90 लाख रुपए नगर निगम प्रतिमाह भुगतान करता है आउटसोर्स कर्मचारियों को

953 सफाईकर्मियों की तैनाती बताकर एजेंसी वसूल करती है पैसा

1100 पहुंच गए खुद को आउटसोर्स कर्मचारी बताने मेयर की परेड में

2000 रुपए हर कर्मचारी से होने वाली कटौती का हिसाब एजेंसी के पा नहीं

आउटसोर्सिग कर्मचारियों की नियुक्ति में नगर निगम में बड़ी हेराफेरी

भुगतान के अनुपात में तैनाती में बड़े अंतर का खुलासा

कई कर्मचारी नहीं बता पाए अपने माता-पिता का नाम

ALLAHABAD: करीब एक हजार तीन सौ सफाई कर्मचारी आन रोल हैं। करीब एक हजार को आउटसोर्स के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। 80 वार्डो की सफाई पर प्रति महीने भारी भरकम इंवेस्ट किए जाने के बाद भी गलियों में झाड़ू न लगने की शिकायत बेहद कॉमन है। गलियों में कूड़ा न उठने, झाड़ू न लगाए जाने को मेयर ने सीरियसली ले लिया और जमीन की हकीकत परखने निकलीं तो बड़ी हेराफेरी का संकेत मिल गया। पहली बार कर्मचारियों की परेड कराई गई तो तीन सौ कम पहुंचे और दूसरी बार ऐसा कराने पर करीब दो सौ अधिक पहुंच गए। एजेंसी के अधिकारी अब इसका जवाब देने के साथ सब कुछ मैनेज करने में लग गए हैं। उनका प्रयास कितना कामयाब होगा? यह तो वक्त ही बताएगा।

7500 रुपए प्रति कर्मचारी

नगर निगम ने शहर की सफाई व्यवस्था को दुरुस्त रखने के लिए रेग्युलर इम्प्लाई भले ही रखने बंद कर दिए हों लेकिन आउटसोर्सिग के जरिए यह काम कराया जाता है। रेग्युलर के दो तिहाई से अधिक कर्मचारियों की तैनाती की गई है। आउटसोर्सिग पर तैनात कर्मचारियों को पेमेंट के नाम पर नगर निगम एजेंसी को 7500 रुपये प्रति कर्मचारी के हिसाब से करीब 90 लाख रुपये का भुगतान करता है। कर्मचारियों को 5500-5200 रुपये ही दिये जाने की शिकायत सामने आई है। कई कर्मचारी ऐसे भी हैं जो ड्यूटी नहीं करते हैं, लेकिन उनका पैसा भी निकल जाता है। गड़बड़ी पकड़ने के लिए मेयर अभिलाषा गुप्ता ने सोमवार को कर्मचारियों की परेड बुलाई तो निर्धारित संख्या 953 से अधिक करीब 1100 कर्मचारी उपस्थित मिले। इससे यह पुष्ट हो गया कि कमी को छिपाने के लिए अन्य लोगों को भी बुला लिया गया था। इस पर सवाल उठाते हुए मेयर ने एजेंसी से जवाब मांगा है।

पहली परेड में 300 कर्मचारी थे कम

कुछ महीने पहले मेयर अभिलाषा गुप्ता ने आउटसोर्सिग कर्मचारियों की तैनाती में हो रहे खेल को पकड़ने के लिए नगर निगम में कर्मचारियों की परेड बुलाई तो करीब 300 कर्मचारी कम पहुंचे थे। ये संख्या क्यों कम रही? नगर निगम के अधिकारी और एजेंसी जवाब नहीं दे सकी। नगर निगम अधिकारियों की कमेटी ने जांच के बाद भी सही जवाब नहीं दिया। तब मेयर ने एक बार फिर सोमवार को कर्मचारियों की परेड बुलाई। इस बार निर्धारित संख्या 953 की जगह 1100 से अधिक कर्मचारी पहुंच गए। यह हाल तब था जब भीड़ की वजह से लगभग 50 लोगों को अंदर प्रवेश ही नहीं करने दिया गया।

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किसी के पास नहीं था आई कार्ड

मेयर ने जांच शुरू की तो कई अपने माता-पिता का नाम भी नहीं बता सके। कर्मचारियों की संख्या अधिक मिलने पर मेयर ने सवाल खड़ा किया। यह भी कहा कि पर डे लगभग सभी वार्ड में तीन-चार कर्मचारी गायब रहते हैं तो आज क्या सभी उपस्थित रहे? अधिकारी जवाब नहीं दे सके। कर्मचारी सही हैं या गलत यह स्पष्ट न हो सके, इसलिए किसी भी कर्मचारी का आईकार्ड नहीं बनाया गया है।

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पासबुक दिखाने का दिया आदेश

मेयर ने कर्मचारियों की तैनाती करने वाली करुणा एजेंसी से कर्मचारियों को पंद्रह दिन के अंदर आईकार्ड जारी करने और सभी कर्मचारियों का पासबुक नगर निगम में दिखाने का आदेश दिया है। चेकिंग के दौरान नगर आयुक्त और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मौजूद नहीं थे। मेयर के साथ पार्षद नीरज गुप्ता, राजेश निषाद, अहमद अली, रेखा उपाध्याय, गुड्डी यादव, राजू शुक्ला, कृष्णा महाजन, शम्स तवरेज आदि मौजूद रहे।

मेयर ने उठाए सवाल

नगर निगम करुणा एजेंसी को हर महीने देता है 90 लाख, जबकि 953 कर्मचारियों को 7500 के हिसाब से पेमेंट करने पर आएंगे करीब 71 लाख रुपये

दो हजार रुपये कर्मचारियों का काटा जाता है, तो उसे कहां जमा किया जाता है, यह आज तक क्लीयर नहीं हो सका है?

कर्मचारियों से कहा जाता है नौकरी छोड़ने पर या दुर्घटना होने पर जमा दो-दो हजार रुपया दिया जाएगा, लेकिन पिछले दिनों ट्रेन की चपेट में आने से मौत के शिकार हुए आउटसोर्सिग कर्मचारी के परिवार को कोई मदद क्यों नहीं दी गई

किसी भी कर्मचारी को पासबुक नहीं दिया गया है

स्वास्थ्य विभाग के साथ ही बिजली विभाग व अन्य विभागों का पेमेंट एक ही एजेंसी क्यों करता है

यही नहीं एजेंसी -0.0 पर टेंडर लेता है। टैक्स का खर्च कहां से भरता होगा?

एजेंसी से 15 दिन में जवाब के साथ सभी कर्मचारियों का पासबुक प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। इसके बाद एजेंसी पर कार्रवाई की जाएगी।

अभिलाषा गुप्ता

मेयर, नगर निगम, इलाहाबाद

Posted By: Inextlive