- हॉस्टल में प्रवेश पर रोक ने ग‌र्ल्स हॉस्टल की छात्राओं के लिए बढ़ाई मुसीबत

- पिछले दिनों हॉस्टल में आयी 10 छात्राओं को लौटना पड़ा वापस अपने शहर

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PRAYAGRAJ: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में हॉस्टलों में प्रवेश पर रोक है। ऐसे में सबसे अधिक मुसीबत ग‌र्ल्स स्टूडेंट्स को उठानी पड़ रही है। कोविड 19 के समय अपने घरों को लौटी ग‌र्ल्स के सामने अब वापस आकर रहने के लिए कोई जगह नहीं है, क्योकि हॉस्टल में प्रवेश पर लगी रोक के कारण उनके पास रहने की कोई जमीन ही नहीं है। ऐसे में कई ग‌र्ल्स को इस बार विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं को भी छोड़ना पड़ गया। छात्राओं ने बताया कि हॉस्टल में प्रवेश नहीं मिलने के कारण उनके पास रहने की कोई जगह नहीं है। ऐसे में प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने के लिए उन्हें अपने शहर से आकर रूकने के लिए कोई स्थान नहीं मिल रहा है। जिससे उनको प्रतियोगी परीक्षाओं को इस बार छोड़ना पड़ रहा है।

ब्वायज को इजाजत तो हमें क्यों नहीं

ग‌र्ल्स हॉस्टल में प्रवेश नहीं मिलने को लेकर बीते दिनों वाइस चांसलर आफिस पर देर रात तक हुए हंगामा के दौरान भी ग‌र्ल्स ने आरोप लगाया था। ग‌र्ल्स का आरोप था कि ब्वायज हॉस्टल में स्टूडेंट्स रह रहे हैं। ऐसे में उन्हें क्यों इजाजत नहीं मिल रही है। नाम नहीं छापने का भरोसा दिलाने पर हंगामा में शामिल छात्रा ने बताया कि उनकी नवम्बर में यूजीसी नेट की परीक्षा है। इसलिए वह बीते दिनों अपने घर से आयी थी, लेकिन उनको हॉस्टल में प्रवेश नहीं दिया गया। कई ग‌र्ल्स ऐसी है, जो पीसीएस 2020 प्री समेत दूसरी परीक्षाओं में शामिल होने और तैयारी के लिए हॉस्टल में आकर रहना चाहती है, लेकिन यूनिवर्सिटी की ओर से रोक लगाई गई है। ऐसे में वह अगर अपने शहर से यहां आती है तो उनके पास रात गुजारने की जगह नहीं है। पैरेंट्स होटल में स्टे करने की इजाजत नहीं देते हैं। ऐसे में इस बार मजबूरी में उन्हें कई प्रतियोगी परीक्षाओं को छोड़ना पड़ रहा है।

अलग से रेंट पर रूम लेने का कैसे उठाएं खर्च?

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की कुछ ग‌र्ल्स ने बातचीत के दौरान बताया कि पैरेंट्स का कहना है कि जब हॉस्टल का पैसा जमा किया है। तो अलग से रेंट पर रूम लेने का खर्च कहां से आयेगा। ग‌र्ल्स ने बताया कि पहले तो मकान मालिकों ने रूम का रेंट बढ़ा दिया है। अगर रूम का रेंट अरेंज हो भी जाएं तो वहां रहने के लिए बेड, गैस, कूकर समेत कई जरूरी सामान खरीदना होगा। इन का अलग से खर्च उठाना सभी ग‌र्ल्स स्टूडेंट्स के पास संभव नही है। ज्यादातर ग‌र्ल्स बलिया, गोरखपुर, बस्ती, बहराइच, गोंडा, अम्बेडकर नगर जैसे दूर दराज शहरों से यहां पढ़ने आती है। उनकी फैमली भी लोवर मिडिल क्लास फैमली है। ऐसे हॉस्टल का रेंट आदि खर्च देने के बाद अलग से रूम का रेंट व इन सामानों का खर्च वहन करना उनके लिए बहुत टफ टास्क है। पैरेंट्स हॉस्टल के अलावा कहीं भी रहने के लिए भी सेफ्टी के लिहाज से इजाजत नहीं देंगे। ऐसे में ग‌र्ल्स के पास घर पर ही रहने के अलावा कोई आप्शन नहीं है।

- अनलॉक 5 में भी हॉस्टल में प्रवेश को लेकर कोई गाइडलाइन नहीं है। यूनिवर्सिटी जेंडर के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करती है। मंत्रालय से गाइडलाइन आने के बाद ही आगे की गाइड लाइन यूनिवर्सिटी जारी करेगा।

प्रो। केपी सिंह

डीएसडब्लू, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी

- कोविड 19 को देखते हुए यूनिवर्सिटी की तरफ से मंत्रालय से गाइड लाइन मांगी गई है। जैसा वहां का निर्देश आएगा आगे की व्यवस्था की जायेगी।

डॉ। शैलेन्द्र

पीआरओ, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी

Posted By: Inextlive