ALLAHABAD: 'आई नेक्स्ट के फोक सिंगिंग कॉन्टेस्ट 'इकताराÓ का विनर न बनने का मलाल है. फिर भी इस बात की ख़ुशी है कि ऑडियंस का दिल मैंने ही जीता.Ó इकतारा के टॉप फोर कंटेस्टेंट्स में जगह बनाने वाले इलाहाबादी शिवम का कुछ ऐसा ही कहना है. सिटी में ही म्यूजिक की ट्रेनिंग लेने वाले शिवम ने अपने सुरों से लोकगीत की तान छेड़ी तो पूरा देश उसका दीवाना हो गया. 'इकताराÓ के टॉप फोर कंटेस्टेंट्स तक पहुंचने के अपने सफर के एक्सपीरियंस को शिवम ने आई नेक्स्ट के साथ बखूबी बयां किया.

बदल गया लोगों का नजरिया

शिवम झलवा के पीपलगांव एरिया में रहता है। उसने बताया कि 'इकताराÓ में आने के बाद ही उन्हें फोक म्यूजिक की बारीकियां और उसकी क्वालिटी पता चलीं। प्रयाग संगीत समिति से म्यूजिक की ट्रेनिंग लेने के बाद उसने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के बी म्यूज कोर्स में एडमिशन लिया। बकौल शिवम, 'इकताराÓ के जरिए उसे पहली बार इतने बड़े स्टेज पर परफॉर्म करने का मौका मिला। यकीन मानिए, इकतारा में मेरी परफॉर्मेंस देखने के बाद लोगों का नजरिया चेंज हो गया। वे रिलेटिव्स भी एप्रिशिएट करने लगे जो कभी म्यूजिक की फील्ड को बुरा कहते थे।

 

दोस्तों की बदौलत मिला मौका

शिवम बताते हैं कि 'इकताराÓ में उनका पार्टिसिपेशन भी बड़ा इंटरेस्टिंग रहा। दोस्तों ने ही मुझे इस कांटेस्ट के बारे में बताया था। शुरू मैंने इसे सीरियसली नहीं लिया। आखिरकार लास्ट डेट पर दोस्तों ने मेरी वॉइस रिकॉर्ड करके रजिस्ट्रेशन कर दिया। सेलेक्शन होने की जानकारी मिली तो मैं हैरान रह गया। अफसोस कि बात ये थी कि जिन दोस्तों ने मेरा रजिस्ट्रेशन कराया, वे सेलेक्ट नहीं हो सके। फिर भी उन्हें मेरे सेलेक्शन की ख़ुशी ज्यादा थी। दोस्तों ने ही कांटेस्ट के लिए मेरी प्रिपरेशन भी कराई।

 

खुशी के थे वे आंसू

'इकताराÓ का ग्रांड फिनाले लखनऊ में संत गाडगे ऑडिटोरियम में ऑर्गनाइज किया गया था। यहां देश भर से सेलेक्टेड नौ कंटेस्टेंट्स पहुंचे थे। फस्र्ट राउंड में परफॉर्मेंस के लिए जब शिवम स्टेज पर पहुंचे तो एकबारगी उनकी आंखों में आंसू आ गए। शिवम बताते हैं कि वह काफी नर्वस था। उस समय भाई मंजीत ने उसे एप्रिशिएट किया। खास बात ये थी कि स्टेज पर जाते ही ऑडियंस ने जोरदार तालियां बजाकर मेरा वेलकम किया। यही वजह थी कि आंसू आंखों में आ गए। ये खुशी के आंसू थे।

 

नीलोत्पल से मिली कड़ी टक्कर

शिवम ने बताया कि फस्र्ट राउंड में मुझे फिल्मी सांग गाना था। मुझे जजेस की ओर से 'नैन लड़ जइएÓ सांग परफॉर्मेंस के लिए दिया गया था। नर्वस तो था ही साथ में लाइट, कैमरा और इतने ऑडियंस की वजह से डर भी लग रहा था। फिर सोचा हार हो या जीत, परफॉर्मेंस तो देनी ही पड़ेगी। मैने जैसे ही सुर लगाए आडियंस की तालियां बजाईं। यकीन मानिए इन तालियों ने एनर्जी बूस्टर की तरह काम किया। सबसे कड़ी टक्कर मिली नीलोत्पल से। उसने 'जिया हो बिहार के लालाÓ सांग गाया था। ऐसे में अचानक लगा कि मैं बाहर हो जाऊंगा। हालांकि डिसीजन आया तो मैं अगले राउंड के लिए एलिजिबल डिक्लेयर किया गया। तब जाकर राहत की सांस ली। टॉप फॉर में इब्रा खालिद, सत्येंद्र, निलोत्पल और शिवम थे। सेकंड राउंड में लोकगीत परफॉर्म करना था। सभी को अपने-अपने प्रांत की कजरी गानी थी। मुझे 'सावन झरी लागे ला धीरे धीरेÓ मिला। खैर, मेरी परफॉर्मेंस में कुछ कमी रह गई। बाद में लगा कि फोक सांग में क्लासिकल टच देना ही मेरी गलती रही।

 

 

 

 

Posted By: Inextlive