इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में अतीत हुआ 96 साल पुराना छात्र संघ

एक्जीक्यूटिव काउंसिल मिटिंग में एकेडमिक काउंसिल के प्रपोजल पर लगी मुहर

इसी साल अस्तित्व में आ जाएगा छात्र परिषद, एफीलिएटेड कॉलेज में भी लागू रहेगी यही व्यवस्था

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PRAYAGRAJ: इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्रसंघ का अस्तित्व समाप्त हो गया है। छात्रसंघ की जगह पर छात्र परिषद का मॉडल लागू किया गया है। शनिवार को हुई कार्य परिषद की बैठक में परिषद के मॉडल को सर्वसम्मति से लागू किए जाने का निर्णय लिया गया। यह मामला 24 जून को हुई एकेडमिक काउंसिल की बैठक में रखा गया था। नए मॉडल पर मुहर लगाए जाने के बाद इसी शैक्षिक सत्र से लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों के अनुसार छात्र परिषद का चुनाव कराया जाएगा।

छात्र परिषद का मॉडल

विश्वविद्यालय में छात्रसंघ की जगह पर छात्र परिषद का जो मॉडल लागू किया गया है उसके अनुसार प्रत्येक संकाय से स्नातक, परास्नातक व पीएचडी स्ट्रीम के छात्र अपना प्रतिनिधि चुनेंगे। परिषद के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महामंत्री, संयुक्त सचिव व सांस्कृतिक सचिव का चुनाव किया जाएगा। इस पूरी प्रक्रिया में आम छात्र ही मतदान करेंगे।

लिंगदोह कमेटी की सिफारिशें

लिंगदोह कमेटी ने अपनी सिफारिशों में अलग-अलग कैंपस के लिए प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष चुनाव का मॉडल सुझाया था। कमेटी ने अपनी सिफारिशों में स्पष्ट कहा था कि ज्यादा छात्र संख्या वाले कैंपस में अगर अशांति का माहौल है तो वहां अनिवार्य रूप से छात्र परिषद का मॉडल लागू किया जाना चाहिए। प्रत्यक्ष मतदान द्वारा छात्रसंघ का मॉडल सिर्फ एकल कैंपस और कम छात्र संख्या वाले विश्वविद्यालयों के लिए ही उपयुक्त है।

चीफ जस्टिस ने स्वत: लिया संज्ञान

विवि के हास्टल में सुमित उर्फ अच्युतानंद शुक्ला और रोहित शुक्ला की हत्या ने छात्र राजनीति का क्रूर और वीभत्स चेहरा उजागर कर दिया था। यह मामला इतना संगीन था कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस गोविंद माथुर ने इसे स्वत: संज्ञान में लिया। हाईकोर्ट ने इस मामले में तीव्र गति से सुनवाई की और सख्ती का नतीजा रहा कि विवि के हॉस्टलों में ताबड़तोड़ छापेमारी की गई। इस छापेमारी में कई हास्टलों से बम व बंदूक भी बरामद किया गया। पंद्रह हास्टलों में सघन छापामारी की गई और 470 से ज्यादा कमरों को सील किया गया था।

कॉलेजों में भी नहीं होगा चुनाव

विश्वविद्यालय में छात्र परिषद का मॉडल लागू किए जाने के साथ ही उसके संघटक कॉलेजों में भी छात्रसंघ का चुनाव नहीं कराया जाएगा। इनमें प्रमुख रूप से श्यामा प्रसाद मुखर्जी डिग्री कॉलेज, सीएमपी डिग्री कॉलेज, इलाहाबाद डिग्री कॉलेज और ईश्वर शरण डिग्री कॉलेज शामिल हैं।

यहां पहले से लागू है परिषद मॉडल

विश्वविद्यालय और उसके चार संघटक कॉलेजों में भले ही अब छात्र परिषद का मॉडल लागू होने जा रहा है। लेकिन, एयू से एफीलिएटेड कई कॉलेज ऐसे हैं जहां पर लम्बे अरसे से छात्र या छात्रा परिषद का गठन किए जाने की परंपरा चली आ रही है। इनमें एसएस खन्ना ग‌र्ल्स डिग्री कॉलेज, यूइंग क्रिश्चियन कॉलेज, आर्य कन्या डिग्री कॉलेज व जगत तारन ग‌र्ल्स डिग्री कॉलेज शामिल हैं।

हाईकोर्ट के दखल से बदल गई तस्वीर

विश्वविद्यालय छात्रसंघ की तस्वीर इलाहाबाद हाईकोर्ट के दखल के बाद बदल गई है। 17 मई को विवि प्रशासन ने हाईकोर्ट में छात्र परिषद चुनाव का हलफनामा दिया था। उस दिन हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए विवि को स्पष्ट आदेश दिया था कि लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों को कड़ाई से लागू किया जाए।

कार्य परिषद की बैठक में सर्वसम्मति से विश्वविद्यालय में इसी शैक्षिक सत्र से छात्र परिषद के मॉडल को लागू किए जाने का निर्णय लिया गया है। छात्र परिषद चुनाव में आम छात्रों की ही भागीदारी होगी। हर संकाय से चुने गए छात्र ही केन्द्रीय पदाधिकारी का चयन करेंगे।

डॉ। चितरंजन कुमार,

पीआरओ इविवि

Posted By: Inextlive