नंबर गेम

350 के करीब है जिले में होटल्स की संख्या छोटा-बड़ा मिलाकर

10 के आसपास ही रूम्स की हो रही है फिलहाल बुकिंग

07 लाख रुपए तक मेंटेनेंस कॉस्ट पड़ती है हर महीने 30 से 40 रूम वाले होटल की

50 स्टाफ होते हैं तकरीबन एक होटल में किचन, सफाई, वेटर, गार्ड, लॉन्ड्री, रिसेप्शन के स्टाफ जोड़कर

-होटल फुल होने का दिन हुआ सपना, कस्टमर्स की बाट जोह रहे होटल मालिक

-मेंटेनेंस तक का खर्च निकालने में छूट रहा है पसीना

PRAYAGRAJ: कहने को तो बिजनेस अनलॉक है। लोगों के आने-जाने पर लगी रोक में भी छूट मिल चुकी है। लेकिन इसके बावजूद होटलों में रौनक अभी तक नहीं लौटी है। होटल मालिक पलक पांवड़े बिछाए कस्टमर्स का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन अभी तक गिनी-चुनी बुकिंग से ही काम चलाना पड़ रहा है। वजह, कोरोना के चलते लोग अभी भी घूमने-फिरने में सावधानी बरत रहे हैं। वहीं कंपनियों ने भी बड़े इवेंट्स और टूर पर रोक लगा रखी है। जो लोग आ रहे हैं वह भी दिनभर में काम करके वापस लौट जाना चाहते हैं।

केवल दस परसेंट तक बुकिंग

सिटी के तमाम होटल मालिकों का कहना है कि कोरोना काल से पहले डेली रूम लगभग फुल रहते थे। होटल में आकर बुक कराने वाले एक परसेंट ही लोग हुआ करते थे। ज्यादातर बुकिंग ऑनलाइन होती है। अब ऑनलाइन बुकिंग दस परसेंट ही हो रही है। होटल में रुकने वाले लोग डायरेक्ट आकर रेट पूछ कर बार्गेनिंग तक कर रहे हैं। इसके बाद ही वह होटल में स्टे कर रहे हैं। मार्केट में रूम के रेट को लेकर काफी कॉम्पटीशन है। इसलिए रेट भी नहीं बढ़ाया जा सकता है। होटल का रूम दिखाकर बुकिंग करना पड़ रहा है। यहां तक कि शहर के नामी होटल्स को भी ऐसी ही सिचुएशन से गुजरना पड़ रहा है।

कोविड ने बढ़ा दिया खर्च

कोरोना के चक्कर में होटल इंडस्ट्री में बुकिंग तो कम हुई है। वहीं इसने होटल मालिकों का खर्च भी काफी बढ़ा दिया है। मेंटेनेंस के साथ-साथ सेनेटाइजेशन और साफ-सफाई में ठीक-ठाक अमाउंट खर्च हो जा रही है। आलम यह है कि खर्च तक निकालना मुश्किल हो गया है। प्रॉफिट निकालना तो दूर की बात है।

गाइडलाइन के तहत होटल खुल तो गया है। मगर इनकम अब भी जीरो है। लॉस पर जा रहे हैं। स्टाफ को टाइम पर सैलरी देने में हालत खराब हो जा रही है। कहने के लिए होटल रनिंग है, लेकिन कस्टमर ही नहीं है।

-सरदार जोगिंदर सिंह मालिक मिलन होटल

लॉकडाउन से पहले डेली 80 परसेंट रूम फुल रहते थे। अब बीस परसेंट भी फुल नहीं हो रहे हैं। हर रूम को सुबह सेनेटाइज करना पड़ता है। अंदर-बार सेनेटाइजर भी रखा गया है। इन सबका खर्च भी बढ़ गया है।

-आशीष श्रीवास्तव, ग्रैंड कॉन्टिनेंटल होटल

होटल में रुकने वाले ज्यादातर ऑफिस काम वाले ही लोग होते हैं। घूमने वालों की संख्या बिल्कुल नहीं है। जबकि कोरोना काल से पहले घूमने की संख्या वालों की बुकिंग ज्यादा रहती थी।

-धीरेंद्र कुमार, फ्रंट ऑफिस मैनेजर, यात्रिक होटल

Posted By: Inextlive