध्यम के छात्रों की संख्या सबसे अधिक है।

 कोशिश भी जारी है

हिन्दी के प्रति लोगों में न केवल रूचि है बल्कि वे उसकी उन्नति के लिए भी प्रयत्नशील हैं। रेलवे, एजी ऑफिस, सीडीए पेंशन, बैंक व शैक्षिक संस्थाओं के साथ अन्य विभागों में भी हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए समय-समय पर अभियान चलाए जाते हैं। इसके लिए समय-समय पर हिन्दी पखवाड़ा सहित अन्य कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

 लोक सेवा आयोग के पीसीएस फाइनल रिजल्ट में भी टॉप टेन में हिन्दी मीडियम के चार कैंडिडेट सेलेक्ट हुए

मोती लाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान में हिन्दी माध्यम के नए प्रवेशार्थियों की संख्या लगभग 50 प्रतिशत

भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान में हिन्दी माध्यम के नए प्रवेशार्थियों की संख्या लगभग 55 प्रतिशत

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के इंजीनियरिंग विभाग में 60 प्रतिशत से अधिक हिन्दी माध्यम वाले छात्रों ने लिया प्रवेश

 हिन्दी बनी ताकत

यूं कहें तो बेहतर होगा कि पीसीएस-2009 में महिला टॉपर का खिताब मिलना, हिन्दी की ही देन है। हिन्दी से मुझे हमेशा सपोर्ट मिला है। इस भाषा से लोगों के सीधे दिल में उतरा जा सकता है। साक्षात्कार के दौरान सदस्यों को हिन्दी की ही बदौलत प्रभावित कर सकी। शायद तभी अच्छे अंक भी मिले। वैसे तो पहले राजकीय महिला शरणालय में प्रोबेशन अधिकारी थी। कोशिश की तो पीसीएस में भी चयन हो गया। इस समय इलाहाबाद में ही बतौर डिप्टी कलेक्टर ट्रेनिंग में हूं। स्कूली शिक्षा से लेकर स्नातक तक मैं हिन्दी माध्यम से पढ़ी। यही कारण रहा कि हिन्दी में बोलने समझने में मैं निपुण हो गई। मेरे पति अखिलेश भी हिन्दी माध्यम के छात्र रहे। वे भी पीसीएस में चयनित होकर सेल टैक्स अधिकारी की ट्रेनिंग ले रहे हैं।

डॉ। अर्चना द्विवेदी, डिप्टी कलेक्टर

  'मां को आया मान बैठे

हिन्दी हमारी मां है। दु:खद है कि लोग इस मां का आया मान बैठे हैं। लोगों के मन में गलतफहमी आ गई है कि कुछ अच्छा करने के लिए अंग्रेजी जरूरी है। भाषा सभी आनी चाहिए। अंग्रेजी की जरूर भी है। लेकिन ऐसा नहीं कि हिन्दी से कुछ अच्छा नहीं किया जा सकता है। मैं खुद हिन्दी माध्यम का छात्र रहा हूं। मैं आज तक जहां भी सफल हुआ, हिन्दी की बदौलत ही रहा। हिन्दी माध्यम में परीक्षा देकर पहले प्रयास में आईएएस में चयनित हुआ। हिन्दी की ही देन है कि मुझे व मेरी पत्नी को सर्वश्रेष्ठ ब्लॉगर दम्पत्ति का उपाधि से सम्मानित किया गया। इतना ही नहीं राजस्थान में शनिवार को श्रीमती सरस्वती सिंह जी सम्मान 2012 से सम्मानित भी हिन्दी की बदौलत ही किया जा रहा है। ये सब हिन्दी के क्षेत्र में किए गए लेखन कार्य के लिए मिला।

केके यादव, डायरेक्टर पोस्टल सर्विसेज

हिन्दी सीखने की है ललक

वैसे तो मैं आंध्र प्रदेश का हूं। लेकिन हिन्दी सीखने की ललक स्कूल की पढ़ाई से है। और इसे सीखकर ही दम लूंगा। आखिर ये मेरी मातृभाषा जो है। हालांकि अब भी बहुत अच्छी हिन्दी नहीं बोल सकता हूं। लेकिन ये दावा है कि ये परेशानी कुछ ही दिनों तक रहेगी। क्योंकि इसके लिए मेरी कोशिश जारी है। भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान में आयोजित होने वाले सभी कार्यक्रम में भाग लेता हूं। हिन्दी पखवाड़ा के दौरान निबंध प्रतियोगिता में भी भाग लिया। जिसमें अच्छा किया है।

नामवरन सूर्य तेज, स्टूडेंट आईआईआईटी

 

 

हिन्दी बन गई खास पहचान

वैसे तो अंग्रेजी विभाग में प्रोफेसर हूं। लेकिन जो पहचान मिली वह हिन्दी की बदौलत। शुरू से ही हिन्दी के प्रति गहरा लगाव रहा। नतीजा वह बोली भाषा में इतनी रच बस गई कि वही आज पहचान बन गई। बोलचाल में भी साहित्यक शब्दों का प्रयोग हो जाता है। सुनने वालों को भले ही अजीब लगे, लेकिन मुझे बोलने को कभी अटपटा नहीं लगा। खुश इस बात से हूं कि कक्षा में कभी ये हिन्दी अड़चन नहीं बनी। हिन्दी एक राष्ट्रभाषा है। हिन्दी हमारी पहचान है। तो फिर इससे दूर कैसे रहा जा सकता है।

प्रो। आरके सिंह, डीएसडब्ल्यू इलाहाबाद यूनिवर्सिटी

 

Posted By: Inextlive