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हेडिंग प्रदेश में तीसरे स्थान पर है इलाहाबाद

बड़ा चैलेंज है इलाहाबाद में 26 हजार से अधिक कब्जे खाली कराना

20 हजार अवैध निर्माण के ध्वस्तीकरण का हो चुका है आदेश

balaji.kesarwani@inext.co.in

ALLAHABAD: एंटी भू माफिया टॉस्क फोर्स का गठन जरूर कर दिया गया है लेकिन, इलाहाबाद में इस टीम का टारगेट एचीव कर पाना बड़ा चैलेंज है। कारण मुकदमे से लेकर राजनीति दबाव तक कुछ हो सकता है। इसी का नतीजा है कि हाई कोर्ट के लगातार प्रेशर और मॉनिटरिंग के बाद भी अवैध कब्जों की संख्या प्रशासनिक प्रयासों को मुंह चिढ़ा रही है। शहर का दायरा बढ़ने के साथ समस्याएं बढ़ रही हैं कि अनियोजित विकास का दायरा लगातार बढ़ रहा है। इलाहाबाद विकास प्राधिकरण की ओर से तैयार किया गया डाटा तो कुछ ऐसा ही संकेत देता है। वैसे इस मामले में सीएम योगी आदित्यनाथ का शहर गोरखपुर और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का शहर वाराणसी भी ज्यादा पीछे नहीं है।

अफसरों की कार्यशैली पर सवाल

26 हजार से अधिक अवैध निर्माण अपने आप में बड़ी चेतावनी है। यह इलाहाबाद विकास प्राधिकरण की मॉनिटरिंग और कार्रवाई के साथ अफसरों की मंशा पर भी सवाल खड़े करती है। एंटी भू माफिया टास्क फोर्स के गठन के बाद प्रदेश सरकार द्वारा तैयार कराई लिस्ट के अनुसार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का शहर गोरखपुर टॉप पोजीशन पर है। आगरा की पोजीशन नंबर दो है तीन कैबिनेट मंत्रियों का शरण इलाहाबाद तीसरे नंबर पर है। इसके बाद नंबर आता है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शहर वाराणसी का।

20000 अवैध निर्माण ढहाना चैलेंज

यूपी सरकार ने प्रदेश के 32 विकास प्राधिकरणों में अवैध कब्जों की जो लिस्ट तैयार की है, उसमें समस्या बेहद विकराल दिखाई दे रही है। सूबे के सभी विकास प्राधिकरणो में इस समय 2,43,416 अवैध निर्माण हैं। इलाहाबाद की बात की जाए तो यहां प्राधिकरण की स्थापना से लेकर अप्रैल 2017 तक 26 हजार 643 अवैध निर्माण हो चुके हैं। इनमें से 20 हजार 385 अवैध निर्माण के ध्वस्तीकरण का आदेश भी हो चुका है। लेकिन, इलाहाबाद विकास प्राधिकरण केवल 958 अवैध निर्माण ही ध्वस्त करा सका है।

प्रापर्टी डीलर्स ने बिगाड़ दी सूरत

एडीए पूरे प्लान के साथ मार्केट में आता है। यह काम प्राइवेट बिल्डर भी करते हैं। बड़े बिल्डर लेआउट प्लान और नक्शा एप्रूव होने के बाद ही काम करते हैं। प्राब्लम हैं हर गली-मोहल्ले में घूमते नजर आने वाले प्रापर्टी डीलर जो राजनीतिज्ञों की शह पाकर बिल्डर बन गए और जमीनों पर न सिर्फ अवैध कब्जा किया बल्कि जहां मन में आया प्लाटिंग भी कर दी। इसी का असर है कि राजापुर कछार, म्योराबाद, सलोरी, बघाड़ा, नैनी, कसारी-मसारी, करेली, गौसनगर, झूंसी, फाफामऊ आदि इलाकों में अवैध निर्माण का पूरा साम्राज्य खड़ा कर दिया गया। खास बात यह भी है कि इस दौरान एडीए की टीम आलमोस्ट मूकदर्शक बनी रही। हाईकोर्ट ने बाढ़ प्रभावित एरिया में 500 मीटर एरिया में भवन निर्माण पर प्रतिबंध लगा रखा है, फिर भी मकान बनते चले गए। अब भी आलम यह है कि एक तरफ एडीए कार्रवाई करके निकलता है तो पीछे से फिर से काम शुरू हो जाता है।

Top ten cities

1. गोरखपुर 29,123

2. आगरा 27,134

3. इलाहाबाद 26,275

4. वाराणसी 19456

5. कानपुर 19,379

6. गाजियाबाद 18,196

7. बरेली 15,782

8. मुरादाबाद 15,671

9. सहारनपुर 10,807

10. मुजफ्फरनगर 9989

यहां सब सामान्य

शक्तिनगर

चित्रकूट

कपिलवस्तु

बागपत

(यहां एक भी अवैध निर्माण नहीं)

भयानक रूप लेती स्थितियां

26,643

इलाहाबाद में अप्रैल 2017 तक चिह्नित अवैध निर्माण

2252

इतने निर्माण से वसूला गया शमन शुल्क

20,385

अवैध निर्माणों के ध्वस्तीकरण का हुआ आदेश

958

अवैध निर्माण पर ही अब हुई कार्रवाई

3048

ध्वस्तीकरण के लिए लम्बित निर्माण

इलाहाबाद में अवैध निर्माण की जो हकीकत है, एडीए ने उसे छिपाया नहीं। सही रिपोर्टिग की है। हाईफ्लड लेवल प्लस 500 मीटर की वजह से यहां अवैध निर्माण की संख्या ज्यादा है। एचएफएल 500 में शिवकुटी, तेलियरगंज, बघाड़ा के साथ ही कलेक्ट्रेट का भी कुछ एरिया आता है। यह स्थित केवल इलाहाबाद के साथ है। अवैध निर्माण कम करने के लिए बगैर नक्शा पास भवनों का नक्शा पास कराया जा रहा है। शमन शुल्क वसूला जा रहा है। समय-समय पर कार्रवाई भी की जाती है।

वंदना त्रिपाठी

सचिव, इलाहाबाद विकास प्राधिकरण

Posted By: Inextlive