-कम मैनपावर के चलते कोरोना संक्रमण पर लगाम लगाने में हो रही मुश्किल

-कोरोना संक्रमण रोकने के लिए ग्राउंड लेवल पर बढ़ाना होगा एफर्ट

PRAYAGRAJ: कोरोना संक्रमण रोकने के लिए प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी दिन रात एक किए हुए हैं। लेकिन कुछ चीजें ऐसी हैं जो इस अभियान को नुकसान पहुंचा रही हैं। जानकारी के मुताबिक इस समय शहर में 1300 से अधिक कंटोनमेंट जोन हैं और इनकी रिपोर्टिग के लिए महज 175 टीमें ही मौजूद हैं। ऐसा होने से कोरोना पर रोकथाम की प्रक्रिया को ब्रेक लग सकता है।

रोजाना होती है रिपोर्टिग

जिन एरिया में कोरोना पाजिटिव मरीज मिले हैं, उस स्थान के आसपास के एरिया को कंटोनमेंट जोन कहा जाता है। यह सौ मीटर परिधि में बनाया जाता है। इस एरिया में रहने वाले लोगों की कोरोना जांच कर रिपोर्ट तैयार करनी होती है। सरकार का मानना है कि कंटोनमेंट जोन के आसपास कोरोना फैलने का संदेह अधिक होता है। इस एरिया को दस दिन तक मूवमेंट के लिए प्रतिबंधित कर दिया जाता है। इसकी रिपोर्टिग टीमों को रोजाना करनी होती है।

हर जगह पहुंचना मुश्किल

शहर में कंटोनमेंट जोन की निगरानी के लिए टीमें बनाई गई हैं। इन टीमों में टीचर और आशा कार्यकर्ता को रखा गया है। कुछ टीमों में टीचर्स के साथ आंगनबाड़ी कार्यकत्री भी शामिल हैं। इनका काम संबंधित एरिया में जाकर लोगों की जांच का हालचाल लेना है। साथ ही संक्रमित के घर के लोगों की जानकारी भी हासिल करनी होती है। टीमों का कहना है कि एक दिन में बहुत अधिक जोन का निरीक्षण करना मुश्किल होता है। एक जोन में रिपोर्ट तैयार करने में काफी समय लग जाता है। इसकी वजह से सभी जगह पहुंचना मुश्किल होता है।

होम आइसोलेशन में अधिक दिक्कत

जिस जोन के मरीज हॉस्पिटल में भर्ती होकर कोरोना का इलाज करा रहे हैं वहां तो ठीक है। लेकिन जहां पर मरीज को होम आइसोलेशन पर रखा गया है वहां अधिक निगरानी की आवश्यकता होती है। यहां मरीज के मूवमेंट पर निगाह रखनी होती है। लेकिन टीमों की संख्या कम होने से चाहकर भी ऐसी निगरानी करना मुश्किल होता है।

बांस बल्ली लगना खत्म होने से मुसीबत

पहले कंटोनमेंट जोन में बांस बल्ली लगाकर इसे चिन्हित किया जाता था लेकिन अब इसे खत्म कर दिया है। ऐसे में ऐसे जोन को पहचानना आम आदमी के लिए मुश्किल हो गया है। ऐसे में टीमों का काम अधिक महत्वपूर्ण हेा गया है। कई बार तो लोगों को पता ही नही चल पाता कि उनके पड़ोस में कोई व्यक्ति पाजिटिव हो चुका है और होम आइसोलेशन में इलाज चल रहा है। ऐसे में अनजाने में संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है।

मरीजों की संख्या कम हुई है, इसकी वजह से कंटोनमेंट जोन घटकर 1300 हो गए हैं। जितनी टीमें है उनसे काम लिया जा रहा है। अगर अधिक संख्या में टीम मिलती है तो पहले से बेहतर रिपोर्टिग की जा सकती है।

-डॉ। सतेंद्र राय, एसीएमओ

Posted By: Inextlive