यातायात विभाग चालान काटने में मस्तई रिक्शा मालिक किराया वसूले में व्यस्तसड़क सुरक्षा पखवाड़ा में ई रिक्शा चालकों को नहीं किया शामिल

प्रयागराज ब्यूरो ।सड़क सुरक्षा पखवाड़ा चल रहा है। अभी दो दिन तक चलेगा। मगर सड़क सुरक्षा पखवाड़ा में कहीं भी ई रिक्शा चालकों को शामिल नहीं किया गया। जबकि आम शहरियों को सड़क पर सुरक्षा की सबसे ज्यादा जरुरत ई रिक्शा चालकों से है। ई रिक्शा चालकों की अराजकता किसी से छिपी नहीं है। हाल ये है कि यातायात विभाग चालान काटने में मस्त है और ई रिक्शा मालिक और चालक पैसा कमाने में। फिर चाहे किसी की जान ही क्यों न चली जाए। और अफसरों का क्या कहना, उनकी नजर में तो जनता की ऐसी की तैसी।
बीस हजार से ज्यादा चालान
ई रिक्शा चालक अपनी मानमानी पर उतारु हैं। इसे शहर की किसी भी सड़क पर खुली आंखों से देखा जा सकता है। मगर यातायात विभाग के पास ई रिक्शा चालकों की मनमानी को दुरुस्त करने का कोई फंडा नहीं है। यातायात विभाग केवल चालान काट कर अपनी जिम्मेदारी निभा ले रहा है। यातायात विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले वर्ष यानि 2023 में करीब 17 हजार चालान ई रिक्शा के काटे गए। जबकि मौजूदा वर्ष में जनवरी से लेकर अप्रैल के बीच करीब तीन हजार से ज्यादा चालान काटे जा चुके हैं। मगर इन चालानों का कोई असर तो नहीं दिखता है। हां ये बात दीगर है कि चालान के नाम पर सरकारी कोष भर जा रहा है। मगर आम जनता की मुसीबत वहीं की वहीं है।
मालिक, ड्राइवर पैसा कमाने में व्यस्त
शहर में 22 हजार से ज्यादा ई रिक्शा हैं। ये आंकड़ा संभागीय परिवहन विभाग का है। अनुमान के मुताबिक इसमें से आधे से ज्यादा ई रिक्शा किराए पर संचालित हो रहे हैं। ई रिक्शा मालिक तीन से पांच सौ रुपये में 12 घंटे के लिए अपना ई रिक्शा किराए पर दे देते हैं। अब ऐसे स्थिति में सड़क पर फर्राटा भरने वाले ई रिक्शा चालक कब एक्सीडेंड का कारण बन जाते हैं। इसके लिए कोई कवायद यातायात विभाग या फिर संभागीय परिवहन विभाग द्वारा नहीं की जा रही है।


खत्म होने को सड़क सुरक्षा पखवाड़ा
गौर कीजिए। शहर या कह लीजिए पूरे जिले में सड़क सुरक्षा पखवाड़ा चल रहा है। संभागीय परिवहन विभाग की लिस्ट में नेशनल हाईवेज, स्टेट हाइवे में कटों को बंद करने, संकेतक लगाने, ब्लैक स्पॉट्स की रोड सेफ्टी ऑडिट, सुधारीकरण, सभी जंक्शन का चिंहिकरण करने, ओवर स्पीडिंग रोकने के लिए कार्रवाई करने, हेलमेट न पहनने, सीट बेल्ट न लगाने, दुघर्टना बाहुल्य एरिया में एंबुलेंस लगाने, लोगों को जागरुक करने समेत अन्य बिंदुओं पर कार्य योजना बनाई गई है, मगर कहीं भी ई रिक्शा चालकों को प्रशिक्षित करने या फिर उन्हें गाइड करने के लिए कोई प्रोग्राम नहीं बनाया गया है।

यातायात विभाग घूम रहा स्कूल
यातायात विभाग सड़क सुरक्षा पखवाड़ा के तहत स्कूल स्कूल घूम रहा है। बच्चों को यातायात नियमों के पालन का पाठ पढ़ाया जा रहा है। सिटी बस चालकों को यातायात नियमों का पाठ पढ़ाया जा रहा है। मगर एक्सीडेंट का जो सबसे बड़ा कारण बन रहे हैं उन ई रिक्शा चालकों को प्रशिक्षित करने या उन्हें यातायात के नियमों का पालन करने का कोई पाठ नहीं पढ़ाया जा रहा है।


मैंने नैनी पुल पर हुई घटना का वीडियो देखा कि कैसे एक युवक की मौत ई रिक्शा चालक की लापरवाही से हो गई। हैरत है कि इस शहर में अफसर ई रिक्शा चालकों पर सख्ती नहीं कर पा रहे हैं। जबकि ई रिक्शा ड्राइवर की मनमानी किसी से छिपी नहीं है।
ऋषि केसरवानी,

ई रिक्शा चालकों की वजह से आए दिन एक्सीडेंट होते हैं। कोई जरुरी नहीं कि एक्सीडेंट में किसी की मौत ही हो। मामूली रूप से भी चोटहिल हो जाने पर लोगों की दिन चर्या प्रभावित हो जाती है। पूरा परिवार परेशान हो जाता है। ई रिक्शा के लिए गाइड लाइन बननी चाहिए।
प्रशांत केसरवानी

ई रिक्शा चालकों की वजह से शहर की सड़कों पर कार बाइक लेकर चलना मुश्किल हो जा रहा है। शहर में ई रिक्शा जाम का बड़ा कारण हैं। ऐसा नहीं कि अफसर इस समस्या से वाकिफ नहीं हैं। फिर भी हैरत है कि पुलिस और प्रशासन के अफसर कोई गाइड लाइन नहीं बना रहे हैं।
अशोक नाथ त्रिपाठी

हादसा किसी के साथ भी हो सकता है। मगर हादसे का कारण अगर लापरवाही हो तो इसे अराजकता ही कहा जाएगा। ई रिक्शा चालकों की वजह से न जाने कितने लोगों का हाथ, पैर टूट जाता है। लोगों को कितनी दिक्कत होती है। मगर अफसर कोई सख्ती नहीं कर रहे है। ये अराजकता को बढ़ावा देना है।
मिलिंद मालवीय

Posted By: Inextlive